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राजनीति में फिर लौटी 'अंतरआत्मा' की आवाज, पहले भी कराए हैं इसने बड़े फैसले

इतिहास में अंतरआत्मा की आवाज पर नीतीश की ही तरह कई और फैसले भी लिए जा चुके हैं।

By Digpal SinghEdited By: Published: Thu, 27 Jul 2017 01:59 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jul 2017 06:14 PM (IST)
राजनीति में फिर लौटी 'अंतरआत्मा' की आवाज, पहले भी कराए हैं इसने बड़े फैसले
राजनीति में फिर लौटी 'अंतरआत्मा' की आवाज, पहले भी कराए हैं इसने बड़े फैसले

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। महागठबंधन से किनारा करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार शाम जब अपने पद से इस्तीफा दिया तो उन्होंने कहा कि 'अंतरआत्मा' की आवाज पर त्यागपत्र दिया है। उन्होंने कहा- 20 महीने पूरे हुए, लेकिन अब जो चीजें उभरकर सामने आईं अब उस माहौल में मेरे लिए काम करना संभव नहीं है। नीतीश ने जिस तरह से 'अंतरआत्मा' की आवाज पर इस्तीफा दिया, उससे लगता है यह एक बार फिर से लौट आयी है। क्योंकि इतिहास में 'अंतरआत्मा' की आवाज पर ऐसे ही कई और फैसले भी लिए जा चुके हैं।

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सोनिया गांधी की 'अंतरआत्मा' की आवाज

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी एक समय अंतरआत्मा की आवाज पर प्रधानमंत्री का पद ठुकरा दिया था। 'इंडिया शाइनिंग' के रथ पर सवार एनडीए को हराकर यूपीए गठबंधन ने 218 सीटें जीतीं और सीपीआई (एम) व सपा के समर्थन से यूपीए ने बहुमत का जादुई आंकड़ा भी जुटा लिया था। लेकिन प्रश्न यह था कि प्रधानमंत्री कौन बनेगा? क्योंकि चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा छाया रहा था। इसके बावजूद लगभग हर जानकार यही मान रहा था कि सोनिया गांधी देश की दूसरी महिला प्रधानमंत्री बन जाएंगी। लेकिन सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर दिया। उन्होंने इसके पीछे जो कारण बताया वह 'अंतरआत्मा' की आवाज ही था।

हालांकि बाद में विदेश मंत्री रहे नटवर सिंह ने अपनी किताब में खुलासा किया कि सोनियां गांधी ने कोई 'अंतरआत्मा' की आवाज पर प्रधानमंत्री का पद नहीं छोड़ा था। उनका कहना था कि राहुल गांधी ने अपनी मां से प्रधानमंत्री नहीं बनने को कहा था। क्योंकि राहुल गांधी को शक था कि सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने पर उनकी दादी व पिता की तरह मां की भी हत्या हो जाएगी।

14वें राष्ट्रपति का चुनाव और 'अंतरआत्मा' की आवाज

हाल में देश में 14वें राष्ट्रपति के चुनाव संपन्न हुए और एनडीए के उम्मीदवार रहे रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति चुने गए और 25 जुलाई को उन्होंने शपथ भी ले ली। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान दोनों ही उम्मीदवारों ने राज्य विधानसभाओं के विधायकों और संसद सदस्यों को अपने पक्ष में वोट करने की हर संभव कोशिश की। इसी दौरान विपक्षी दलों की उम्मीदवार मीरा कुमार ने सांसदों और विधायकों को अपने पक्ष में करने के लिए उन्हें 'अंतरआत्मा' की आवाज पर मतदान करने का आह्वान किया।

'अंतरआत्मा' की आवाज से वीवी गिरि बने राष्ट्रपति

देश के तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन का अपने कार्यकाल के दौरान ही निधन हो गया। अब उपराष्ट्रपति वीवी गिरि को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया। इसके बाद राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव तय हुए तो कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नीलम संजीव रेड्डी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना दिया। लेकिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी नहीं चाहती थीं कि रेड्डी राष्ट्रपति बनें। उनका इशारा पाकर वीवी गिरि भी कार्यवाहक राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देकर चुनाव में निर्दलीय ही कूद पड़े। इस बीच इंदिरा गांधी ने जनप्रतिनिधियों से कहा कि वे अपनी 'अंतरआत्मा' की आवाज पर मतदान कहें। इसका असर यह हुआ कि सत्तारूढ़ पार्टी का उम्मीदवार होने के बावजूद नीलम संजीव रेड्डी चुनाव हार गए और वीवी गिरि के रूप में देश को अपना चौथा राष्ट्रपति मिला।

अली अनवर की अंतरआत्मा की आवाज नीतीश के साथ नहीं

जदयू प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 'अंतरआत्मा' की बात कहकर बुधवार शाम महागठबंधन से नाता तोड़ा और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके कुछ ही घंटे बाद खबर आयी की अब वह भाजपा के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाएंगे और गुरुवार सुबह एनडीए के मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने शपथ ले भी ली। लेकिन इस बीच उनकी ही पार्टी के सांसद और वरिष्ठ नेता अली अनवर ने इस मामले में नीतीश का साथ छोड़ दिया। अनवर ने कहा, माननीय नीतीश जी ने अपनी 'अंतरआत्मा' की आवाज पर भाजपा के साथ जाने का फैसला किया है, लेकिन मेरा 'जमीर' इसकी इजाजत नहीं देता कि मैं उनके इस कदम का समर्थन करूं। 

वी पी सिंह की अंतरआत्मा की आवाज

1989 में बोफोर्स घोटाले का असर ये हुआ था कि कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई। दिल्ली की गद्दी पर संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी जिसकी अगुवाई वी पी सिंह करते थे। संयुक्त मोर्चा की सरकार इस लिए भी अहम थी कि वामदल और भाजपा ने एक कामन एजेंडे पर वी पी सिंह सरकार को समर्थन देने का ऐलान किया। लेकिन मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के मुद्दे पर भाजपा मे समर्थन में वापस लिया और वी पी सिंह की सरकार में अल्पमत में आ गई। वी पी सिंह ने कहा कि उनकी सरकार को बहुमत हासिल है और वो संसद में विश्वास मत हासिल करेंगे। वी पी सिंह ने सामाजिक बदलाव की बात पर पार्टी लाइन से इतर अंतरआत्मा की आवाज पर सांसदों से सहयोग की अपील की। लेकिन वो विश्वासमत हासिल करने में नाकाम रहे ।


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