Move to Jagran APP

भारत के खिलाफ नेपाल को मोहरा बनाने की चीन की बड़ी साजिश, बनानी होगी ये रणनीति

नेपाल में निवेश कर चीन भारत के खिलाफ उसको मोहरा बनाने की कोशिश में लगा है। यह भारत के लिए खतरे की घंटी है इसके लिए भारत को नई रणनीति बनानी होगी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 22 Aug 2017 04:07 PM (IST)Updated: Wed, 23 Aug 2017 09:02 AM (IST)
भारत के खिलाफ नेपाल को मोहरा बनाने की चीन की बड़ी साजिश, बनानी होगी ये रणनीति
भारत के खिलाफ नेपाल को मोहरा बनाने की चीन की बड़ी साजिश, बनानी होगी ये रणनीति

ई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। पिछले तीन माह से जारी डाेकलाम विवाद के बीच अब चीन-भारत के खिलाफ नेपाल को मोहरा बनाने में जुटा है। वह अब नेपाल को भारत के खिलाफ इस्‍तेमाल करने की खतरनाक साजिश पर काम कर रहा है। इसके तहत वह नेपाल को आर्थिक मदद तो दे ही रहा है, बल्कि मौजूदा समय में वह नेपाल में सबसे बड़ा निवेशक भी बन चुका है। गौरतलब है कि 2016 में नेपाल की सबसे ज्यादा आर्थिक मदद करने वाले देश के तौर पर चीन ने भारत को पीछे छोड़ दिया है। यह भारत के लिए निश्चित तौर पर खतरे की घंटी हो सकती है। चीन की सरकारी मीडिया ने इस बात से इंकार नहीं किया है कि यह सब वह भारत को किनारे करने के लिए कर रहा है। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक तौर पर नेपाल हमेशा से ही भारत का करीबी रहा है। लैंड लॉक कंट्री होने के चलते नेपाल का ज्यादातर व्यापार भी भारत के रास्ते होता है।

loksabha election banner

भारत के खिलाफ खड़ा नहीं होगा नेपाल

रक्षा और विदेश मामलों के जानकार कमर आगा भी नेपाल से चीन की करीबी को भारत के लिए बड़ा खतरा मानते हैं। हालांकि वह इस बात को लेकर आश्‍वस्‍त जरूर हैं कि नेपाल, भारत के खिलाफ कभी खड़ा नहीं होगा। उनका कहना है कि भारत और नेपाल की वर्षों पुरानी सभ्‍यता है। दोनों देशों की साझा सांस्‍कृतिक विरासत है। इसके अलावा हमारा वर्षों पुराना नाता है। उनका यह भी कहना है कि चीन अपनी खतरनाक रणनीति के तहत नेपाल में भारी मात्रा में निवेश कर रहा है। यह हर कोई बखूबी जानता है कि चीन का किसी भी निवेश के पीछे या फिर उस मुल्‍क को आर्थिक मदद देने के पीछे एक खतरनाक मकसद होता है। वह शुरुआत में वहां निवेश का मुखौटा जरूर पेश करता है लेकिन बाद में उसका मकसद वहां पर मिलिट्री डिप्‍लॉयमेंट होता है। एेसा वह श्रीलंका और पाकिस्‍तान में कर चुका है।

यह भी पढ़ें: भारत को घेरने में घिरा चीन, अपना रहा है सामरिक हथकंडे  

नेपाल में निवेश बढ़ाए भारत

कमर आगा मानते हैं नेपाल में चीन की रणनीति को नाकाम करने के लिए भारत को चाहिए कि वहां पर ज्‍यादा से ज्‍यादा निवेश बढ़ाए। इसके अलावा भारत को चाहिए कि स्किल इंडिया समेत कुछ और योजनाओं को भी नेपाल सरकार के साथ मिलकर वहां पर लागू करवाए, जिससे वहां के लोग रोजगार की तरफ बढ़ सकें। उनके मुताबिक नेपाल में गरीबी और रोजगार की कमी की वजह से वहां का बड़ा वर्ग निराश है। दूसरी तरफ नेपाल में अब चूंकि कम्‍यूनिस्‍ट सरकार है लिहाजा यह चीन के लिए फायदे का सौदा है। आगा का कहना है कि भारत को नेपाल में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए काफी काम करने की जरूरत है। इतना ही नहीं भारत में मौजूद प्राइवेट यूनिवर्सिटी को भी नेपाल में जाकर निवेश करने के लिए प्रोत्‍साहन दिया जाना चाहिए। वहां पर सरकार को चाहिए कि नेपाल सरकार के सहयोग से यूनिवर्सिटी का निर्माण करवाए और लोगों को रोजगार मुहैया करवाने में मदद करे।

