मनमौजी मालिक, नरपिशाच नौकर: खौफ का नया नाम था नोएडा का निठारी
निठारी कांड में सुरेंद्र कोली को एक बार फिर से सीबीआई की विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई है। इस मामले में कोर्ट ने पंढ़ेर को भी मौत की सजा सुनाई।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। वर्ष 2006 के बहुचर्चित निठारी कांड मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सोमवार को मोनिंदर सिंह पंढेर और उनके घरेलू नौकर सुरिंदर कोली को फांसी की सजा सुनाई है। कोली को जहां छठी बार फांसी की सजा सुनाई गई है, वहीं पंढेर को पहली बार कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। ताजा मामला पिंकी सरकार की हत्या से जुड़ा है। गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस मानते हुए यह फैसला सुनाया है।
पंढेर और कोली पर लड़की को अगवा करने, उसका बलात्कार करने और उसकी हत्या करने का दोषी पाया गया है। इससे पहले शनिवार 22 जुलाई को ट्रायल कोर्ट ने पंढेर और कोली को 20 साल की पिंकी सरकार की हत्या का दोषी पाया था। उसी दिन पंढ़ेर को दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया था, इससे पहले वह जमानत पर चल रहा था। निठारी कांड से जुड़े नौ मामलों में अब भी सुनवाई चल रही है, जबकि तीन मामलों में सबूतों के अभाव के चलते चार्जशीट ही दाखिल नहीं की जा सकी है।
घटना 5 अक्टूबर, 2006 की है, जब पीड़िता अपने कार्यालय से घर लौट रही थी और निठारी में पंढेर के घर के सामने से गुजर रही थी। कोली ने महिला की हत्या कर उसका सिर धड़ से अलग कर दिया और खोपड़ी घर के पिछले हिस्से में फेंक दी, जिसे सीबीआई ने बाद में बरामद किया था। खोपड़ी का डीएनए पीड़िता के माता-पिता के डीएनए से मैच कर गया। कोली के पास बरामद पीड़िता के कपड़ों की पहचान भी उसके माता-पिता ने की थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पंढेर इस पूरी आपराधिक साजिश में शामिल था।
कोली को पहले भी हुई है फांसी की सजा
निठारी कांड के 6 मामलों में विशेष अदालत सुरेंद्र कोली को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुना चुकी है। पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने कोली को एक लड़की के मर्डर केस में किडनैपिंग, रेप और सबूत मिटाने का दोषी पाया था। इससे पहले के भी पांच मामलों में भी सीबीआई कोर्ट ने कोली को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि 2015 में इलाहबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में उसकी फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया था।
क्या है निठारी कांड
12 साल पहले 20 जून, 2005 को आठ साल की एक बच्ची नोएडा के निठारी इलाके से अचानक गायब हो गई थी। इसके बाद से इस इलाके में लगातार बच्चे गायब होने लगे। एक साल तक लगातार बच्चों के गायब होने यह सिलसिला चलता रहा और करीब दर्जनभर बच्चे गायब हो गए। मामला राष्ट्रीय स्तर पर आने के बाद पुलिस की अलग-अलग टीमों ने एनसीआर समेत देश के कई इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाया। 7 मई 2006 को 21 साल की एक और लड़की जब गायब हुई तो पुलिस को अहम सुराग उसके मोबाइल से मिला। पुलिस ने उस नंबर की कॉल डिटेल निकलवाई। उसके बाद जब उसमे से एक नंबर पर कॉल की गई तो उसका नाम मनिंदर सिंह पंधेर का था। जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में पंधेर और उसके नौकर कोली को आरोपी बनाया। इसके बाद पूरे निठारी मामले का खुलासा हुआ था, जिसमें 15 से ज्यादा बच्चियों और लड़कियों का रेप किया गया था। रेप के बाद उन्हें मारकर पंढेर के घर में दफन कर दिया गया था।
सिलसिलेवार निठारी कांड:
29 दिसंबर 2006 - दिल्ली से सटे नोयडा में मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले से पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले।
29 दिसंबर 2006 - मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरिंदर कोली को गिरफ्तार किया गया।
30 दिसंबर 2006 - सीबीआई को अपनी खोजबीन के दौरान मानव हड्डियों के कुछ हिस्से और 40 ऐसे पैकेट मिले जिनमें मानव अंगों को भरकर नाले में फेंक दिया गया था।
31 दिसंबर 2006- दो पुलिस कांस्टेबल को बर्खास्त किया गया।
5 जनवरी 2007 - पंढेर और कोली को पुलिस नार्को टेस्ट के लिए गांधीनगर ले कर गई।
10 जनवरी 2007 - सीबीआई ने पंढेर और कोली से पूछताछ की और कुछ ही दिनों में जांच करने के लिए निठारी पहुंची। पंढेर के घर के आसपास और भी हड्डियां बरामद की गईं।
25 जनवरी 2007 - पंढेर और कोली के साथ गाजियाबाद की एक अदालत परिसर में मारपीट हुई। सीबीआई उन्हें पेश करने के लिए अदालत लाई थी।
7 अप्रैल 2007 - पिंकी के कंकाल की शिनाख्ता उसके सलवार सूट और चप्पलों के जरिए हुई। बाद में कोली ने उसके बालों के क्लिप को भी पहचाना।
8 फरवरी 2007 - कोली और पंढेर को 14 दिन की सीबीआई कस्टडी में भेजा गया।
मई 2007 - सीबीआई ने पंढेर को अपनी चार्जशीट में रिम्पा हलदर के अपहरण, बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपमुक्त कर दिया था। दो महीने बाद अदालत की फटकार के बाद सीबीआई ने पंढेर को इस मामले में सह-अभियुक्त बनाया।
13 फ़रवरी 2009 - विशेष अदालत ने पंढेर और कोली को 15 वर्षीय रिंपा हलदर के अपहरण, बलात्कार और हत्या का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई।
11 सितंबर 2009 - इलाहाबार हाईकोर्ट ने एक मामले में मोनिंदर सिंह पंढेर को बरी किया और सुरिंदर कोली की मौत की सज़ा बरकरार रखी।
4 मई 2010 - सीबीआई की एक विशेष अदालत ने सुरिंदर कोली को सात वर्षीय आरती की हत्या का दोषी करार दिया।
28 अक्तूबर 2014 - सुरिंदर कोली की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को खारिज किया। सुप्रीम कोर्ट ने कोली को रिंपा हलदर की हत्या का दोषी ठहराते हुए उन्हें मौत की सजा देने का आदेश दिया था।
12 सितंबर 2014 से पहले सुरिंदर कोली को फांसी दी जानी थी।
इसके बाद वकीलों के समूह 'डेथ पेनल्टी लिटिगेशन ग्रुप' ने कोली को मृत्युदंड दिए जाने पर पुनर्विचार याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा।
12 सितंबर 2014 - सुप्रीम कोर्ट ने सुरिंदर कोली की फांसी की सजा पर अक्तूबर 29 तक के लिए रोक लगाई।
28 जनवरी 2015 - रिंपा हलदर हत्या मामले में सुरिंदर कोली की फांसी की सजा को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उम्र कैद में तब्दील किया।