सबमरीन कलवरी से बढ़ जाएगी भारतीय नौसेना की ताकत, जानिए इसकी खूबियां
एमडीएल की ओर कहा गया कि स्कॉर्पियन सीरीज की दूसरी सबमरीन का निर्माण जारी है, खांडेरी सबमरीन का समुद्र में परीक्षण किया जा रहा है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। भारतीय नौसेना को गुरुवार को पहली स्कॉर्पियन क्लास सबसरीन कलवरी सौंप दी गयी है। इस सबमरीन को मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर लिमिटेड में बनाया गया है, जो जल्द नौसेना में कार्यरत हो जाएगी। स्कॉर्पियन क्लास की दूसरी सबमरीन खांडेरी, कारांज का ट्रायल और निर्माण कार्य जारी है। इसे भारत के पुराने सबमरीन बेड़े के आधुनिकीकरण के रूप में देखा जा सकता है। दरअसल चीन ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी नौसैनिक क्षमता में काफी बढ़ोत्तरी की है। ऐसे में भारत के नौसैनिक क्षमता में सबमरीन के शामिल होने से हिंद महासागर क्षेत्र में चीन को चुनौती दी जा सकेगी।
पहली स्कॉर्पियन क्लास सबमरीन नौसेना में शामिल
एमडीएल ने अपनी एक स्टेटमेंट में कहा कि 21 सितंबर 2017 के दिन नौसैना को पहली स्कॉर्पियन सबमरीन सौंपकर देश में एक इतिहास लिखा गया। सबमरीन के जल्द ही नौसेना में शामिल होने की उम्मीद है। दरअसल, सबमरीन की डिलिवरी का मतलब होता है कि उसका ट्रायल पूरा हो गया है और नौसेना की ओर से इसको स्वीकार कर लिया गया है। कमीशन एक आधिकारिक समारोह होता है, जिसमें सबमरीन के सेना में शामिल होने की आधिकारिक घोषणा की जाती है।
दुश्मन पर तेज़ी से हमला करती है कलवरी
कलवरी नाम खूंखार शार्क से लिया गया है। इसे स्टेट ऑफ द आर्ट टेक्नोलॉजी से बनाया गया है। इसके साथ उन्नत स्टील्थ फीचर और साइलेंसिस टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया था। यह सबमरीन कम शोर के साथ दुश्मन पर तेजी से हमला करती है। एमडीएल की ओर से जानकारी दी गयी कि सबमरीन से टारपीडो लांच किया जा सकता है और एंटी शिप मिसाइल को जल और सतह दोनों जगह से लांच किया जा सकता है। उन्होंने इस सबमरीन में इसे जेनेरेशन शिफ्ट करार दिया। स्कॉर्पियन सबमरीन को सतह और पानी के भीतर से खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और युद्ध क्षेत्र में तैनात किया जा सकता है।
2030 तक 24 आधुनिक पनडुब्बियां होंगी
सबमरीन के निर्माण के प्रोग्राम को प्रोजेक्ट-75 नाम दिया गया था, जो कि तीस वर्षों की प्लानिंग थी, जिसे साल 1999 में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने इजाजत दी थी। दो प्रोडक्शन लाइन प्रोजेक्ट 75 और प्रोजेक्ट 75 (I) के तहत छह-छह सबमरीन का निर्माण किया जाना है। इसके साथ ही 12 कन्वेंशनल सबमरीन को बनाया जाना है। मतलब वर्ष 2030 तक नौसेना के पास कुल 24 आधुनिक सबमरीन होंगी। ऐसे में नौसेना की शक्ति में अगले कुछ वर्षों में खासी बढ़ोत्तरी होगी, जिससे हिंद महासागर में दुश्मनों पर नजर रखी जा सकेगी।
एमडीएल की ओर कहा गया कि स्कॉर्पियन सीरीज की दूसरी सबमरीन का निर्माण जारी है, खांडेरी सबमरीन का समुद्र में परीक्षण किया जा रहा है। इसका निर्माण कार्य इस वर्ष जनवरी में शुरू हुआ था। तीसरी सबमरीन कारांज का लांच अगले वर्ष हो सकेगा। भारत और फ्रांस के बीच छह सबमरीन का निर्माण कार्य और तकनीक ट्रांसफर को लेकर वर्ष 2005 में समझौता हुआ था।
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