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US ने CPEC और OBOR का किया विरोध, भारत के पक्ष में दिया ये बड़ा बयान

US ने पहली बार चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे और OBOR पर अपना विरोध जताया है। अमेरिका का कहना है कि यह दोनों ही विवादित इलाके से गुजरते हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 07 Oct 2017 01:46 PM (IST)Updated: Sun, 08 Oct 2017 02:33 PM (IST)
US ने CPEC और OBOR का किया विरोध, भारत के पक्ष में दिया ये बड़ा बयान
US ने CPEC और OBOR का किया विरोध, भारत के पक्ष में दिया ये बड़ा बयान

नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। CPEC को लेकर पहली बार अमेरिका ने भारत के दावों का समर्थन करते हुए बड़ा बयान दिया है। अमेरिका का कहना है कि यह प्रोजेक्टस एक विवादित इलाके में बन रहा है। अमेरिका ने पहली बार कांग्रेस को इस बात की जानकारी दी है कि वह मानता है कि चीन-पाकिस्तान के बीच बनने वाला आर्थिक गलियारा उस विवादित इलाके से गुजरता है जिस पर भारत अपना दावा करता आया है। इसके अलावा अमेरिका ने ओबीओर को लेकर भी ऐसी ही टिप्पतणी की है। अमेरिका के रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने यहां तक कहा कि वह मानते हैं यहां पर जबरन इस तरह के प्रोजेक्ट को बनाया जा रहा है। उन्होंने सीधेतौर पर कहा कि अमेरिका चीन ओबीओआर प्रोजक्टा का विरोध करता है, क्योंकि मौजूदा समय में कई रोड हैं और कई बेल्ट भी हैं। मैटिस का कहना था कि अमेरका इसलिए भी इसका विरोध करता है क्योंकि यह विवादित इलाके से होकर गुजरता है।

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भारत के लिए बेहद खास है मैटिस का बयान

अमेरिका की तरफ से सामने आए पहले बड़े बयान के भारत के लिए काफी मायने हैं। यह इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि भारत कई मंचों पर इस बात को दुनिया को बताता रहा है कि जिस इलाके में चीन-पाकिस्तान के बीच आर्थिक गलियारा बन रहा है वह काननून भारतीय क्षेत्र में आता है जिस पर पाकिस्तान ने वर्षों से अवैध रूप से कब्जा कर रखा हे। लेकिन अब अमेरिका के इस बाबत सामने आए बयान के बाद भारत के इन्हीं दावों को बल मिला है। वहीं दूसरी तरफ इस बयान से दुनिया में एक मैसेज यह भी गया है कि भारत का कथन और दावा इस बाबत पूरी तरह से सही है।

भारत के दावों को सही ठहराता है यूएस का बयान

ऑब्जरवर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत भी मानते हैं कि अमेरिका ने आर्थिक गलियारे पर इस तरह का बड़ा बयान पहली बार दिया है। यह उनके द्वारा भारत के दावों का भी सही ठहराता है। इसका असर आने वाले समय में भी जरूर दिखाई देगा। उनका कहना है कि 56 बिलियन डॉलर के इस प्रोजेक्टे को लेकर काफी समय से सवाल भी उठ रहे हैं। अमेरिका के इस बयान के बाद वह देश जो अमेरिका के सहयोगी हैं और जो इस आर्थिक गलियारे को सही मानते हैं या इसमें सहभागी है, इस पर एक बार दोबारा विचार जरूर करेंगे। अमेरिका के इस बयान के मायने के रूप में जहां प्रोफेसर पंत भारत के दावों को सही ठहराना मानते हैं वहीं वह यह भी मानते हैं कि हाल के कुछ समय में जिस तरह से भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते बेहतर हुए हैं, अमेरिका के बयान से यह बात साबित होती है।

CPEC को पूरा करना चीन के लिए बड़ी चुनौती

प्रोफेसर पंत का यह भी कहना है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को लेकर पाकिस्तान में ही काफी विरोध है। पाकिस्तान के बलूचिस्ता‍न से लेकर ग्वादर तक में इसके लिए विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पाकिस्तान के लोग यह बात मानते हैं कि इससे पाकिस्तान को न के बराबर फायदा है जबकि चीन को इससे बेतहाशा फायदा होगा। इन विरोधों के बीच चीन के लिए यह प्रोजेक्टै सफल तरीके से पूरा करना एक बड़ी चुनौती है। 

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