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जानें, वो कौन हैं जिनके जरिए 2019 में राहुल लगाएंगे कांग्रेस की चुनावी नैया पार

2019 का आम चुनाव होने में अभी काफी समय है। लेकिन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी एनडीए सरकार को परास्त करने के लिए खास रणनीति बना रहे हैं।

By Lalit RaiEdited By: Published: Thu, 03 Aug 2017 11:02 AM (IST)Updated: Fri, 04 Aug 2017 09:50 AM (IST)
जानें, वो कौन हैं जिनके जरिए 2019 में राहुल लगाएंगे कांग्रेस की चुनावी नैया पार
जानें, वो कौन हैं जिनके जरिए 2019 में राहुल लगाएंगे कांग्रेस की चुनावी नैया पार

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । कांग्रेस अब इतिहास न बन जाए इसके लिए राहुल गांधी खास रणनीति पर काम कर रहे हैं। 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस शानदार विजय के साथ दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो सके, इसके लिए कांग्रेस के युवराज पेशेवर लोगों से पार्टी के साथ जुड़ने की अपील कर रहे हैं। राहुल गांधी का मानना है कि मोदी सरकार आम लोगों की जगह कुछ खास लोगों की तरक्की के लिए काम कर रही है। सुनियोजित तरीके से एक खास विचारधारा को लोगों पर थोपने की कोशिश की जा रही है। भ्रष्टाचार के नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं, जिसके खिलाफ कांग्रेस और समान विचार के लोग एक साथ मिलकर लड़ाई लड़ सकते हैं। मिशन 2019 की तैयारी के लिए वो कुछ खास चेहरों के साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि वो कौन लोग हैं, जिनके बल पर कांग्रेस चुनावी वैतरणी को पार करने की कोशिश कर रही है और क्या वो सच में चुनावी नैया पार लगाने में कांग्रेस की मदद कर पाएंगे?  

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अखिलेश यादव 

देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी को सपा प्रमुख अखिलेश यादव में उम्मीद नजर आती है। ये अलग बात है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस गठबंधन की करारी हार सबके सामने है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान प्रदेश के तीन महत्वपूर्ण प्राधिकरणों (नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी) के सीएजी ऑडिट के निर्देश दिए हैं। इन तीनों प्राधिकरणों में अनियमितता, भ्रष्टाचार और कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के आरोप लगते रहे हैं। राज्यपाल राम नाइक के हस्तक्षेप के बावजूद सीएजी द्वारा ऑडिट कराए जाने से सपा सरकार ने इनकार कर दिया था। अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता आरोप लगाते थे कि फ्लैट बॉयर्स की अनदेखी कर कुछ खास बिल्डरों के लिए ही सरकार काम रही है।

तेजस्वी यादव

राहुल गांधी की सूची में दूसरा नाम राजद नेता तेजस्वी यादव का हैं। तेजस्वी यादव राजद के मुखिया लालू प्रसाद यादव के बेटे हैं। अभी कुछ दिनों पहले तक वो बिहार के डिप्टी सीएम रहे। आइआरसीटीसी के होटलों के बदले पटना के पॉश इलाके में जमीन हासिल करने के मामले में उनके यहां सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय का छापा पड़ा, जिसमें वो आरोपी बनाए गए। इसके अलावा सीबीआइ का दावा है कि आइआरसीटीसी के दो होटलों को एक खास समूह को दिया गया, जिसके बदले में तेजस्वी यादव को पटना के पॉश इलाके में जमीन का मालिकाना हक मिला।

पटना में आरजेडी के एक विधायक सबसे बड़ा मॉल बना रहे हैं। बताया जाता है कि शेल कंपनी डिलाइट मार्केटिंग के जरिए बाजार भाव से कम कीमत पर इस मॉल को राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया। 2010 के बाद लालू यादव का परिवार शेयरहोल्डर बन गया। भाजपा का आरोप है कि चुनाव के समय दायर शपथपत्र में तेजस्वी और तेजप्रताप दोनों ने इसका जिक्र नहीं किया था।
 

एम के स्टालिन

राहुल गांधी की लिस्ट में तीसरा नाम स्टालिन का हैं। स्टालिन, तमिलनाडु के पूर्व सीएम करुणानिधि के बेटे हैं। डीएमके का नाम आते ही जेहन में करुणानिधि के नाती दयानिधि मारन, उनकी बेटी कनिमोझी, पार्टी के कद्दावर नेता ए राजा का नाम आने लगता है। दयानिधि मारन पर जहां एयरसेल-मैक्सिल का मामला चल रहा है। वहीं कनिमोझी और ए राजा 2जी स्पेक्ट्रम मामले में जेल तक का सफर तय कर चुके हैं।

आइए अब आपको बताते हैं कि क्या ये तीनों चेहरे (अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव और स्टालिन) कांग्रेस की नैया पार लगा सकेंगे। जहां तक यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की बात है तो वो युवा हैं, उनकी छवि भी बेहतर है। लेकिन सपा परिवार के अंदर का घमासान सामने आ ही जाता है। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले वो विकास के मुद्दे पर लोगों से समर्थन की अपील कर रहे थे। हालांकि, पारिवारिक कलह उनके प्रदर्शन पर भारी पड़ी। अखिलेश यादव के ऊपर भ्रष्टाचार का कोई सीधा मामला नहीं है। लेकिन नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के कैग ऑ़डिट से उनकी मुश्किल बढ़ सकती है। अगर प्राधिकरणों में किसी तरह का मामला निकल कर मामला सामने आता है तो नैतिक तौर अखिलेश यादव मौजूदा एनडीए सरकार पर हमलावर नहीं हो सकेंगे। 

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम रहे तेजस्वी यादव युवा हैं। वो लगातार रैलियों के द्वारा अपने खिलाफ कार्रवाई को एक दिशा दे सकते हैं। लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वो किस तरह से अपना बचाव कर सकेंगे। तेजस्वी यादव हर एक दिन एनडीए सरकार पर निशाना साध रहे हैं लेकिन अपने खिलाफ लगाए आरोपों पर कुछ भी साफ कहने से बचते हैं। इसके अलावा बिहार की मौजूदा सरकार नए तथ्यों के साथ आरोप लगा रही है। डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने का कहना है कि मिट्टी घोटाले में लालू कुनबे की अहम भूमिका है और सबूत मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इतना ही नहीं सुशील मोदी का ये भी आरोप है कि लालू परिवार रेत के खनन में भी अवैध रूप से शामिल है। ऐसे में राहुल गांधी का जनसामान्य के सामने अपने पक्ष को रखना आसान नहीं रहेा। 

स्टालिन का जिक्र करने पर करुणानिधि का चेहरा सामने नजर आने लगता है। स्टालिन पर भी सीधे सीधे भ्रष्टाचार के मामले नहीं हैं। लेकिन दयानिधि मारन और कनिमोझी के कारनामों को किस तरह से तर्कसंगत ठहराया जा सकता है। ये न सिर्फ स्टालिन बल्कि राहुल गांधी के लिए भी कठिन होगा।

राहुल गांधी मौजूदा एनडीए सरकार के बारे में कहते हैं कि गरीबों की कीमत पर अमीर लोग और अमीर होते जा रहे हैं। भ्रष्टाचार के मामले में मोदी सरकार पुख्ता काम नहीं कर रही है। लेकिन उनके लिए ये जवाब देना मुश्किल होगा कि किस तरह से यंग इंडिया न्यूजपेपर के जरिए काली कमाई की गई। इसके अलावा कैसे नियमों की अनदेखी कर रॉबर्ट वाड्रा को हरियाणा में जमीनें आवंटित की गईं। 


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