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गरीब लोगों का अमीर देश बना भारत, मायानगरी मुंबई टॉप पर

हम दुनिया के अमीर शहरों की बात करेंगे। लेकिन बात कर लेते हैं अमीरी और गरीबी की खाई के बारे में...

By Digpal SinghEdited By: Published: Tue, 13 Feb 2018 01:37 PM (IST)Updated: Tue, 13 Feb 2018 05:40 PM (IST)
गरीब लोगों का अमीर देश बना भारत, मायानगरी मुंबई टॉप पर
गरीब लोगों का अमीर देश बना भारत, मायानगरी मुंबई टॉप पर

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। दुनिया में तीन तरह के लोग रहते हैं। एक वे हैं जो दाने-दाने को मोहताज हैं यानी गरीबी उनके साथ ऐसे चिपकी है कि छुटाए नहीं छूट रही। दूसरे वे हैं जो किसी तरह गरीबी को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहे हैं और अपने रहने-खाने का जुगाड़ कर लेते हैं। इन्हें मिडिल क्लास कहा जाता है। तीसरे वे लोग हैं जिनके पास कितनी दौलत है, शायद वे खुद भी नहीं जानते। इन्हें अल्ट्रा रिच कहा जाता है। लेकिन इसमें सबसे दुख की बात यह है कि अमीर दुनिया में अल्पसंख्यक हैं और गरीबों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही। आज हम दुनिया के अमीर शहरों की बात भी करेंगे। लेकिन बात कर लेते हैं अमीरी और गरीबी की खाई के बारे में...

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10 फीसद लोगों के पास 88 फीसद दौलत

फाइनेंशियल सर्विस कंपनी क्रेडिट सुइस की ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की आधी दौलत सिर्फ 1 फीसद अमीरों के पास है। जिन 1 फीसद लोगों की हम यहां बात कर रहे हैं उनमें बिल गेट्स, वारेन बफे, जेफ बेजोस, जैक मा, मुकेश अंबानी, मार्क जुकरबर्ग और लैरी पेज जैसे कुछ गिने-चुने उद्योगपति हैं। यह आंकड़ा और भी चौंकाने वाला तब हो जाता जब पता चलता है कि धरती पर मौजूद करीब 88 फीसद दौलत पर सिर्फ 10 फीसद अमीर लोगों का कब्जा है। करीब 7 अरब की जनसंख्या में से बाकी की 90 फीसद जनसंख्या बची हुई करीब 12 फीसद दौलत पर किसी तरह गुजारा करती है।

भुखमरी के करीब दुनिया के साढ़े तीन अरब लोग

क्रेडिट सुइस की ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की जनसंख्या में करीब साढ़े तीन अरब जनसंख्या बेहद गरीबी में जी रही है। दुनिया की आबादी में 50 फीसद हिस्सेदारी रखने वाली इस जनसंख्या के पास दुनिया की कुल संपत्ति का सिर्फ 2.7 फीसद ही दौलत है। इस रिपोर्ट में और भी चिंताजनक बात यह है कि यह जनसंख्या तेजी से बढ़ भी रही है, जिसका असर इसकी औसत संपत्ति के घटने के रूप में सामने आ रहा है।

भारत के ऐसे हैं हालात

अंतरराष्ट्रीय राइट्स समूह ऑक्सफेम ने हाल ही में दावोस में आयोजित एक सम्मेलन में अपना सर्वे पेश किया। इस सर्वे के अनुसार भारत में साल 2017 में कुल संपत्ति के सृजन का 73 फीसद हिस्सा सिर्फ 1 फीसद अमीर लोगों के हाथों में रहा। देश में आय की असमानता की यह तस्वीर बेहद चिंताजनक है। यह सर्वे रिपोर्ट बताती है कि सवा अरब की जनसंख्या वाले भारत में करीब 67 करोड़ लोगों की संपत्ति में सिर्फ 1 फीसद की वृद्ध हुई है। भारत में कुल संपत्ति का 58 फीसद हिस्सा 1 फीसद अमीरों के पास है, जबकि वैश्विक स्तर पर देखें तो 1 फीसद के पास 50 फीसद दौलत है।

ये है भारत में अरबपति बनने की रफ्तार

भारत के संबंध में ऑक्सफेम की सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल यानि साल 2017 में 17 नए अरबपति बने हैं। इसी के साथ भारत में अरबपतियों की संख्या 101 हो गई है। 2017 में भारतीय अमीरों की संपत्ति 4.89 लाख करोड़ बढ़कर 20.7 लाख करोड़ हो गई। यह 4.89 लाख करोड़ कई राज्यों के शिक्षा और स्वास्थ्य बजट का 85% है।

दुनिया के 6 सबसे अमीर देशों में भारत

पिछले माह न्यू वर्ल्ड वेल्थ संगठन ने सबसे अमीर देशों की सूची जारी की थी। इस सूची में 8,230 अरब डॉलर के साथ भारत छठे स्थान पर था। 64,584 अरब डॉलर संपत्ति के साथ अमेरिका पहले पायदान पर था। भारत में 20.7 हजार करोड़पति हैं, जो कि विश्व में सातवें सर्वाधिक हैं। देश में 119 अरबपति हैं, जो अमेरिका और चीन के बाद सबसे ज्यादा हैं।

दुनिया का 12वां सबसे अमीर शहर आमची मुंबई

दक्षिण अफ्रीकी ग्लोबल मार्केट रिसर्च ग्रुप न्यू वर्ल्ड वेल्थ ने रविवार 11 फरवरी को दुनिया के सबसे अमीर 15 शहरों की सूची जारी की है। इसके मुताबिक भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई 950 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ दुनिया का 12वां सबसे अमीर शहर है। इस सूची में न्यूयॉर्क पहले पायदान पर है। अरबपतियों की संख्या के मामले में भी मुंबई दुनिया के शीर्ष दस शहरों में है। यहां 28 अरबपति रहते हैं। दुनिया का 12वां सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भी मुंबई में है। वित्तीय सेवा, रियल एस्टेट और मीडिया शहर की अन्य प्रमुख इंडस्ट्री हैं।

तेजी से अमीर हो रही है मुंबई

इन 15 शहरों में से सैन फ्रांसिस्को, बीजिंग, शंघाई, मुंबई और सिडनी सबसे तेजी से अमीर हो रहे हैं। पिछले दस सालों में यहां तेज गति से संपत्ति में इजाफा हुआ है।

कुल दौलत की गणना का पैमाना

शहरों की कुल दौलत वहां के प्रत्येक व्यक्ति की निजी दौलत को मिलाकर बनती है। लोगों की संपत्ति, नकद, व्यापार में निवेश, इक्विटी में से देय राशि को हटाकर जो पूंजी बचती है वह इसमें शामिल की जाती है। रिपोर्ट में सरकारी फंड शामिल नहीं हैं।


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