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एचबीटीयू में कमाल, पेड़ों के पत्ते और छाल से पीने लायक बनेगा गंदा पानी

पतझड़ में गिरने वाली पत्तियां, छाल व सूखी जड़ों के वेस्ट मैनेजमेंट का एक्टिवेटेड कार्बन बनाना अच्छा तरीका है। यह ग्रामीणों के लिए सस्ता फिल्टर भी साबित हो सकता है।

By Digpal SinghEdited By: Published: Mon, 17 Jul 2017 01:44 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jul 2017 01:50 PM (IST)
एचबीटीयू में कमाल, पेड़ों के पत्ते और छाल से पीने लायक बनेगा गंदा पानी
एचबीटीयू में कमाल, पेड़ों के पत्ते और छाल से पीने लायक बनेगा गंदा पानी

कानपुर, [स्पेशल डेस्क]। भूजल के बढ़ते प्रदूषण से निजात की एक नई राह मिलती नजर आ रही है। कानपुर में हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) के छात्रों ने सूखकर गिर जाने वाली पत्तियों से ‘एक्टिवेटेड कार्बन’ बनाने का फार्मूला तैयार किया है, जो दूषित पानी को पीने योग्य बनाने का काम करेगा। इसमें पीपल, आम, बबूल की छाल और पत्तियां फिल्टर का काम करेंगी। इस शोध की विशेषता यह है कि केमिकल से बनने वाले एक्टिवेटेड कार्बन की तुलना में नए प्रयोग को अधिक क्षमतावान पाया गया है। आर्गेनिक वेस्ट मैटीरियल से बनने के कारण यह एक्टिवेटेड कार्बन सस्ता भी होगा।

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केमिकल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष प्रो. एसके गुप्ता के निर्देशन में एमटेक व पीएचडी के छात्रों ने पत्तियों, छाल, जड़ को ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में एक निश्चित तापमान में फर्निश में गरम करने के बाद एक्टिवेटेड कार्बन प्राप्त किया है। यह कार्बन लेदर इंडस्ट्री के पानी में घुले क्रोमियम, ग्राउंड वाटर में घुले फ्लोराइड व कपड़ों की इंडस्ट्री से निकलने वाले पानी में घुले आर्सेनिक को अलग करने की क्षमता रखता है। फूड इंडस्ट्री के पानी को भी इससे ट्रीट करके पीने योग्य बनाया जा सकेगा। छात्रों की टीम ने ग्राउंड वाटर में फ्लोराइड छानने के उद्देश्य से यह शोध कार्य शुरू किया था। 

उन्नाव के ग्राउंड वाटर पर प्रयोग रहा सफल

केमिकल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष प्रो. एसके गुप्ता ने बताया कि उन्नाव के ग्राउंड वाटर में फ्लोराइड की मात्रा बहुत अधिक है। टीम ने सबसे पहले यहां फ्लोराइड छानने के लिए पीपल, आम व बबूल के पत्तों से ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अलग-अलग तापमान में रासायनिक अभिक्रिया से एक्टिवेटेड कार्बन प्राप्त किया। इसका प्रयोग एचबीटीयू की केमिकल इंजीनियरिंग की लैब में ग्राउंड वाटर से फ्लोराइड को अलग करने में किया गया, जो सफल रहा। प्रो. गुप्ता ने बताया कि एक्टिवेटेड कार्बन को पत्तियों व छाल से काफी कम मूल्य में प्राप्त किया जा सकता है।

वेस्ट मैनेजमेंट के साथ सस्ता मिलेगा फिल्टर

पतझड़ में गिरने वाली पत्तियां, छाल व सूखी जड़ों के वेस्ट मैनेजमेंट का यह अच्छा तरीका है। इससे बनने वाला एक्टिवेटेड कार्बन ग्रामीणों के लिए सस्ता फिल्टर भी साबित हो सकता है। केमिकल फिल्टर की अपेक्षा 30 फीसद कम कीमत पर इसे तैयार किया जा सकता है।


कैंपस में गिरने वाले पत्तों को देखकर आया आइडिया

एचबीटीयू कैंपस में लगे पेड़ों के पत्ते लगातार गिरते रहते हैं। एमटेक के छात्रों ने प्रो. एसके गुप्ता के निर्देशन में इन पत्तों के इस्तेमाल से एक्टिवेटेड कार्बन बनाने पर शोध कार्य किया।

इनोवेशन सेंटर के एसोसिएट डीन और प्रोजेक्ट निदेशक प्रो. एसके गुप्ता ने बताया, स्टार्टअप के अंतर्गत बनने वाली कंपनियां और इनोवेशन सेंटर के पासआउट छात्र आम आदमी तक नई तकनीक पहुंचाने के लिए काम करेंगे। उम्मीद है कि साल भर के अंदर पत्तों व छाल से बनने वाले एक्टिवेटेड कार्बन से पानी साफ करने की तकनीक आम आदमी तक पहुंच जाएगी।

- विक्सन सिक्रोड़िया

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