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गुजरात की बाजी: अहमद पटेल पर निशाना और हार्दिक की धमकी से मुश्किल में कांग्रेस

संदिग्ध आइएस आतंकी- अहमद पटेल के अस्पताल के बीच कनेक्शन और हार्दिक पटेल की धमकी के बाद कांग्रेस के रणनीतिकारों के सामने मुश्किलें उठ खड़ी हुई हैं।

By Lalit RaiEdited By: Published: Sun, 29 Oct 2017 02:35 PM (IST)Updated: Mon, 30 Oct 2017 09:19 AM (IST)
गुजरात की बाजी: अहमद पटेल पर निशाना और हार्दिक की धमकी से मुश्किल में कांग्रेस
गुजरात की बाजी: अहमद पटेल पर निशाना और हार्दिक की धमकी से मुश्किल में कांग्रेस

नई दिल्ली [ स्पेशल डेस्क ] । गुजरात में चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही बयानों के दौर शुरू हो चुके हैं। कांग्रेस के थिंक टैंक कहे जाने वाले अहमद पटेल पर संगीन आरोपों के बाद पूरी पार्टी बैकफुट पर है। कांग्रेस ने सफाई में कहा कि गुजरात में भाजपा को अपनी हार नजर आ रही है, लिहाजा कांग्रेस नेताओं को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। इसके साथ ही कांग्रेस के लिए एक बुरी खबर ये है कि पाटीदारों के लिए आंदोलन चलाने वाले हार्दिक पटेल ने अपने रुख को सख्त कर लिया है। लेकिन इन सबके बीच कर्नाटक के मेंगलुरु में पीएम नरेंद्र मोदी कांग्रेस की नीतियों पर जमकर बरसे। मेंगलुरु में पीएम के बयान का क्या मतलब इसे बताने से पहले हम आपको ये बताएंगे कि अहमद पटेल, आइएस आतंकी और भाजपा के आरोपों के बीच क्या संबंध है।इसके साथ ही हम आपको ये भी बताएंगे कि हार्दिक पटेल के ताजा रुख से कांग्रेस की कितनी मुश्किलों का सामना करना होगा। 

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 अहमद पटेल, आइएस आतंकी और भाजपा
आइएस आतंकी की गिरफ्तारी को कांग्रेस नेता अहमद पटेल से जोड़े जाने पर कांग्रेस ने भी भाजपा पर पलटवार किया है। साथ ही गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के पटेल का राज्यसभा से इस्तीफा मांगने को भी ‘कुटिल साजिश’ करार दिया है। कांग्रेस के प्रमुख प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अहमद पटेल का बचाव करते हुए कहा कि गुजरात में होनेवाले विधानसभा चुनाव में हार के डर से भाजपा कुटिल साजिशें रच रही है। उन्होंने कहा कि ना तो पटेल और ना ही उनके परिजनों में ही कोई भी सरदार पटेल अस्पताल का ट्रस्टी है। सुरजेवाला ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। खासकर तब जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ इस युद्ध में अपने जीवन का बलिदान दिया है।

उन्होंने इस मामले में उल्टा भाजपा को लपेटते हुए कहा कि केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को पिछले साल अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की बीवी के मुंबई आकर वापस लौट जाने की खबर का क्यों कुछ पता नहीं चला। सुरजेवाला ने यह भी पूछा कि इस बात में कितनी सच्चाई है कि महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे को दाऊद इब्राहिम से रिश्ते को लेकर पार्टी से निकाला गया था। उन्होंने भाजपा पर हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के परिजनों को मुआवजा देने और एक परिजन को नौकरी देने की पेशकश का भी आरोप लगाया। उन्होंने कांधार विमान अपहरण कांड का भी जिक्र करते हुए कहा कि पूर्ववर्ती राजग सरकार ने मसूद अजहर समेत कई आतंकियों को रिहा कर दिया था। राजकोट में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम सफाई में उतरे और कहा कि भाजपा द्वारा अहमद पटेल के इस्तीफे की मांग को अपमानजनक है। चिदंबरम ने तथ्यों के जरिए ये बताया कि अहमद पटेल ने ट्रस्टी के पद से विगत 2015 में इस्तीफा दे दिया था। गिरफ्तार किया गया संदिग्ध व्यक्ति ने एक साल पहले ही वहां नौकरी करना शुरू किया था। फिर तीन साल पहले इस्तीफा दे चुका ट्रस्टी इस वारदात के लिए किस तरह जिम्मेदार हो सकता है।
 

Jagran.Com से खास बातचीत में राजनीतिक मामलों के जानकार शिवाजी सरकार ने कहा कि चुनावी फिजां में हर एक बयान का महत्व है। अहमद पटेल का अस्पताल, संदिग्ध आइएस आतंकी के पकड़ा जाना इसके पीछे कितनी सच्चाई है वो सवालों के घेरे में आ सकती है। लेकिन निश्चित तौर पर ये कांग्रेस के लिए परेशानी की बात होगी। अब कांग्रेस को आम मतदाताओं को समझाना होगा कि ये सब भाजपा की तरफ से प्रायोजित प्रचार है जिसका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं है। 

