Move to Jagran APP

सब सक्रिय रहे और फिर भी स्मॉग की चपेट में आ गई दिल्ली

प्रदूषण रोधी एजेंसियों डीपीसीसी, सीपीसीबी, ईपीसीए के साथ हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी की सक्रियता के बाद भी दिल्ली में बढ़ा प्रदूषण

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 09 Nov 2017 01:16 PM (IST)Updated: Thu, 09 Nov 2017 01:16 PM (IST)
सब सक्रिय रहे और फिर भी स्मॉग की चपेट में आ गई दिल्ली
सब सक्रिय रहे और फिर भी स्मॉग की चपेट में आ गई दिल्ली

नई दिल्ली (जागरण न्यूज नेटवर्क)। जैसे ज्यादा जोगी मठ उजाड़ देते हैं या फिर तमाम रसोइए खाना खराब कर देते हैं वैसे ही दिल्ली में प्रदूषण रोधी एजेंसियों की अधिकता भी एक समस्या बन गई लगती है। दिल्ली को प्रदूषण से बचाने के लिए दिल्ली सरकार के साथ उसकी प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के साथ केंद्रीय पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) तो सक्रिय है ही, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली एनवायरमेंट पल्यूशन कंट्रोल अथारिटी( ईपीसीए) भी सक्रिय है। इन सबके अलावा दिल्ली हाईकोर्ट, एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट भी हैं जो समय-समय पर संबंधित सरकारी विभागों को आदेश-निर्देश देते रहते हैं।

loksabha election banner

समन्वय होना आवश्यक

दिल्ली में प्रदूषण की प्रभावी रोकथाम के लिए डीपीसीसी, सीपीसीबी और ईसीपीए के बीच समन्वय होना आवश्यक है, लेकिन स्थिति उलट है। इन एजेंसियों में तालमेल के अभाव का एक नमूना मंगलवार को ईपीसीए की ओर से बुलाई गई बैठक से मिला। इस बैठक में दिल्ली सरकार की डीपीसीसी का कोई अफसर पहुंचा ही नहीं और वह भी तब जब ईपीसीए के एक सदस्य ने डीपीसीसी के अफसरों को बैठक में आने के लिए फोन किया। डीपीसीसी के अफसरों के रवैये से खीझे ईपीसीए के अध्यक्ष भूरेलाल ने कहा कि सिस्टम बदलना होगा। इसी दौरान सीपीसीबी के अफसरों ने भी डीपीसीसी को कठघरे में खड़ा किया। सीपीसीबी के अफसरों के अनुसार उनकी 40 टीमों ने कचरा फैलाने, जाम लगने, कूड़ा जलाने और अवैध भवन निर्माण की करीब 1200 शिकायतें डीपीसीसी को दी थीं, लेकिन उसने किसी के खिलाफ कुछ नहीं किया।

दिख रहा तालमेल का अभाव

समस्या केवल यह नहीं है कि विभन्न एजेंसियों में सहयोग का अभाव है, समस्या यह भी है कि कई बार इन एजेंसियों के सुझावों पर सभी सहमत नहीं होते। मसलन, ईपीसीए ने डीएमआरसी से अगले 10-12 दिनों तक कम भीड़ के दौरान मेट्रो के किराये में कमी करने को कहा तो डीएमआरसी ने जवाब दिया कि उसके पास तो मेट्रो का किराया बढ़ाने-घटाने का अधिकार ही नहीं है। अब देखना है कि पार्किंग के रेट बढ़ाने के ईपीसीए के सुझाव का क्या होता है? समस्याओं का अंत यही नहीं होता। दिल्ली सरकार और एमसीडी के बीच भी समन्वय नहीं दिख रहा है। जब दिल्ली हाईकोर्ट यह मान रहा है कि पराली जलाया जाना दिल्ली के प्रदूषण का एक बड़ा कारण है, एक मात्र कारण नहीं तो दिल्ली सरकार का सारा जोर यह साबित करने पर है कि राजधानी में प्रदूषण का मूल कारण पंजाब एवं हरियाणा में जलने वाली पराली है। जब दिल्ली सरकार स्कूल बंद करके प्रदूषण से निपट रही है तो ईपीसीए की सुनीता नारायण कह रही हैं कि ऐसे कदमों से बहुत उम्मीद नहीं है।

फैसला कोई ले, अमल कोई और करे

विशेषज्ञों और साथ ही पर्यावरणिवदों का मानना है कि प्रदूषण रोधी एजेंसियां भी तमाम हैं और उन्हें आदेश-निर्देश एवं सुझाव देने वाले भी, लेकिन संकट यह है कि जो एजेंसी फैसले लेती है वह उसे लागू करने का अधिकार नहीं रखती। इसी तरह प्रदूषण रोधी उपायों पर अमल कोई एजेंसी करती है और फैसले लेने का काम कोई और करता है। पर्यावरण एक्टिविस्ट अनिल सूद कहते हैं कि दिल्ली में जब तक कोई एक एजेंसी समस्त अधिकारों के साथ सक्रिय नहीं होती, प्रदूषण से निजात मिलने वाली नहीं है। उनकी मानें तो अलग-अलग एजेंसियां खुद काम करने के बजाय अदालतों का दरावाजा खटखटाने में ज्यादा रुचि रखती हैं। एक अन्य पयार्वरणिवद का यह कहना है कि कई बार संबंधित विभाग केवल उतना ही करते हैं जितना हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट या फिर एनजीटी कहता है।

मूल कारणों की अनदेखी

एक गंभीर समस्या और है और वह यह कि प्रदूषण में सबसे ज्यादा योगदान दे रही धूल और वाहनों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने की कोई ठोस कोशिश किसी एजेंसी ने नहीं की है। ऐसा तब है जब दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के कारणों पर होने वाले करीब-करीब हर अध्ययन का निष्कर्ष यही रहा है कि सड़कों और निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल एवं भारी वाहनों से होने वाले पर लगाम लग जाए तो दिल्ली को घातक प्रदूषण से बचाया जा सकता है। एक समय दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि सड़कों की धूल साफ की जाएगी, लेकिन उसका यह दावा हवा-हवाई ही निकला।

13 हजार करोड़ की लागत से बना है हादसों का यमुना-आगरा ‘एक्‍सप्रेस वे’

लगातार तीसरे दिन भी Delhi-NCR में स्मॉ‍ग का कहर, बचना है तो करने होंगे ये उपाय 

जानिए क्या है 'AirLock', कल दिल्ली-एनसीआर में हो सकता है आपका इससे सामना 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.