82 के हुए प्रणब मुखर्जी, जानें-अपनी बहन से पोल्टू दा ने क्या कहा था
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 11 दिसंबर को 82 साल के हो गए। वो एक ऐसे शख्स हैं जो गुण दोष के आधार लोगों की आलोचना करते थे।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । भारतीय राजनीति में कुछ नाम ऐसे हैं जो दलीय सीमा से ऊपर उठकर काम करने के लिए जाने जाते रहे हैं। देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी या पोल्टू दा उनमें से एक हैं। प्रणब दा जहां एक तरफ अपने सख्त मिजाज के लिए जाने जाते हैं, वहीं उनका बच्चों से खास लगाव रहा है। प्रणब दा आज अपना 82वां जन्मदिन मना रहे हैं और इस मौके पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर गणमान्य लोगों ने उन्हें जन्मदिन की शुभकामना दी। इस मौके पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बिंदुओं को आप के सामने रखेंगे जिससे हो सकता है आप आज तक अंजान हों।
प्रणब दा-82 साल का सफर
-प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसम्बर 1935 में पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के मिरती नामक स्थान पर एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में सक्रिय रहे। 1952 से 1964 तक पश्चिम बंगाल विधान परिषद् के सदस्य रहे। वे ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी थे। प्रणब की मां का नाम राजलक्ष्मी था। उन्होंने बीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज (कोलकाता विश्वविद्यालय से संबद्ध) में पढ़ाई की और बाद में राजनीति शाष्त्र और इतिहास विषय में एम.ए. किया। उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री भी हासिल की।
-प्रणब दा राजनीति में प्रवेश करने से पहले एक प्रोफेसर थे। 1963 में विद्यानगर कॉलेज, साउथ 24 परागना पश्चिम बंगाल में पढ़ाते थे। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब दा ने बंगाल के लोकल न्यूज पेपर देशर डक में काम किया था।
-1969 में प्रणब दा को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी राजनीति में लाई थी। उन्होंने प्रणब दा को गाइड किया था कि राज्य सभा के सदस्य कैसे बन सकते है। प्रणब दा एक ऐसे राष्ट्रपति थे जो ज्यादा से ज्यादा काम ही करते रहते थे। उनके बारे में आम धारणा थी कि वो मुश्किल से कभी छुट्टी लेते थे। वो सिर्फ दुर्गा पूजा के दौरान अपने गांव मिराती जाते थे।
-1984 में यूरोमनी मैगजीन के अनुसार ‘बेस्ट फाइनेंस मिनिस्टर’ के रूप में चुने गए। वो भारत के सिर्फ अकेले ऐसे वित्तमंत्री हैं जिन्होंने सात बार बजट पेश किया। वो एक ऐसे वित्त मंत्री रहे जिन्होंने उदारीकरण से पहले और बाद के दौर को देखा।
-बताया जाता है कि 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वो देश का पीएम बनना चाहते थे। लेकिन राजीव गांधी के समर्थकों की वजह से वो कामयाब न हो सके। कहा जाता है कि इस प्रकरण के बाद उनके राजीव गांधी से संबंध खराब हो गए और उन्होंने राष्ट्रवादी समाजवादी कांग्रेस का गठन किया। लेकिन राजीव गांधी से सुलह के बाद 1989 में अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया।
-1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद जब कांग्रेस सत्ता में आई तो पीवी नरसिम्हाराव देश के पीएम बने। नरसिम्हाराव ने प्रणब दा के राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाने में मदद की। विदेश मंत्री के साथ-साथ उन्हें योजना आयोग के उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। 2004 से 2012 तक मनमोहन सिंह सरकार में वो रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और वित्त मंत्री के पदों पर रहे।
-प्रणब मुखर्जी ने अपने कार्यकाल में 26/11 हमले के दोषी अजमल कसाब और संसद भवन पर हमले के दोषी अफजल गुरु और 1993 मुंबई बम धमाके के दोषी याकूब मेनन की फांसी की सजा पर फौरन मुहर लगा दी। यानी प्रणब इस रूप में याद किए जाएंगे उन्होंने बतौर राष्ट्रपति तीन बड़े आतंकी अजमल, अफजल और याकूब को फांसी दिलाने में अहम रोल निभाया।
-कसाब को 2012, अफजल गुरु को 2013 और याकूब मेनन को 2015 में फांसी हुई थी। राष्ट्रपति ने बच्चों को 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के मौके पर राजनीतिक इतिहास के बारे में पढ़ाया था और ऐसा करने वाले वो पहले राष्ट्रपति बने।
प्रणब दा से जुड़ी अनसुनी कहानियां
सुकांत भट्टाचार्य का लिखा ‘अबक पृथ्वी उनका पसंदीदा गीत है। बीरभूम जिले में जन्में अब्दुल सत्तार 1981 से 1982 तक बांग्लादेश के राष्ट्रपति रहे। भारत के राष्ट्रपति रहे प्रणब दा का भी जन्म इसी जिले में हुआ था। अब्दुल सत्तार विभाजन के बाद ढाका चले गए थे। प्रणब मुखर्जी के जो तेवर आप देखते हैं वो पहले भी थे। अपनी जिद्द के चलते उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा के दौरान डबल प्रमोशन पाया।
1969 में प्रणब दा राज्यसभा के सदस्य बने तो उस वक्त उनका आधिकारिक घर राष्ट्रपति संपदा के पास ही था। एक दिन उन्होंने राष्ट्रपति वाली बग्गी देखकर अपनी बहन से कहा कि इस आलीशान राष्ट्रपति भवन का आनंद उठाने के लिए वो अगले जन्म में घोड़ा बनना पसंद करेंगे। लेकिन उनकी बहन ने कहा कि इसके लिए तुम्हें अगले जन्म रुकना नहीं पड़ेगा, बल्कि इसी जन्म में इसमें रहने का मौका मिलेगा।
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