हर लिहाज से पाकिस्तान से आगे निकल गया है आज का बांग्लादेश
अपने जन्म के समय बांग्लादेश दाने-दाने के लिए मोहताज था, लेकिन आज सारे संसार में उसकी प्रशंसा हो रही है।
डॉ. गौरीशंकर राजहंस। इन दिनों ब्रिटेन और अमेरिका के प्रमुख समाचारपत्रों में इस बात की चर्चा हो रही है कि 1971 में पाकिस्तान से लड़कर आजादी प्राप्त करने के बाद बांग्लादेश हर दृष्टिकोण से फूला-फला है और पाकिस्तान की तुलना में इसकी अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत हुई है। इन लेखों में 1971 की बांग्लादेश की आजादी की घटना का विस्तार से जिक्र किया गया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि जब 1971 में बांग्लादेश युद्ध हुआ तो उसे पूरी तरह भारत की मदद के कारण ही आजादी मिल सकी थी। चुनाव में भारी विजय मिलने के बाद बंग बंधु शेख मुजिबुर्रहमान को गिरफ्तार कर पश्चिम पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान) ले जाया गया था।
पश्चिम पाकिस्तान की फौज पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में जुल्म ढा रही थी। लाखों की संख्या में पूर्वी पाकिस्तानी भागकर निकटवर्ती भारतीय प्रांतों में खासकर पश्चिम बंगाल और असम में आ रहे थे। इससे भारत के सीमित संसाधनों पर बहुत बुरा असर पड़ रहा था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पश्चिम के कई देशों का दौरा किया और उनको समझाने का प्रयास किया कि पश्चिमी पाकिस्तान जिस तरह से पूर्वी पाकिस्तान की जनता पर अमानवीय जुल्म कर रहा है उससे भारत को भयानक खतरा पैदा हो गया है, परंतु किसी भी देश ने इंदिरा गांधी के संग सहानुभूति दिखाने का प्रयास नहीं किया। अंत में लाचार होकर इंदिरा गांधी ने सेना के तत्कालीन प्रमुख मानेक शॉ को पूर्वी पाकिस्तान को आजाद कराने का आदेश दे दिया।
इंदिरा गांधी पूर्वी पाकिस्तान से लाखों की संख्या में आने वाले शरणार्थियों से तंग आ गई थीं। इसलिए वे चाहती थीं कि जितनी जल्दी संभव हो पूर्वी पाकिस्तान में सैनिक अभियान शुरू किया जाए, परंतु जनरल मानेक शॉ ने उन्हें समझाया कि अभी मानसून का सीजन है। ऐसे में यदि कोई सैनिक अभियान शुरू किया गया तो भारत की फौज अकारण ही पूर्वी पाकिस्तान में फंस जाएगी। इसलिए थोड़ा धीरज रखकर सैनिक अभियान शुरू किया जाए। इंदिरा गांधी ने मानेक शॉ की बात मान ली और कुछ समय बाद भारतीय सेना को ‘मुक्ति वाहिनी’ के रूप में लड़ने के लिए पूर्वी पाकिस्तान भेज दिया। उस युद्ध में लाखों निर्दोष लोग मारे गए। अंत में अपनी हार मानकर पाकिस्तान ने बांग्लादेश से हट जाना ही उचित समझा। भारत के अथक प्रयासों के कारण शेख मुजिबुर्रहमान को पाकिस्तान ने रिहा कर दिया। वे बांग्लादेश के प्रथम प्रधानमंत्री बने, परंतु देश के गद्दारों ने कुछ महीनों के बाद ही उनकी हत्या कर दी। देश में भारी उथल-पुथल हुई। कई बार सैनिक शासन लगाया गया। बाद के वर्षों में शेख हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं।
