Move to Jagran APP

यह खास बैंक मिटाता है भूख, यहां खोलें खाता

भूख अपने आप में एक ऐसा शब्द है जो पूरी कहानी बयान करता है। भूखे को अन्न और प्यासे को जल हमारी संस्कृति का हिस्सा है। आज कई लोग ऐसे हैं जो भूखे को मुफ्त अन्न मुहैया करा रहे हैं।

By Digpal SinghEdited By: Published: Thu, 13 Jul 2017 12:02 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jul 2017 12:57 PM (IST)
यह खास बैंक मिटाता है भूख, यहां खोलें खाता
यह खास बैंक मिटाता है भूख, यहां खोलें खाता

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। जिंदा रहने के लिए भूख मिटाना जरूरी है और भूख मिटाने के लिए रोटी। मतलब रोटी हम सबकी जरूरत है। लेकिन सभी को रोटी नसीब नहीं होती। खासकर भारत जैसे देश में जहां गरीबी और अमीरी के बीच की खाई इतनी बड़ी है, वहां समाज का एक बड़ा वर्ग भूखे पेट सोता है। यहां समाज का एक वर्ग ऐसा भी है जो खाने की बर्बादी करता है और एक वर्ग इसी खाने से वंचित भी रह जाता है। इस वंचित वर्ग को रोटी नसीब भी होती है तो बड़ी मुश्किलों से। कई बार तो आपने भी कुछ लोगों को कूड़े में से खाने की चीजें बीन कर खाते हुए देखा होगा। जिस देश में अमीर और गरीब के बीच इतना अंतर हो, उस देश में गरीबों के लिए कुछ लोग मसीहा बनकर भी सामने आते हैं।

ये बैंक हैं अनोखे
वंचित वर्ग की भूख शांत करने के लिए देश के कई शहरों में रोटी बैंकों की श्रंखलाएं खुल गई हैं। हमारे देश में तो 'भूखे पेट भजन न होय गोपाला' जैसी कहावतें हैं। जब इंसान भूखा होता है तो वह भगवान में भी ध्यान नहीं लगा पाता, फिर वह देश और समाज के लिए योगदान दे इसकी तो उम्मीद करना ही बेइमानी है। इस मामले में रोटी बैंकों की भूमिका खास है। यह रोटी बैंट समाज के एक बड़े वंचित वर्ग का पेट भरने के लिए खासी मेहनत करते हैं।

कैसे काम करते हैं रोटी बैंक
देश के अलग-अलग हिस्सों में रोटी बैंकों की श्रंखलाएं चल रही है। वैसे बता दें कि ज्यादातर रोटी बैंक आपस में जुड़े हुए भी नहीं हैं। यह अलग-अलग लोगों की व्यक्तिगत पहल का नतीजा हैं। लेकिन इन लोगों की समाज के प्रति एक जैसी सोच का नतीजा यह है कि बहुत से लोगों को अब भूखे पेट नहीं रहना पड़ता। यह रोटी बैंक समाज के उस वर्ग से रोटी और सब्जी इकट्ठा करते हैं, जो सक्षम हैं। इसके बाद वंचित वर्ग के लोगों तक रोटी पहुंचाई जाती है, ताकि उन्हें भी कुछ पोषण मिल सके और भूखे पेट न सोना पड़े। इस बारे में Jagran.Com ने दक्षिण दिल्ली में रोटी बैंक चलाने वाली अमित कौर पुरी से बात की।

loksabha election banner

यह भी पढ़ें: चीन की धमकी उसके उत्पादों की तरह, भारत पर नहीं कर सकता हमला

अमित कौर पुरी ने बताया कि कैसे उन्होंने कुछ वंचित वर्ग के बच्चों को कूड़े में से खाने की चीजें बीनकर खाते हुए देखा और उनको रोटी बैंक बनाने का आइडिया आया। वह याद करते हुए बताती हैं कि शुरुआत में तो उन्होंने खुद से ही घर में रोटियां बनाकर लोगों में बांटनी शुरू की थीं। उन्होंने बताया कि वह एक पैकेट में दो रोटी, सूखी सब्जी या आचार डाल देती थीं। वह बताती हैं कि उन्होंने अपने क्षेत्र में ऐसे इलाकों तक रोटी के पैकेट पहुंचाए, जहां गरीबी के कारण लोग भूखे रह जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वह अस्पतालों के आसपास भी गरीब मरीजों के तामीरदारों तक रोटी पहुंचाती हैं।

कहां से आती हैं रोटियां
अमित कौर बताती हैं कि किसी रोटी बैंक में बासी खाना नहीं दिया जाता। इसके लिए सुबह 11 बजे तक स्थानीय सक्षम लोगों से रोटी पैकेट इकट्ठा किए जाते हैं और उसके बाद उनका वितरण किया जाता है। वह बताती हैं कि उन्होंने अपने ही घर से 6 पैकेट के साथ शुरुआत की थी और अधिकतम 200 रोटी पैकेट उन्होंने गरीब वंचित लोगों में बांटे हैं। वह बताती हैं कि दक्षिण दिल्ली के नेब सराय इलाके में वह औसतन 150 रोटी पैकेट हर दिन वितरित करवाती हैं।

ऑल इंडिया रेडियो लखनऊ में आरजे शालिनी भी ऐसी ही एक मुहिम से जुड़ी हैं। शालिनी ने इसके लिए एक वीडियो भी बनाया है जो आप नीचे देख सकते हैं।

यह भी पढ़ें: 'तुम्हारा स्कूल यौन हिंसा का चिड़ियाघर और मैं उसकी पहली शिकार'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.