रूपाणी के निशाने पर अहमद पटेल
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने भाजपा कार्यालय श्री कमलम में पत्रकारों को बताया की खूंखार आतंकी संगठन आइएस से जुड़ा आतंकी मुहम्मद कासिम टिम्बरवाला भरुच के जिस अस्पताल में लैब टेक्नीशिन रहा उसके ट्रस्टी खुद अहमद पटेल रह चुके हैं। पटेल इस्तीफा देने के बाद भी पिछले साल अस्पताल के कार्यक्रम में बतौर मेजबान सक्रिय रहे थे।सीएम विजय रूपाणी ने कांग्रेस की अहमद पटेल के इस्तीफे की दलीलों को खारिज कर आरोप लगाया कि 2014 के अंत में अहमद पटेल ने ट्रस्टी के पद से इस्तीफा दे दिया लेकिन 2016 के अस्पताल के ही एक उद्घाटन कार्यक्रम में वे बतौर मेजबान सक्रिय रहे। इस कार्यक्रम में पटेल के आमंत्रण पर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी आए थे।

जब हार्दिक पटेल कांग्रेस से हुए खफा
पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने होटल ताज में राहुल गांधी से गुप्त मुलाकात को लेकर उठे विवाद के बाद कांग्रेस को लेकर सख्त रुख अपनाया है। हार्दिक ने पाटीदारों को संविधान के तहत आरक्षण देने पर कांग्रेस से रुख स्पष्ट करने और ऐसा नहीं करने पर तीन नवंबर की उसकी रैली में हंगामे की चेतावनी दी है। कांग्रेस चाहती है हार्दिक भी अल्पेश की तरह बिना शर्त समर्थन कर दें, लेकिन हार्दिक कुछ शर्ते मनवाना चाहते हैं।

गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन चला रहे पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने शनिवार को एक ट्वीट कर कहा है कि कांग्रेस तीन नवंबर तक पाटीदारों को संवैधानिक तरीके से आरक्षण देने के मुद्दे पर रुख स्पष्ट करे। कांग्रेस अगर ऐसा नहीं करती है, तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की सभा की तरह उसकी सूरत रैली में भी हंगामा किया जाएगा।राहुल गांधी की पिछली गुजरात यात्र के दौरान होटल ताज में उनसे व कांग्रेस प्रभारी अशोक गहलोत से मुलाकात की फुटेज सार्वजनिक होने के बाद हार्दिक ने अचानक सख्त रुख अपना लिया है।

हार्दिक पटेल के बयान पर शिवाजी सरकार ने कहा कि निश्चित तौर पर कांग्रेस के सामने ये संकट की घड़ी होगी। अल्पेश जहां पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं, वहीं हार्दिक पटेल पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग करे रहे हैं जो तय समयसीमा के अंदर हो। कांग्रेस के लिए दोनों लोगों को खुश कर पाना आसान नहीं होगा। लेकिन इस तरह के दबाव से भाजपा को निश्चित तौर पर फायदा होगा।  

हार्दिक का बयान और कांग्रेस की सोच

हार्दिक की कोई स्पष्ट राजनीतिक विचारधारा नहीं है। वे पाटीदारों को आरक्षण नहीं देने और उनके दमन का बदला लेने के लिए गुजरात में भाजपा को हराना चाहते हैं। इसके लिए वह कभी राकांपा तो कभी शिवसेना के करीब होने का आभास कराते हैं, तो कभी कांग्रेस के पक्ष में दिखना चाहते हैं। कांग्रेस चाहती है ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर की तरह हार्दिक पटेल बिना शर्त कांग्रेस का समर्थन कर दें। चूंकि उनके पास और कोई विकल्प नजर नहीं आता है, इसलिए कांग्रेस कुछ समय ऐसे ही निकाल देना चाहती है। एक कांग्रेस नेता का यह भी कहना है कि राजनीति के खिलाड़ी शंकरसिंह वाघेला कांग्रेस से सौदेबाजी नहीं कर सके तो हार्दिक की बिसात ही क्या। कांग्रेस मानती है कि हार्दिक आदि युवा नेता जुनूनी हैं। लेकिन राजनीतिक समझ में कांग्रेस उनसे आगे है।

अब गरीबों तक पहुंचेंगे 100 पैसे
गुजरात और हिमाचल में राजनीतिक घटनाक्रम के बीच पीएम मोदी ने मेंगलुरु में कांग्रेस का नाम लिए निशाना साधा। पीएम मोदी ने कहा हाथ का ये वो पंजा है.जिसके कब्जे में एक रुपये में से 85 पैसे रहते थे।  दिल्ली से एक रुपया निकलता था है  लेकिन गांव जाते-जाते ये रकम 15 पैसे हो जाती थी। ये रुपये को घिसने वाला पंजा कौन होता है। कौनसा पंजा है जो रुपये को घिसते घिसते 15 पैसे बना देता है? हमने तय किया है कि जब दिल्ली से एक रुपया निकलेगा तो गरीबों तक 100 पैसे पहुंचेंगे।'

पीएम के इस बयान पर राजनीतिक मामलों के जानकार शिवाजी सरकार ने Jagran.Com से कहा कि बेशक कर्नाटक में अभी चुनाव नहीं हो रहा है। लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बोलकर पीएम ने गुजरात और हिमाचल के मतदाताओं को ये याद दिलाया कि कांग्रेस कभी भी आम लोगों के विकास के लिए गंभीर नहीं रही। जहां तक सीधे तौर पर कांग्रेस का उन्होंने नाम नहीं लिया तो उसके पीछे सिर्फ उनके बोलने का कौशल है।  

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