यह भी पढ़ें: चीन वीडियो के जरिए फैला रहा झूठा और अब कुछ यूं तैया‍री में जुटा भारत

पीएम देउबा गुरुवार को आएंगे भारत

यहां यह सब इसलिए भी बेहद खास है क्‍योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी के बुलावे पर नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा अपनी पत्नी अर्जु देउबा के साथ 23 अगस्त से भारत दौरे पर आ रहे हैं। जून 2017 में प्रधानमंत्री बनने के बाद देउबा की यह पहली भारत यात्रा है। उनके साथ एक हाई लेवल डेलीगेशन भी आने वाला है। इस यात्रा के दौरान वह राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद और उप-राष्‍ट्रपति वेंकैया नायडू से भी मुलाकात करेंगे। इसके अलावा वे विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी कुछ अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे। चीन की रणनीति पर ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि चीन और नेपाल की दोस्ती से भारत किनारे हो जाएगा। हाल ही में चीन के उप-प्रधानमंत्री वांग यांग की नेपाल यात्रा को इसी कोशिशों से जोड़कर देखा जा रहा है।

चीन की साजिश

ग्‍लोबल टाइम्‍स ने लिखा है कि चीन के उप-प्रधानमत्री वांग यांग की नेपाल यात्रा हाल के वर्षों में चीन-नेपाल के बीच हुई उच्च-स्तरीय बातचीत में सबसे अहम है। वांग की ये यात्रा भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की नेपाल यात्रा के कुछ दिनों बाद हुई है। अखबार ने अपने लेख में कई तरह के मनगढ़ंत आरोप भी भारत पर लगाए हैं। इसमें कहा गया भारत, नेपाल की आर्थिक नाकेबंदी करने में लगा हुआ है। इसमें यह भी कहा गया है कि नेपाल में जब नया संविधान लागू किया गया तो भारत ने उस पर अघोषित आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए, जिससे नेपाल में ईंधन का गंभीर संकट खड़ा हो गया और उसे चीन से मदद लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।

यह भी पढ़ें: जानें आखिर अमेरिका क्‍यों मानता है चीन को भविष्‍य का सबसे बड़ा खतरा    

चीन का नेपाल में निवेश

इसमें यह भी कहा गया है कि बेल्ट एंड रोड पहल के तहत चीन-नेपाल व्यापारिक रूट, भारत-नेपाल रूट का विकल्प बन जाए तो इससे नेपाल को कूटनीतिक आजादी मिल जाएगी। चीन ने नेपाल के कहने पर उसे दी जाने वाली मदद भी बढ़ाई है। नेपाल में 2017 में अब तक 15 अरब नेपाली रुपये का फॉरेन इन्वेस्टमेंट हुआ है। इसमें 8.35 अरब नेपाली रुपये का निवेश चीन की तरफ से किया गया है। 2017 में भारत ने नेपाल में 1.99 अरब रुपयों का इन्वेस्टमेंट किया है। मार्च में हुई नेपाल की इन्वेस्टमेंट समिट में चीन ने उसे 8.2 अरब डॉलर की मदद का वादा किया था। नेपाल को इस समिट से 7 देशों की तरफ से कुल 13.52 अरब डॉलर का इन्वेस्टमेंट हासिल हुआ है। चीन की कंपनियों ने भारत के बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक मार्केट को भी पीछे छोड़ दिया है और नेपाल में 22 अरब डॉलर का व्यापार कर रही हैं।

चीन ने नेपाल में हथियाए कई बड़े प्रोजेक्‍ट्स

इतना ही नहीं चीन ने नेपाल में बनने वाले कई बड़े प्रोजेक्‍ट्स अपने नाम कर लिए हैं। इसमें पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट समेत हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी प्रॉजेक्ट्स भी शामिल हैं। अब चीन के पास नेपाल के सबसे ज्यादा प्रॉजेक्ट्स हैं। आंकड़ों में देखें तो नेपाल में फिलहाल 341 बड़े प्रॉजेक्ट्स पर काम चल रहा है। इनमें से 125 चीन के पास हैं, 55 दक्षिण कोरिया के पास, 40 अमेरिका, 23 भारत, 11 यूके और 69 अन्य देशों के पास हैं।

 

यह भी पढ़ें दुनिया पर मंडरा रहा है 'थर्ड वर्ल्‍ड वार' का खतरा, क्‍या भारत रोक पाएगा ये 'महाविनाश'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.