Move to Jagran APP

...और उस दिन ढाई लाख लोगों की मौत का कारण बन गया था हिमालय!

26 दिसंबर 2004 को सुमात्रा में भूकंप के बाद आयी सुनामी ने हिंद महासागर से लगे 14 देशों में ढाई लाख लोगों की जान ले ली थी। इस सुनामी के लिए हिमालय को जिम्मेदार माना जाता है।

By Digpal SinghEdited By: Published: Fri, 21 Jul 2017 01:29 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jul 2017 03:36 PM (IST)
...और उस दिन ढाई लाख लोगों की मौत का कारण बन गया था हिमालय!
...और उस दिन ढाई लाख लोगों की मौत का कारण बन गया था हिमालय!

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। उत्तर में हिमालय और दक्षिण हिंद महासागर यह दो भारत के प्राकृतिक रक्षक हैं। हिमालय से निकलने वाली तमाम नदियां अरब सागर या बंगाल की खाड़ी के जरिए हिंद महासागर में खत्म होती हैं। इससे ज्यादा संबंध इन दोनों का शायद ही कुछ नजर आता हो। ऐसे में अगर कोई कहे कि हिंद महासागर में आने वाली सुनामी का संबंध हिमालय से है तो पहली बार में शायद ही किसी को यकीन हो। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 26 दिसंबर 2004 में जो सुनामी आयी थी, उसके लिए हिमालय ही जिम्मेदार था। यह हम नहीं कह रहे, एक रिसर्च के बाद वैज्ञानिकों की टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची है।

loksabha election banner

कितनी भयावह थी 26 दिंसबर 2004 की सुनामी?

इस तारीख को अंतरराष्ट्रीय समयानुसार रात 00:58:53 बजे इंडोनेशिया में सुमात्रा द्वीप के पश्चिमी छोर पर 9.2 तीव्रता का भूकंप आया था। इस भूकंप की वजह से हिंद महासागर में सुनामी की जबरदस्त (100 फीट तक) लहरें उठीं। इस सुनामी के कारण 14 देशों में करीब ढाई लाख लोगों की जान चली गई थी। यह सुनामी मानव इतिहास की सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक थी। इसकी वजह से सबसे ज्यादा नुकसान इंडोनेशिया को हुआ, इसके बाद श्रीलंका, भारत और थाइलैंड में तबाही मची। 

250,000 लोगों की मौत का गुनहगार 'हिमालय'!

नेशनल सेंटर फॉर अंटार्कटिक एंड ओसन रिसर्च सहित वैज्ञानिकों का एक दल यह पता लगाना चाहता था कि इतने भयावह भूकंप और सुनामी की आखिर क्या वजह रही और उन्हें इसका जवाब मिला - 'हिमालय'। इस शोध के नतीजे पत्रिका जर्नल साइंस के 26 मई के अंक में प्रकाशित हुए थे। सुमात्रा भूकंप का केंद्र हिंद महासागर में 30 किलोमीटर की गहराई में रहा, जहां भारत की टेक्टोनिक प्लेट आस्ट्रेलिया की टेक्टोनिक प्लेट के बॉर्डर को टच करती है।

नदियों में बहकर आने वाली तलछट बड़ा कारण

पिछले कई सौ वर्षों से हिमालय और तिब्बती पठार से कटने वाली तलछट गंगा और अन्य नदियों के जरिए हजारों किलोमीटर तक का सफर तय कर हिंद महासागर की तली में जाकर जमा हो जाती हैं। वैज्ञानिकों का मानना था कि ये तलछट प्लेटों के बॉर्डर पर भी इकट्टा हो जाती हैं, जिसे सब्डक्शन जोन भी कहते हैं जो भयावह सुनामी का कारण बनती हैं। लेकिन इंडोनिशिया और हिंद महासागर के बीच की प्लेट के नमूनों की जांच से अलग ही कहानी बयां होती है। 

यह भी पढ़ें: रह रह कर धधक रही महागठबंधन में आग, JDU-RJD कब तक निभाएंगे साथ!

शोध टीम ने समुद्र तल में 1.5 किलोमीटर नीचे खुदाई कर टेक्टोनिक प्लेट पर जमने वाले इन तलछटों और चट्टानों के नमूने इकट्ठा किए और यह जानने की कोशिश कि सब्डक्शन जोन में जमा होने पर इनका क्या निष्कर्ष निकलता है। शोधकर्ताओं को इस पूरी प्रक्रिया के दौरान तापमान बढ़ने और अत्यधिक उष्मा निकलने का पता चला जो भूकंप और उसके बाद सुनामी आने का कारण बनता है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, इन निष्कर्षों से अन्य स्थानों पर भी सब्डक्शन जोन का पता चला है जिनमें मोटी, गर्म तलछट और चट्टानें शामिल हैं, ठीक उत्तरी अमेरिका और मकरान जैसी जो ईरान और पाकिस्तान के बीच अरब सागर में है। बेंगलुरू में जवाहरलाल नेहर सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च के लिए सुनामी भूविज्ञान के विशेषज्ञ सी.पी.राजेंद्रन ने कहा, 'शोधकर्ताओं का कहना है कि सब्डक्शन जोन में तलछट का स्तर बढ़ने से सुनामी से होने वाली तबाही का स्तर भी बढ़ जाता है।'

अब तक का तीसरा सबसे बड़ा भूकंप

सुमात्रा में आया वह भूकंप सिस्मोग्राफ पर रिकॉर्ड किया गया अब तक का तीसरा सबसे बड़ा भूकंप था। यही नहीं यह सबसे लंबे समय तक (8.3 से 10 मिनट तक चला) भूकंप था। इस भूकंप की तीव्रता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जाता है कि इसकी वजह से पूरी पृथ्वी 1 सेंटीमीटर तक वाइब्रेट हुई थी। इसकी वजह से अलास्का में एक और भूकंप आ गया था। बता दें कि इंडोनेशिया भूकंप के लिहाज से सबसे खतरनाक जोन में बसा है। यह पैसिफिर रिंग ऑफ फायर क्षेत्र में आता है।

यह भी पढ़ें: 16,36,75,45,861 रुपये में बिकेगा ये खिलाड़ी, होने जा रही है वर्ल्ड रिकॉर्ड डील !

- साथ में एजेंसी इनपुट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.