इतने लंबे हो गए पुलिस के हाथ, मुर्दा अपराधियों को पकड़ा आए वारंट
हमारे देश में एक राज्य ऐसा है जिसकी पुलिस ने मुर्दों को भी वारंट थमाने का कारनामा बखूबी कर दिखाया है। जानें कौन सा राज्य है यह और कैसे मुर्दों को थमाया वारंट...
रायपुर, [सतीश पाण्डेय]। क्या मृत अपराधी के खिलाफ कोर्ट से जारी गिरफ्तारी या स्थायी वारंट तामील हो सकता है? ऐसे में आप सोच रहे होंगे हम ये क्या पूछ रहे हैं? अभी तक आपने सुना होगा कि कानून के हाथ काफी लंबे होते हैं, लेकिन इतना लंबा भी नहीं कि मुर्दे को वारंट थमा दे। लेकिन हमारे देश में एक राज्य ऐसा है जिसकी पुलिस ने यह कारनामा कर दिखाया है।
जी हां वह कोई और राज्य नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ है। राजधानी रायपुर की पुलिस के हाथ मुर्दा अपराधियों तक भी पहुंच गए हैं। यहां जिंदा अपराधियों के साथ मुर्दा अपराधियों के नाम भी वारंट जारी होते रहे और हैरानी की बात यह है कि वह तामिल भी करते गए। यानी वारंट मृत अपराधियों तक पहुंच भी रहे थे। बस फिर क्या था, बड़े अफसरों ने इन वारंटियों की धरपकड़ के आदेश दे दिए। इसके बाद पुलिस के हाथ-पैर फूल गए। पुलिसकर्मियों की बेचारगी यह थी कि उन्होंने जैसे-तैसे मुर्दों तक वारंट तो पहुंचा दिए थे लेकिन उन्हें गिरफ्तार कहां से करते? फिर क्या था कागजी कार्रवाई का भांडा आखिर फूट ही गया।
ऐसे चल रहा था पूरा गोरखधंधा
दरअसल लंबे समय से फरार चल रहे अलग-अलग अपराधों के आरोपियों के खिलाफ कोर्ट से जारी गिरफ्तारी व स्थायी वारंट तामील करने को पिछले दिनों पुलिस ने जिले भर में वारंटियों की धरपकड़ का अभियान चलाया था। कुल 217 फरार वारंटियों को तलाशते पुलिस जब उनके घर पहुंची तो पता चला कि इनमें से 90 ऐसे वारंटी थे, जिनकी मौत सालों पहले हो चुकी है, लेकिन उनका वारंट नियमित रूप से तामील होता आ रहा था। पुलिस अधिकारियों तक यह बात पहुंची तो सभी चौंक गए। सभी के जेहन में यही सवाल उठा कि आखिर मृत व्यक्ति का वारंट कैसे तामील हो सकता है?
तफ्तीश करने पर खुलासा हुआ कि थानों की टीम वारंट की तामील करने के लिए संबंधित अपराधी के घर तक पहुंची ही नहीं थी और लिखकर दे दिया वारंट तामील हो गया। उधर नियत समय पर वह अपराधी कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ तो कोर्ट ने फिर से वारंट जारी कर दिया था।
जानकारी के अनुसार 28 जनवरी को जिले भर में धरपकड़ अभियान चलाकर राजधानी पुलिस ने कुल 217 वारंटियों में से 127 वारंटियों की गिरफ्तारी की थी और बाकायदा पुलिस कंट्रोल रूम परिसर में इन वारंटियों को इकट्ठा कर वहां से सभी को कोर्ट में पेश किया था। इस दौरान खुलासा हुआ कि 90 ऐसे वारंटियों की मौत हो चुकी है फिर भी पुलिस की फाइल में ये सभी जिंदा हैं।
ढिलाई बरतने का नतीजा
वारंट तामील करने में पुलिस बल द्वारा ढिलाई बरतने की वजह से मर चुके अपराधियों के खिलाफ कोर्ट से लगातार वारंट जारी हो रहा था। इससे यह भी सवाल उठने लगा है कि जिला पुलिस इन वारंटियों की वास्तविक स्थिति से पूरी तरह से अनभिज्ञ थी, यानि कोर्ट से वारंट जारी होने पर वारंटियों को पकड़ने में नाकाम पुलिस टीम ने वारंटी को तलाश करने में ढिलाई बरती।
अब अफसरों से इस गलती को सुधारते हुए 90 वारंटियों के मृत्यु प्रमाणपत्र हासिल कर उन्हें कोर्ट में पेश कर दिया है। आंकड़ों से साफ हो गया है कि जिंदा रहते हुए अपराधियों को पकड़ने में पुलिस नाकाम रही और अब वारंटियों की मौत के बाद गंभीर अपराधों की फाइल अब हमेशा के लिए बंद की जा चुकी है।
क्या कहते हैं अधिकारी
एडिशनल एसपी सिटी विजय अग्रवाल ने बताया कि कोर्ट से जारी गिरफ्तारी या स्थायी वारंट को तामील करने में सतर्कता बरती जा रही है। पिछले दिनों 90 वारंटियों की मौत होने की जानकारी सामने आने पर सभी के डेथ सर्टिफिकेट लेकर कोर्ट में पेश किए गए हैं, ताकि केस की फाइल हमेशा के लिए बंद की जा सके।