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दुनिया की एक ऐसी हैरिटेज साइट, जहां महिलाओं का जाना है 'बैन', जानें क्‍यों

हाल ही में जारी वर्ल्‍ड हैरिटेज साइट की लिस्‍ट में एक ऐसी जगह का भी नाम है जहां पर महिलाओं का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 12 Jul 2017 03:16 PM (IST)Updated: Wed, 12 Jul 2017 06:44 PM (IST)
दुनिया की एक ऐसी हैरिटेज साइट, जहां महिलाओं का जाना है 'बैन', जानें क्‍यों
दुनिया की एक ऐसी हैरिटेज साइट, जहां महिलाओं का जाना है 'बैन', जानें क्‍यों

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। हाल ही में यूनेस्‍को द्वारा 'वर्ल्‍ड हैरिटेज' की लिस्‍ट जारी की गई है, जिसमें कई देशों के शहरों के नाम हैं। इसमें भारत का अहमदाबाद भी एक है। लेकिन हमारी खबर सिर्फ यह नहीं है। इसके बारे में तो आपने भी पढ़ा और सुना है। हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बता रहे हैं जो वर्ल्‍ड हैरिटेज साइट की लिस्‍ट में शामिल है, लेकिन यहां पर महिलाओं का जाना साफतौर पर मना है। लिहाजा यहां पर सिर्फ पुरुष ही जा सकते हैं। लेकिन यहां पर पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव की बात भी बेमानी है। आपको सुनकर जरूर हैरानी हो रही होगी, लेकिन यह सच है।

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जापान का ओकिनोशिमा द्वीप

दरअसल, वर्ल्‍ड हैरिटेज साइट्स की लिस्‍ट में जापान के दक्षिणी-पश्चिमी हिस्से में स्थित ओकिनोशिमा द्वीप को यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया है। पोलैंड के क्राकोव में रविवार को संयुक्त राष्ट्र के सालाना शिखर सम्मेलन के दौरान ओकिनोशिमा द्वीप को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया। यूनेस्को ने अहमदाबाद शहर समेत दुनिया के 33 स्थलों को विश्व विरासत का दर्जा दिया है। ब्रिटेन के लेक डिस्ट्रिक्ट को भी इस सूची में जगह दी गई है।

महिलाओं का प्रवेश निषेध

लेकिन इस लिस्‍ट की सब जगहों में से ओकिनोशिमा द्वीप बेहद खास है, क्‍योंकि यहां पर केवल पुरुष ही जा सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह एक तीर्थ स्‍थान है। वास्तव में ओकिनोशिमा का मतलब है ‘केवल पुरुष’। पुरुषों को भी इस द्वीप के तट पर जाने से पहले निर्वस्‍त्र होना पड़ता है। वे ऐसा करने के बाद ही यहां स्थित तीर्थस्थल के दर्शन कर सकते हैं।

सदियों पुरानी है परंपरा

अधिकारियों के अनुसार, यहां महिलाओं पर पाबंदी भेदभाव स्‍वरूप नहीं है, बल्कि यह सदियों पुरानी परंपरा है जिसे वे नहीं बदलना चाहते हैं। यह एक ऐतिहासिक स्थल है। ओकिनोशिमा कभी समुद्री सुरक्षा के लिए प्रार्थना स्थल था। इस द्वीप पर 17वीं सदी में निर्मित ओकित्सु मंदिर है। यहां स्थायी तौर पर एक पुजारी रहता है, जो द्वीप की देवी की आराधना करता है। मुनाकाता ताइशा के पुजारियों को इस मंदिर में पूजा करने की अनुमति मिली हुई है।

शहीद सैनिकों को सम्‍मान

हर साल 27 मई को 200 लोगों को इस द्वीप पर जाने की अनुमति दी जाती है। ये लोग 1904-05 में रूस-जापान युद्ध के दौरान शहीद हुए नौसैनिकों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने वहां जाते हैं। यह द्वीप पूर्व में कोरियाई प्रायद्वीप और चीन से व्यापार के लिए जाना जाता रहा है।

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