Move to Jagran APP

..जब तीन तलाक बिल को कानून मंत्री ने बताया ऐतिहासिक कदम

तीन तलाक से जुड़े बिल को गुरुवार को लोकसभा में पेश किया गया।

By Lalit RaiEdited By: Published: Thu, 28 Dec 2017 01:44 PM (IST)Updated: Thu, 28 Dec 2017 09:09 PM (IST)
..जब तीन तलाक बिल को कानून मंत्री ने बताया ऐतिहासिक कदम
..जब तीन तलाक बिल को कानून मंत्री ने बताया ऐतिहासिक कदम

नई दिल्ली [ स्पेशल डेस्क ]।  लोकसभा में तीन तलाक के संबंधित बिल को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया। विधेयक पेश करते हुए उन्होंने कहा कि ये कानून महिलाओं के अधिकार और न्याय के लिए है, किसी प्रार्थना, धर्म या धार्मिक प्रथाओं से संबंधित नहीं है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कानून मंत्री ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है। हम एक ऐसी व्यवस्था बनाना चाहते हैं जिसमें  मुस्लिम समाज की महिलाएं सम्मान के साथ जिंदगी बिता सकें। इसके साथ ही इस कानून के जरिए दशकों से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को अधिकार देने का प्रावधान किया गया है। ये बात अलग है कि कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने  बिल के कुछ प्रावधानों से ऐतराज जताया। 

prime article banner

बिल के विरोध में विपक्षी

एआइएमआइएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह बिल न केवल मौलिक अधिकारों का हनन करता है। बल्कि कानूनी तौर पर भी कमजोर है।

कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि बिल का सिर्फ इस लिए समर्थन नहीं किया जा सकता है कि सत्ता पक्ष ये समझाने में कामयाब रहा कि तीन तलाक को अपराध घोषित कर किस तरह से महिलाओं को मदद की जा सकती है। अगर किसी शख्स को तीन तलाक कहने के जुर्म में जेल में डाल दिया जाता है तो उसके परिवार का भरण-पोषण कौन करेगा। 

बीजू जनता दल के नेता भर्तुहरि महताब ने कहा कि इस बिल में कई दोष हैं, बिल में ऐसे कई प्रावधान हैं जो आपस में एक दूसरे के विरोधी हैं।

बिल में प्रावधान

-तलाक ए बिद्दत यानि कि एक ही बार में तीन तलाक बोलने पर शौहर को तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
-पीड़ित महिला अपने नाबालिग बच्चों की कस्टडी और गुजारा भत्ते का दावा भी कर सकेगी।
-एक बार में तीन तलाक किसी भी सूरत में गैर कानूनी माना जाएगा। इसमें बोलकर या वाट्सऐप, ईमेल और एसएमएस के जरिए तीन बार तलाक देना शामिल है।
 सुप्रीम कोर्ट के बेंच की राय
तीन जजों के मुताबिक तुरंत ट्रिपल तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत यानी एक बार में तीन तलाक गैर कानूनी और इस्लाम के खिलाफ थे।  यह इस्लाम का हिस्सा नहीं है और इसलिए मुस्लिम इस तरीके से तलाक नहीं ले सकते हैं।अब सवाल यह उठता है कि मुस्लिमों में अब तलाक कैसे होगा? भारतीय मुसलमान दो और तरीकों से तलाक ले सकते हैं: तलाक-ए-एहसन और तलाक-ए-हसना।

तलाक-ए-एहसन- एक बार में एक तलाक बोला, इसके बाद तीन महीने तक इंतजार किया। इस दौरान अगर पति-पत्नी के बीच सुलह हो जाए तो तलाक नहीं होगा। अगर सुलह नहीं हुई तो तीन महीने के बाद तलाक हो जाएगा।

तलाक-ए-हसना- पत्नी के मासिक धर्म के बाद तलाक बोला, इसके बाद अगले मासिक धर्म के बाद तलाक बोला और फिर तीसरे महीने के मासिक धर्म के बाद तलाक बोला। इस तरह तीन महीने तक लगातार तलाक बोलने के बाद तलाक हो जाएगा।


