भारतीय सेना के पास है 'स्टील बुलेट' से बचाव के उपाय, 2019 तक पूरी तरह हो जाएंगे लैस
भारतीय सेना के सभी जवानों को 2019 तक नई बुलेट प्रूफ शील्ड से लैस कर दिया जाएगा। यह उन्हें स्टील बुलेट से बचा पाने में समर्थ होंगी।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। कश्मीर में पाकिस्तान के आतंकियों द्वारा सुरक्षाबलों पर स्टील बुलेट के इस्तेमाल किए जाने के बाद बड़ा सवाल उठा था कि इससे बचने का उपाय क्या भारतीय जवानों के पास है। लेकिन अब इस सवाल का जवाब मिल गया है। इसका जवाब खुद आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने दिया है। उन्होंने कहा है कि स्टील बुलेट का तोड़ भारतीय जवानों के पास न सिर्फ है बल्कि इसका इस्तेमाल भी किया जा चुका है। आपको यहां पर बता दें कि पूर्व उप सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल राज काद्यान ने भी दैनिक जागरण से की बातचीत में इसका जिक्र किया था कि स्टील बुलेट से बचाव की तकनीक और उपाय दोनों ही भारत के पास हो सकते हैं। उनका यह भी कहना था कि आने वाले समय में भारतीय सेना के सभी जवानों के पास इससे बचाव का कवच उपलब्ध करवा भी दिया जाएगा।
डोकलाम विवाद के समय जवानों को दी गई थी शील्ड
इसके लिए हमें कुछ समय पहले का रुख करना होगा जब भारत और चीन के बीच डोकलाम का मुद्दा अपने पूरे चरम पर था। यह विवाद जून में शुरु हुआ था और करीब 72 दिनों के बाद सुलझ सका था। इस दौरान दोनों तरफ सेनाओं का जमावड़ा भी हुआ था। दरअसल, यही वो समय था जब भारत को इस बात की आशंका थी कि चीन अपना उग्र रूप दिखाते हुए सीमा पर तैनात भारतीय जवानों पर स्टील बुलेट का इस्तेमाल कर सकता है। लिहाजा उस वक्त भारतीय जवानों को इससे बचाव के लिए कारगर बुलेट प्रूफ शील्ड दी गई थीं। लेकिन उस वक्त बिना एक गोली चले मामला सुलझ गया था।
स्टील बुलेट से हुई थी पांच CRPF जवानों की मौत
भारत को शायद इस बात की जरा भी आशंका नहीं थी कि चीन की जगह इस तरह की गोली पाकिस्तान से आने वाले भाड़े के आतंकी इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन पिछले वर्ष दिसंबर में यह हकीकत बनकर उस वक्त सामने आई जब आतंकियों ने पांच सीआरपीएफ जवानों की हत्या कर दी थी। बाद में जांच में यह सामने आया कि यह स्टील बुलेट थीं जिसकी वजह से इन जवानों की जान गई थी। स्टील बुलेट दरअसल बुलेट प्रूफ शील्ड को भेदने में कामयाब रहती है, लिहाजा ये बेहद घातक है।
सेना के पास है स्टील बुलेट से बचाव का उपाय
जनरल रावत ने अपनी सालाना प्रेस कांफ्रेंस में इस बात का जिक्र किया है कि स्टील बुलेट से बचाव के लिए भारतीय सेना के पास कारगर तरीका उपलब्ध है। हालांकि उन्होंने यह भी माना है कि इसे अभी तक कश्मीर में मौजूद जवानों को उपलब्ध् नहीं कराया गया है। उनके मुताबिक कुछ समय में यह कश्मीर में मौजूद जवानों को मुहैया करवा दी जाएंगी। सेना प्रमुख ने दावा किया कि 2019 तक पूरी सेना नए बुलेट प्रूफ जैकेट और शील्ड के लैस हो जाएगी। इसके अलावा अर्द्धसैनिक बल भी अपने जवानों को नए जैकेट और शील्ड से लैस करने में जुट गए हैं।
नई बुलेट प्रूफ जैकेट पर काम शुरू
सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा कि पूर्वोत्तर और उत्तरी सीमा पर तैनात जवानों को नए जैकेट और शील्ड से लैस करने का काम शुरू हो गया। उनके अनुसार केवल सेना के लिए ऐसे 1.86 जैकेटों की जरूरत है। अर्द्धसैनिक बलों को जोड़ दें, तो इनकी संख्या काफी ज्यादा हो जाएगी। उनका यह भी कहना था कि एक साथ इतने जैकेट की आपूर्ति संभव नहीं है। लिहाजा इन्हें 20-25 हजार की संख्या में खरीदा जा रहा है। उनके अनुसार डोकलाम में चीनी सेना के साथ तनातनी के दौरान भी जवानों को यह जैकेट उपलब्ध कराया गया था। यही नहीं, कांगो और सूडान में विद्रोहियों द्वारा नए स्टील बुलेट के इस्तेमाल की सूचना के बाद वहां संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत तैनात भारतीय सैनिकों के लिए नए जैकेट भेजे गए थे।
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