... कहीं आप का बच्चा 14 फीसद की कैटेगरी में शामिल तो नहीं
ASER के सर्वे के मुताबिक जहां ज्यादातर लड़कों की रुचि सेना और पुलिस में जाने की होती है, वहीं लड़कियां नर्सिंग क्षेत्र में जाना चाहती हैं।
नई दिल्ली [ स्पेशल डेस्क ]। आज के बच्चे देश के भविष्य हैं। शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ छात्र किसी भी देश की पूंजी होते हैं। बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए सरकारें तमाम तरह की योजनाएं बनाती हैं। भारत में कोई भी बच्चा (ग्रामीण या शहरी इलाका) शिक्षा हासिल करने के बुनियादी अधिकार से वंचित न रहे उनके लिए राइट टू एजुकेशन 2009 का प्रावधान किया गया। असर (ASER) की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 24 राज्यों के ग्नामीण इलाकों में स्कूली शिक्षा का हाल नीति नियामकों के माथे पर चिंता की लकीर खींचता है। देश में शिक्षा का हाल क्या है इससे समझने से पहले ये जानना जरूरी है कि ग्नामीण इलाकों में छात्रों से किस तरह के सवाल किये गए थे।
सवाल- यह नक्शा किस देश का है
जवाब- 14 फीसद छात्रों को जानकारी नहीं।
सवाल- इस देश की राजधानी का नाम क्या है
जवाब- 36 फीसद छात्रों को इस सवाल का जवाब नहीं है पता।
सवाल- किस राज्य में आप रहते हैं
जवाब- 21 फीसद छात्रों को पता नहीं।
सवाल- क्या आप नक्शे पर आप अपने राज्य को बता सकते हैं
जवाब- 58 फीसद छात्रों को जानकारी नहीं।
इसके साथ ही गणित के कुछ सवाल पूछे गए उदाहरण के तौर पर 591/4 = ?
827/7=?, 759/6= ?, 986/8= ?
जवाब- 57 फीसद छात्रों को जानकारी नहीं
घड़ी दिखाकर समय के बारे में पूछा गया तो 40 फीसद बच्चे नहीं बता सके।
इसके अलावा जब ये पूछा गया कि 1 kg+ 500g+2x200g+2x50g में कितना होता तो इस सवाल का जवाब 44 फीसद बच्चे नहीं दे सके।
दो हजार, पांच सौ, पचास और 20 रुपये के जोड़ के बारे में 24 फीसद बच्चे जवाब नहीं दे सके।
इसके अलावा जब बच्चों से पूछा गया कि एक लड़की रात को 9.30 बजे सोने जाती है और सुबह 6.30बजे जगती है तो वो लड़की कितने घंटे सोती है। इस सवाल का जवाब 60 फीसद बच्चे नहीं बता जा सके।
3000 रुपये मूल्य के टी-शर्ट की 10 फीसद छूट पर आप को कितने रुपये अदा करने होंगे इस सवाल का जवाब देने में 62 फीसद बच्चे नाकाम रहे।
सर्वे को देश के 24 राज्यों के 28 जिलों को शामिल किया गया था। उत्तर प्रदेश से वाराणसी और बिजनौर, मध्य प्रदेश से भोपाल और रीवा, छत्तीसगढ़ से धमतरी, बिहार से मुजफ्फरपुर और हरियाणा से सोनीपत जैसे जिलों को शामिल किया गया था। 14-18 उम्र समूह में 28,323 छात्रों से सवाल जवाब किये गये। इसके साथ ही 60 फीसद छात्र 12वीं कक्षा से आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं। शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत सर्वे में वैसे छात्रों को शामिल किया गया जो या तो प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त कर चुके थे या कक्षा आठ की परीक्षा में शामिल होने वाले हैं। सरकार एक तरफ डिजिटल इंडिया के जरिए गांवों को मुख्यधारा में शामिल करने का अभियान चला रही है। लेकिन सर्वे से एक हफ्ते पहले केवल 28 फीसद छात्रों ने इंटरनेट का इस्तेमाल किया और 26 फीसद छात्रों ने कंप्यूटर का इस्तेमाल किया था।
जानकार की राय
दैनिक जागरण से खास बातचीत में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ वी डी मिश्रा ने बताया कि सर्वे की रिपोर्ट सही तस्वीर पेश कर रही है। लेकिन इसके पीछे की वजह को भी समझना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आज भी जिन इलाकों में हमारे प्राथमिक विद्यालय है वहां बुनियादी सुविधाओं की अभाव में शिक्षक पहुंचने में असमर्थ रहता है। बच्चों को समय पर पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए एक वर्ष का समय निर्धारित है। लेकिन सच ये है कि ग्रामीण इलाकों में एकल विद्यालय हैं, अगर शिक्षक किसी वजह से स्कूल जा पाने में असमर्थ है तो पूरी व्यवस्था ठप हो जाती है। इसके साथ ही एक शिक्षक के ऊपर कई कक्षाओं का भार आ जाता है। ऐसे में सभी बच्चों पर ध्यान देना संभव नहीं हो पाता है। इसके साथ ही पहले शिक्षक जिस समर्पण भाव से स्कूलों में पढ़ाया करते थे, अब उसमें कमी आई है।
पढ़ाई-लिखाई पर सर्वे और हकीकत
असर (एनुअल स्टेटस एजुकेशन) की रिपोर्ट के मुताबिक देश के करीब 60 फीसद युवा ही 12 वीं के आगे पढ़ना चाहते हैं। इस दौरान लड़के और लड़कियों की व्यावसायिक आकांक्षाओं में भी स्पष्ट अंतर दिखाई देता है। ज्यादातर लड़कों की रुचि सेना, पुलिस में जाने के साथ इंजीनियर बनने की है, जबकि लड़कियां नर्स और शिक्षक बनना चाहती हैं। असर की 2017 की यह रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई। रिपोर्ट के मुताबिक देश में मौजूदा समय में से 18 आयु वर्ग के करीब 10 करोड़ युवा हैं। इनमें फीसद युवा ही ऐसे हैं, जो मौजूदा समय में औपचारिक शिक्षा ले रहे हैं। इनमें करीब 60 फीसद ऐसे हैं, जो उच्च शिक्षा यानी 12वीं के आगे पढ़ना चाहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 12वीं के आगे न पढ़ने वालों में से ज्यादातर ऐसे हैं, जिनके ऊपर पढ़ाई के साथ-साथ काम का भी दबाव है। लगभग 42 फीसद ऐसे युवा हैं, जो पढ़ाई के साथ काम भी करते हैं। इनमें 79 फीसद खेती का काम करते हैं। तीन चौथाई ऐसे युवा हैं, जिन्हें पढ़ाई के साथ-साथ घर पर प्रतिदिन काम करना होता है। इनमें भी करीब 71 फीसद लड़के हैं, जबकि 89 फीसद लड़कियां हैं।
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