अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी से एक कश्मीरी का सवाल
अलगाववादी की वजह से आम कश्मीरियों को अक्सर परेशानियां का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब कश्मीरी लोग भी इनके खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं। ऐसा ही कुछ इस खुली चिट्ठी में भी दिखता है।
नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। कश्मीर में अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी और उनके जैसे अन्य हुर्रियत नेताओं की वजह से आम कश्मीरियों को अक्सर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कश्मीर में हिंसा की घटनाओं के पीछे भी बार-बार हुर्रियत नेताओं के नाम सामने आते रहे हैं। यही नहीं सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी के मामले में भी हुर्रियत नेताओं के चेहरे सामने आ चुके हैं। ऐसे नेताओं से अब आम कश्मीरी भी आजिज आ चुके हैं। ऐसे ही एक कश्मीरी लेखक जो ट्विटर पर Ibne Sena के नाम से मौजूद हैं ने गिलानी को खुला खत लिखा है। यह खत सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
इस खत में लेखक ने गिलानी से कई सवाल करने के साथ ही खूब खरी-खोटी भी सुनाई है। उनका पहला सवाल तो हाल ही में सऊदी अरब में सिनेमाघरों को खोले जाने के फैसले के बाद गिलानी द्वारा इस अरब देश की आलोचना करने को लेकर ही है। बता दें कि गिलानी ने सऊदी अरब में सिनेमाघरों को दोबारा खोले जाने को गैर-इस्लामिक करार दिया था। लेखक ने गिलानी से पूछा, आप सऊदी अरब की तो आलोचना करते हैं, लेकिन पाकिस्तान में सिनेमाघर 1929 से बदस्तूर चल रहे हैं, उन पर आप कुछ नहीं बोलते। आपके खून में ऐसा पाखंड क्यों? इसके बाद लेखक ने लिखा, अब आप ये मत कहिएगा कि पाकिस्तान से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। अगर सच में ऐसा है तो फिर आप क्यों कश्मीर में 'पाकिस्तान से रिश्ता क्या... ला-इलाहा, इल्लाहा' और 'कश्मीर बनेगा पाकिस्तान' जैसे नारे लगाते हैं।
लेखक की भड़ास जैसे इतने में ही नहीं निकली। इसके बाद वह अपने खुले पत्र में लिखता है, 'मुझे पूरा यकीन है कि एक दिन आप पाकिस्तान के प्रति अपने प्रेम को दर्शाने के लिए सफेद कफन को हरे रंग में बदल देंगे और वह भी आपके लिए गैर-इस्लामिक नहीं होगा।'
यही नहीं लेखक ने गिलानी पर विरोध भी चुनकर करने का आरोप लगाया है। वह गिलानी से पूछता है, आप कश्मीर में सिनेमाघर खुलने का विरोध क्यों कर रहे हैं? जबकि आज हर जेब में एक सिनेमाघर है। शेर-ए-कश्मीर अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस सेंटर (एसकेआईसीसी) श्रीनगर में रोज लाइव कन्सर्ट होता है और फिर तो यह भी गैर-इस्लामिक है। लेकिन आप इसका विरोध नहीं करेंगे, क्योंकि यहां पर आपका पोता काम करता है। वह एसकेआईसीसी में कन्सर्ट मैनेज करता है। कश्मीर में फिल्मों की शूटिंग से आपको आपत्ति नहीं है, लेकिन उन्हें बड़े पर्दे पर देखना आपको गैर-इस्लामिक लगता है।
लेखक आगे लिखता है, क्यों आम कश्मीरी ही आपके लालच की वजह से समस्याएं झेलें। आपके परिवारजन पाश्चात्य जीवनशैली का लुत्फ ले रहे हैं और आप कश्मीरी लोगों को मरने के लिए छोड़ देते हैं। वह लिखता है, अगर कश्मीर में सिनेमाघर खुलते हैं तो इससे यहां की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ेगी। खुशी लौटेगी, शांति लौटेगी और लोगों को रोजगार भी मिलेगा। अंग्रेजी में लिखी यह पूरी चिट्ठी खबर के अंत में दी जा रही है। आप चाहें तो पूरी चिट्ठी वहां भी पढ़ सकते हैं।
ऐसा नहीं है कि लेखक ने सिर्फ इस खुले पत्र के जरिए ही अपनी पूरी भड़ास निकाल दी हो। इसके बाद उसने एक ट्वीट में एक बार फिर सैयद अली शाह गिलानी पर हमला बोला। उसने ट्वीट में लिखा, 'श्रीमान गिलानी, दुनिया में ऐसा कोई अन्य देश नहीं है (आपका प्यारा पाकिस्तान भी नहीं), जो हिंसा और नफरत फैलाने के बावजूद आपको ऐसी जिंदगी जीने देगा।'
Mr Geelani, there is no other country - certainly not your beloved Pakistan - which would allow you to have the life style you do despite the violence you encourage and the hatred you preach.— Ibne Sena (@Ibne_Sena) December 15, 2017
We have lot of people in kashmir to talk about killings, Hartaals, protest. But how many are there to talk about spreading of peace?— Ibne Sena (@Ibne_Sena) August 14, 2017
बता दें कि जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती ने सऊदी अरब में सिनेमाघरों को दोबारा खोले जाने का स्वागत किया था। इस बारे में शुक्रवार को उन्होंने गोवा में भी बात की। उन्होंने अपने स्कूल-कॉलेज के दिनों को याद करते हुए कहा- उन्हें वे दिन आज भी याद हैं जब वह कॉलेज बंक करके श्रीनगर के सिनेमाघरों में फिल्म देखने जाती थीं।
उन्होंने कहा, आज के कश्मीरी युवाओं को सिनेमाघरों में फिल्म देखने का जो मजा है उसके बारे में पता ही नहीं है। उन्हें नहीं बता कि सिनेमाघर में बैठकर पॉपकॉर्न खाते हुए फिल्म देखने का मजा क्या है।
पूरी चिट्ठी यहां पढ़ें...