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गरीब, किसान और गांवों के लिए जेटली की पोटली से निकला ये सब

लगातार दूसरे साल बजट में मोदी सरकार का ध्यान गांव, ग्रामीण इलाकों, गरीबों और किसानों की ओर रहा है।

By Digpal SinghEdited By: Published: Thu, 01 Feb 2018 02:29 PM (IST)Updated: Thu, 01 Feb 2018 03:19 PM (IST)
गरीब, किसान और गांवों के लिए जेटली की पोटली से निकला ये सब
गरीब, किसान और गांवों के लिए जेटली की पोटली से निकला ये सब

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v style="text-align: justify;">नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अगले आम चुनाव से पहले यह अंतिम पूर्ण बजट था। इस बजट से उम्मीदें थीं कि यह लोकलुभावन होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बावजूद लगातार दूसरे साल मोदी सरकार का ध्यान गांव, ग्रामीण इलाकों, गरीबों और किसानों की ओर रहा। यह हम यूं ही नहीं कह रहे। यह बात कहने के लिए हमने पिछले साल के बजट की मुख्य बातों पर भी एक बार फिर से नजर दौड़ाई और इस बार के बजट भाषण को भी गौर से देखा। वैसे भी पीएम मोदी कहते रहे हैं कि उनकी सरकार की नीतियां दलित, पीड़ित, सोशित, वंचित और मजदूर वर्ग के लिए हैं...

इस बार के बजट में किसानों के लिए क्या?

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में बताया कि देश में कृषि उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा, किसानों को उनकी फसल का उचित दाम दिलाने के लिए सरकार काम कर रही है। पशुओं के संवर्धन के लिए गोवर्धन योजना चलाई जाएगी। पशु और मछली पालन के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का फंड वित्त मंत्री ने अलग से रखा है। उन्होंने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को एक बार फिर रेखांकित किया।

इसके अलावा नया ग्रामीण बाजार ई-नैम बनाने का ऐलान भी किया गया। उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर विशिष्ट कृषि उत्पादन का कलस्टर मॉडल विकसित किया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने किसानों को क्रेडिट कार्ड देने की भी बात कही। वित्त मंत्री ने खुशी के साथ बताया कि खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को 1.5 गुना किया गया है।

कृषि से जुड़े बिजनेस को मिलेगा बढ़ावा

वित्त मंत्री ने अपने बजट में फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के लिए 1400 करोड़ का प्रावधान किया है। उन्होंने ऑर्गेनिग फार्मिंग पर जोर देने की बात भी की। आलू और प्याज के उत्पादन के लिए ऑपरेशन ग्रीन लान्च करने की बात करते हुए उन्होंने इसके लिए 500 करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने बताया कि कृषि बाजार के विकास के लिए 2000 करोड़ रुपये की राशि का आवंटित की जाएगी। जिला स्तर पर विशिष्ट कृषि उत्पादन कलस्टर मॉडल विकसित करने की भी बात उन्होंने की।

इसके अलावा 42 मेगा फूड पार्क बनाने, बांस की पैदावार बढ़ाने के लिए 590 करोड़ रुपये देने की भी बात वित्त मंत्री ने की। उन्होंने घोषणा की कि गांवों में 22 हजार हाटों को कृषि बाजार में तब्दील किया जाएगा। सोलर पावर को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने कहा कि अतिरिक्त सौर ऊर्जा को सरकार खरीदेगी। खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के लिए उन्होंने आवंटन राशि दोगुना करने की बात कही है। वित्त मंत्री ने उज्ज्वल भविष्य के सपने दिखाते हुए बताया कि कृषि उत्पादों के निर्यात को 100 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। 

गरीबों के लिए जेटली की पोटली से क्या निकला

वित्त मंत्री ने साल 2022 तक हर गरीब को घर देने के लक्ष्य को एक बार फिर दोहराया। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में 37 लाख मकान बनाने की मंजूरी दी गई है। स्वच्छता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए अरुण जेटली ने बताया कि 2018-19 में सरकार का लक्ष्य 2 करोड़ शौचालय बनाने का है। यही नहीं उन्होंने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत 6 करोड़ शौचालय बन चुके हैं।

वित्त मंत्री ने बताया कि 4 करोड़ परिवारों तक 16000 करोड़ रुपये की लागत से बिजली पहुंचाई जाएगी। उन्होंने अपनी सरकार की पीठ थपथपाते हुए बताया कि 5 करोड़ गरीब महिलाओं को उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य़ था, अब इस लक्ष्य को 8 करोड़ कर दिया गया है। अनुसूचित जातियों के विकास के लिए 56619 करोड़ रुपये और जनजातियों के विकास के लिए 39135 करोड़ रुपये का आवंटन इस बजट में किया गया है। इसके अलावा जनजातियों के विकास के लिए 32000 करोड़ रुपये की राशि का आवंटन किया जाएगा।

पिछले बजट में क्या था खास...

- मनरेगा को नए तरीके से किसानों के समक्ष ले जाने की बात वित्त मंत्री ने की थी, ताकि उनका आय बढ़ सके। साथ ही कृषि विकास दर 1.4 फीसद होने का अनुमान की बात भी उन्होंने कही थी।

- साल 20017-18 के बजट में जेटली ने मनरेगा के लिए 48,000 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की थी। वर्ष 2016-17 में इस योजना के तहत मिलने वाली राशि करीब 37,000 करोड़ रुपये थी।

- फसल बीमा अब 30 फीसद की बजाय 40 फीसद करने का ऐलान वित्त मंत्री ने किया था।

- फसलों के बीमा का कवरेज 50 फीसदी तक बढ़ाने की बात जेटली ने अपने बजट भाषण में की थी।

- छोटे एवं सीमांत किसानों की मदद के लिए 1900 करोड़ रुपये खर्च किए करने की बात कही गई थी और इसमें राज्यों की भी भागीदारी है।

- 2019 तक एक करोड़ परिवारों को गरीबी रेखा से बाहर लाने का लक्ष्य रखा सरकार ने रखा था।

- नाबार्ड के तहत सिंचाई के लिए 40 हजार करोड़ रुपये की घोषणा की गई थी।

- 5 साल में किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था।

- डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 8 हजार करोड़ रुपये के मिल्क प्रोसेसिंग फंड की स्थापना की बात वित्त मंत्री ने पिछले बजट में की थी।


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