इस वजह से लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है चिकनगुनिया की वैक्सीन
चिकनगुनिया के वैक्सीन पर काम कर रही भारत बायोटेक का कहना है कि आइसीयू में भर्ती होने के डर से से लोग ट्रायल के लिए नहीं मिल पा रहे हैं।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । मानसून के दस्तक देने के साथ ही मच्छरों की तादाद में इजाफा होना शुरू हो जाता है। हर शख्स खौफ के साथ जी रहा होता है कि न जाने कब और कहां वो मच्छरों का शिकार बन जाएगा। आमतौर पर डेंगू और चिकनगुनिया पहले किसी खास इलाके तक सीमित रहता था। लेकिन अब इनका फैलाव देश के अलग-अलग हिस्सों में भी हो रहा है। अगर पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र पर ध्यान दें तो डेंगू के मुकाबले चिकनगुनिया के मामले सबसे ज्यादा सामने आए थे। इस रोग के इलाज के लिए अभी तक टीका तैयार नहीं है। इस दिशा में हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक का दावा है कि उसने चिकनगुनिया से निपटने के लिए वैक्सीन तैयार की है। लेकिन ट्रायल के लिए लोग सामने नहीं आ रहे हैं। आखिर ट्रायल से लोग क्यों भाग रहे हैं, इसे जानने से पहले नजर डालते हैं कि पिछले साल देश में चिकनगुनिया ने किस तरह से कहर बरपाया था।
चिकनगुनिया का कहर
चिकनगुनिया से पिछले साल प्रभावित होने वालों की संख्या करीब 64 हजार थी। लेकिन ये वो आंकड़ा है जो रिकॉर्ड में था। सरकार खुद मानती है कि इससे प्रभावित होने वालों की संख्या वास्तविकता में दस गुना ज्यादा थी। पूरे देश में मानसून ने दस्तक नहीं दी है, लेकिन चिकनगुनिया से प्रभावित होने वालों की संख्या करीब सात हजार हो चुकी है। डॉक्टरों का कहना है कि इस आंकड़े में बढ़ोतरी ही होगी।
चिकनगुनिया वैक्सीन में क्या है परेशानी
चिकनगुनिया के खिलाफ लड़ाई में हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक पूरी तरह से जुटा हुआ है। लेकिन वैक्सीन के ट्रायल के लिए जरूरी 60 लोग नहीं मिल पा रहे हैं। अभी तक 10 फीसद यानि 6 लोगों ने ट्रायल के लिए अपने आपको रजिस्टर कराया है। दरअसल लोग आइसीयू में भर्ती होने की डर की वजह से ट्रायल का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं। भारत बायोटेक के चेयरमैन डॉ कृष्णा एला का कहना है कि पहले फेज का ट्रायल यह बताएगा कि दवा कितनी सुरक्षित और कारगर है। उन्होंने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और स्वास्थ्य मंत्रालय से इस मामले में दखल देने की अपील की है। डॉ एला का कहना है कि आइसीयू में रखे जाने की बात से युवक कतरा रहे हैं, क्योंकि वहां पर ज्यादातर गंभीर और बीमार लोग दाखिल होते हैं।
चिकनगुनिया के लक्षण
बुखार - तेज बुखार होना, चिकनगुनिया के प्रमुख और शुरुआती लक्षणों में शामिल है। अगर आपको सप्ताह भर से भी अधिक समय तक बुखार बना हुआ है और कम नहीं हो रहा, तो डॉक्टर के पास जाकर जरूरी जांच अवश्य कराएं।
सिरदर्द - तेज बुखार के साथ सिर भारी होना और सिर में दर्द बना रहना भी चिकनगुनिया के लक्षणों में शामिल हैं। ऐसा होने पर लापरवाही बिल्कुल न बरतें और इलाज कराएं।
जोड़ों में दर्द - चिकनगुनिया होने पर शरीर के समस्त जोड़ों में तेज दर्द होता है और उनकी कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है। इस तरह का तेज दर्द जोड़ों में लंबे समय तक बना रहता है।
चकत्ते पड़ना - शरीर पर चकत्ते पड़ना या लाल निशान पड़ना चिकनगुनिया में आम है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर किसी को इस तरह की त्वचा समस्या हो, कभी-कभी ये काफी कम मात्रा में भी होते हैं।
मांसपेशियों में खिंचाव, कई बार सूजन, चक्कर आना और उल्टी जैसा मन होना भी इस बीमारी के सामान्य लक्षणों में शामिल है। इस तरह के लक्षण नजर आने पर सावधान हो जाएं, डॉक्टर को दिखाएं और जितना हो सके आराम करना चाहिए
चिकनगुनिया से बचने के उपाय
इस बीमारी का सामना करने के लिए फिलहाल किसी तरह का खास वैक्सीन या दवा उपलब्ध नहीं है। चिकनगुनिया का मच्छर पूरा दिन सक्रिय रहता है, खासतौर से सुबह और दोपहर में। इसलिए उन जगहों पर जाने से बचें, जहां मच्छर ज्यादा हों। अपने शरीर पर मच्छर को दूर भगाने वाली क्रीम या रात को सोते समय नेट का इस्तेमाल करें। फिर भी अगर आप चिकनगुनिया का शिकार होते हैं, तो इन बातों का ध्यान रखना चाहिए...
- पेय पदार्थ को ज्यादा से ज्यादा खानपान में शामिल करें।
- मच्छरों द्वारा काटे जाने से बचें, क्योंकि मच्छर आपको काटने के बाद आपके शरीर का इंफेक्शन दूसरे व्यक्ति के शरीर में संक्रमित कर सकता है
- बुखार और जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए आप पैरासिटामॉल ले सकते हैं।
- घर पर आराम करें और अपने डॉक्टर से सलाह लें।