इन महिलाओं ने लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाया

शायरा बानो
35 वर्षीय शायरा बानो की शादी इलाहाबाद के रहने वाले वाले रिजवान अहमद से हुई थी। वह मूल रूप से उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली हैं। शादी के बाद 15 साल बाद उनके पति ने 2015 में तीन तलाक बोलकर रिश्ता खत्म कर दिया। इसके बाद शायरा ने 2016 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अपनी याचिका में उन्होंने तलाक-ए बिदत, बहुविवाह और निकाह हलाला को गैरकानूनी घोषित करने की मांग की। शायरा के दो बच्चेा भी हैं।


इशरत जहां

30 वर्षीय इशरत जहां पश्चिम बंगाल के हावड़ा की रहने वाली हैं। उनके पति ने दुबई से ही फोन पर तलाक देकर रिश्ताी खत्म् कर दिया। इसके बाद उन्होंैने 2016 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। उनके चार बच्चे हैं। उन्होंाने अपने पति पर बच्चों को जबरन अपने पास रखने का आरोप लगाया है। इशरत के पति दूसरी शादी कर ली है। उन्होंंने अपनी याचिका में बच्चों को वापस दिलाने और पुलिस सुरक्षा दिलाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि तीन तलाक गैरकानूनी है और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन है।

जाकिया सोमन
जाकिया सोमन भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की संस्थापक हैं। उनकी संस्था ने लगभग 50 हज़ार मुस्लिम महिलाओं के हस्ताक्षर वाला एक ज्ञापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा था। ज्ञापन में तीन तलाक को ग़ैर क़ानूनी बनाने की मांग की गई थी। इस पर मुस्लिम समाज के कई पुरुषों ने भी हस्ताक्षर किए थे। यह संस्था पिछले 11 सालों से मुस्लिम महिलाओं के बीच काम कर रही है।

आफरीन रहमान
राजस्थान के जयपुर की रहने वालीं 26 वर्षीय आफरीन रहमान ने एक मैट्रिमोनियल पोर्टल के जरिए 2014 में शादी की थी। हालांकि दो-तीन महीने बाद ही उनके ससुराल वालों ने दहेज को लेकर मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। इसके बाद वह अपने माता-पिता के पास वापस लौट आईं। पिछले साल मई में उन्हें स्पीाड पोस्टन के जरिए एक खत मिला, जिसमें तलाक का एलान किया गया था। इसके बाद उन्होंनने कोर्ट का रुख किया।

गुलशन परवीन
उत्तनर प्रदेश के रामपुर की रहने वालीं 31 वर्षीय गुलशन परवीन ने 2013 में शादी की थी और दो साल तक दहेज को लेकर घरेलू हिंसा का शिकार होती रहीं। इसके बाद 2015 में उन्हेंप 10 रुपए के एक स्टादम्पक पेपर पर पति की तरफ से तलाकनामा मिला।

ऐसी ही कई और मुस्लिम महिलाएं हैं, जिन्होंदने तीन तलाक के खिलाफ कोर्ट का रुख किया और अंजाम सबके सामने है। पिछले कुछ समय में कई मुस्लिम महिलाएं खुलकर इस प्रथा के विरोध में खड़ी हो गई हैं। आज जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो कुछ महिलाओं ने मिठाइयां बांटकर खुशी मनाई और फैसले की सराहना की।

तीन तलाक पर बेंच में थे मतभेद

चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर जहां तीन तलाक की प्रथा पर छह माह के लिए रोक लगाकर सरकार को इस संबंध में नया कानून लेकर आने के लिए कहने के पक्ष में थे, वहीं जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस यूयू ललित ने इस प्रथा को संविधान का उल्लंघन करार दिया। बहुमत वाले इस फैसले में कहा गया कि तीन तलाक समेत हर वो प्रथा अस्वीकार्य है। तीन जजों ने यह भी कहा कि तीन तलाक के जरिए तलाक देने की प्रथा स्पष्ट तौर पर स्वेच्छाचारी है। यह संविधान का उल्लंघन है और इसे हटाया जाना चाहिए।

इन देशों में भी लगा है प्रतिबंध

तीन तलाक के ऊपर दुनिया के कई देशों ने प्रतिबंध लगाया हुआ है। इनमें एल्जिरिया, बांग्लादेश, ब्रुनेई, साइप्रस, इजिप्ट, इंडोनेशिया, इरान, इराक, जोर्डन, मलेशिया, पाकिस्तान, श्रीलंका, सीरिया, ट्यूनिशिया, तुर्की और यूएई शामिल है। अब दुनिया के इन देशों की सूची में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तीन तलाक को असंवैधिक करार देने के बाद भारत भी शामिल हो गया है।
 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.