Move to Jagran APP

क्या है ट्रंप की अफगानिस्तान पॉलिसी और क्यों अमेरिका ने मांगी भारत से मदद

ट्रंप ने कहा कि हम अफगानिस्तान को इराक नहीं बना सकते हैं। इसलिए वहां से अमेरिकी जवानों को जल्दबाजी में वापसी से साफ इनकार किया।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Tue, 22 Aug 2017 08:16 PM (IST)Updated: Tue, 22 Aug 2017 08:25 PM (IST)
क्या है ट्रंप की अफगानिस्तान पॉलिसी और क्यों अमेरिका ने मांगी भारत से मदद
क्या है ट्रंप की अफगानिस्तान पॉलिसी और क्यों अमेरिका ने मांगी भारत से मदद

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्घग्रस्त अफगानिस्तान में अपनी नीति का ऐलान करते हुए एक तरफ जहां पाकिस्तान को कड़े लहजे में चेतावनी दी है तो वहीं अफगानिस्तान में शांति के भारत से मदद भी मांग है। ट्रंप ने कमांडर इन चीफ के तौर पर देश को संबोधित करते हुए दक्षिण एशिया के बारे में अपनी नीति को साफ करते हुए बताया कि इसका अहम हिस्सा भारत के साथ रणनीतिक साझीदारी को और बढ़ाना है।

loksabha election banner

ट्रंप ने कहा कि हम अफगानिस्तान को इराक नहीं बना सकते हैं। इसलिए वहां से अमेरिकी जवानों को जल्दबाजी में वापसी से साफ इनकार किया। पाकिस्तान को चेतावनी दी कि यदि वह आतंकवादी समूहों को पनाहगाह मुहैया कराना जारी रखता है तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर ट्रंप की क्या है अफ-पाक नीति और क्यों अमेरिका को अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिये भारत की जरूरत है? आइए इसे विस्तार से समझने का प्रयास करते हैं और जानते हैं इस बारे में क्या है जानकारों की राय।

अफगानिस्तान में शांति के लिए भारत से मदद
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से अपील की कि वह अफगानिस्तान में शांति एवं स्थिरता लाने के लिए, विशेषकर आर्थिक क्षेत्र में और योगदान दे। उन्होंने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत अमेरिका का अहम सुरक्षा एवं आर्थिक साझीदार है। ट्रंप ने आगे कहा कि हम अफगानिस्तान में स्थिरता लाने में भारत के अहम योगदान की प्रशंसा करते हैं, लेकिन भारत अमेरिका के साथ व्यापार से अरबों डॉलर कमाता है और हम चाहते हैं कि वह अफगानिस्तान के संबंध में, खासकर आर्थिक सहयोग एवं विकास के क्षेत्र में हमारी और मदद करे।

दक्षिण एशिया की अमेरिकी रणनीति में आएगा बदलाव
ट्रंप ने कहा कि समग्र समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया गया कि अफगानिस्तान और दक्षिण एशिया में अमेरिकी रणनीति में नाटकीय बदलाव आएगा। ट्रंप ने कहा कि अपने सुरक्षाबलों को नहीं बुलाया जा सकता है क्योंकि जल्दबाजी में अफगानिस्तान में उसके भयावह परिणाम आ सकते हैं। अमेरिकी सेना के जवानों को वापस अफगानिस्तान से बुलाने के बाद एक खालीपन पैदा हो जाएगा जिसे आतंकवादी शीघ्र भर देंगे। ट्रंप ने आतंकवादी समूहों को समर्थन देना जारी रखने के लिए पाकिस्तान की निंदा की और उसे चेतावनी दी कि यदि वह ऐसा करना जारी रखता है तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

ट्रंप ने कहा- पाकिस्तान भारत के संबंध महत्वपूर्ण
राष्ट्रपति ट्रंप ने दक्षिण एशिया को लेकर अपनी नीति को साफ करते हुए मंगलवार की सुबह अपने भाषण में पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा- ‘पाकिस्तान को अफगानिस्तान में हमारी कोशिशों में साझीदार बनने से बहुत कुछ हासिल करना होगा। आतंकवादियों को शरण देना जारी रखने पर उसे बहुत कुछ खोना होगा।’ ट्रंप ने इस बात का भी जिक्र किया कि खतरा और भी बढ़ गया है क्योंकि भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु संपन्न देश हैं, जिनके तनावपूर्ण संबंधों के संघर्ष में बदलने का खतरा है।

ट्रंप ने 26 मिनट लंबे अपने संबोधन में कहा, ‘अफगानिस्तान में हमारी नई रणनीति का अहम हिस्सा वक्त पर आधारित दृष्टिकोण को बदलकर परिस्थितियों पर आधारित नजरिया अपनाना है। मैंने यह पहले भी कई बार बताया है कि हम जिन तारीखों पर सैन्य अभियान शुरू या खत्म करना चाहते हैं, उनकी घोषणा पहले से ही करना अमेरिका के लिए कितना गैर लाभकारी है।’


क्यों अफगानिस्तान में अमेरिका के लिये अहम है भारत
इस मुद्दे पर Jagran.com से खास बातचीत में विदेश मामलों के जानकार कमर आगा ने बताया कि ट्रंप ने दक्षिण एशिया पर जिस नीति की बात की है उसकी सारी पहलू पूरी तरीके से साफ नहीं है। आगा ने कहा कि ट्रंप की कोशिश है कि अफगानिस्तान में शांति को बहाल किया जा सके और मिलिटेंसी को कंट्रोल किया जाए। उन्होंने आगे बताया कि ये बात अमेरिका भी जानता है कि अफगानिस्तान में मिलिटेंसी को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है। उसके बावजूद तालिबान के ऊपर इतना दबाव डाला जाए कि वे सत्ता हासिल ना कर पाए।

अमेरिका यह मानना है कि भारत वहां पर बड़ी भूमिका निभा सकता है। उसकी बड़ी वजह है भारत का पहले से ही वहां पर सक्रिय योगदान देना। भारत वहां पर सड़क, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और अन्य कार्यों के साथ ही संसद की इमारत बनाने में मदद की है। लिहाजा भारत की मदद वहां पर काफी अहम है।

अफगानिस्तान की 40% फीसद हिस्सा तालिबान के कब्जे में
कमर आगा का कहना है कि अफगानिस्तान का करीब चालीस फीसद हिस्सा आज भी तालिबान के कब्जे में है। पाकिस्तान की कोशिश लगातार तालिबान को मदद करने की रही है ताकि उसे मजबूत कर वहां की सत्ता को कमजोर किया जा सके। अगर ऐसा होता है कि यह भारत के हित में नुकसानदायक साबित हो सकता है और अमेरिका के लिये भी। यह वजह है कि अफगानिस्तान में आर्थिक तरक्की ना के बराबर हो रही है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.