युद्ध के पहले पूर्वी पाकिस्तान ने एक भयानक प्राकृतिक आपदा झेली थी। 1970 में उस क्षेत्र में भयानक समुद्री तूफान आया था जिसमें लाखों लोगों की असमय मृत्यु हो गई थी। उस तूफान के कारण बांग्लादेश में सड़क और रेल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे और जो बचे भी वे युद्ध में पूरी तरह बर्बाद हो गए। जब बंग बंधु मुजिबुर्रहमान देश के प्रथम प्रधानमंत्री हुए तब उन्होंने कहा था कि जाते-जाते पश्चिमी पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान को पूरी तरह तबाह कर दिया है। बांग्लादेश के लोग एक-एक दाने के लिए तरस रहे हैं और उन्हें पहनने के लिए एक गज कपड़ा भी नहीं है। बांग्लादेश में उस समय औद्योगिक विकास नहीं के बराबर था और उसकी अर्थव्यवस्था में उद्योग की हिस्सेदारी मात्र छह प्रतिशत थी, जबकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में उद्योग की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत थी। सारे बैंक पश्चिमी पाकिस्तान में थे और उन्होंने बांग्लादेश की सहायता से पूरी तरह मुंह मोड़ लिया था। यहां तक कि बांग्लादेश में एशिया का सबसे बड़ा जूट का कारखाना था। उसका मालिक भागकर पश्चिमी पाकिस्तान चला गया, जिससे वह जूट मिल बंद हो गई और हजारों मजदूर सड़क पर आ गए।
पर अपने अथक परिश्रम से बांग्लादेश ने अपनी अर्थव्यवस्था आज पूरी तरह मजबूत कर ली है। बांग्लादेश का मुख्य निर्यात सिले-सिलाए कपड़े हैं। बांग्लादेश के मुख्य शहरों खासकर ढाका में कई ऐसे कारखाने लगे हुए हैं जहां सूती कपड़े का भरपूर उत्पादन होता है और हर रोज हजारों की संख्या में सिले-सिलाए कपड़े तैयार होते हैं। यही नहीं, बांग्लादेश की महिलाएं भी घरों में सिले-सिलाए कपड़े तैयार करती हैं, जिसका परिणाम यह हुआ है कि आज बांग्लादेश के सिले-सिलाए कपड़े सभी एशियाई देशों की तुलना में बहुत सस्ते और उम्दा हैं। सिले-सिलाए कपड़ों की मंडी में उसने भारत और पाकिस्तान को पछाड़ दिया है। साथ ही वियतनाम को भी बहुत पीछे छोड़ दिया है।
वहां हाल में हुए जनगणना में यह पता चला है कि बांग्लादेश ने अपने देश की जनसंख्या को पूरी तरह नियंत्रित कर लिया है और गत 10 वर्षों में उसकी जनसंख्या तेजी से घटी है, जबकि पाकिस्तान की जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। आज बांग्लादेश में प्रति व्यक्ति आय 1500 डॉलर प्रतिवर्ष है, जबकि पाकिस्तान में यह आंकड़ा 1000 डॉलर से भी कम है। आज बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में उद्योग की हिस्सेदारी 29 प्रतिशत हो गई हैं, जबकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में उद्योग की हिस्सेदारी बहुत ही कम रह गई है। दरअसल पाकिस्तान तो अधिकतर फौजी शासन के अधीन रहा और अमेरिकी सहायता पर जिंदा रहा, परंतु बांग्लादेश की जनता और सरकारों ने अपने पैरों पर खड़े रहकर देश को आगे बढ़ाया।
1971 के बांग्लादेश के युद्ध में जिन कट्टरपंथियों ने पश्चिमी पाकिस्तान की सहायता की थी उन्हें आज शेख हसीना सरकार कठोर सजा दे रही है। इसके विरोध में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी बांग्लादेश में आए दिन आतंकवादी हरकतें करके नरसंहार का प्रयास कर रही है। हाल में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत आई थीं और उन्होंने जोर देकर कहा था कि वह बांग्लादेश की भूमि से भारत के विरुद्ध कोई आतंकवादी हरकतें नहीं होने देंगी। आज सारे संसार में बांग्लादेश की प्रशंसा हो रही है। कारण कि शेख हसीना के नेतृत्व में वह पिछड़ा हुआ देश पाकिस्तान की तुलना में तेजी से आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ रहा है।
(लेखक पूर्व सांसद एवं पूर्व राजदूत हैं)