हिंद महासागर में भी चीन की घुसपैठ, लेकिन डरने की नहीं सतर्क रहने की जरूरत
हिंद महासागर में चीन की पनडुब्बी और युद्धपोत का देखा जाना भारत के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। इसके पीछे चीन की मंशा कुछ और भी हो सकती है।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। सिक्किम के डोका-ला इलाके में आंख दिखाने के बाद अब चीन ने हिंद महासागर में अपनी पनडुब्बी भेजी है। यह इसलिए भी खास है कि चीन लगातार भारत को घेरने और उसको धमकाने की कोशिश कर रहा है। अफ्रीका के जिबूती में चीन का नौसैनिक अड्डा, श्रीलंका के बंदरगाह हम्बनटोटा और पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट पर चीन की मौजूदगी इसका एक उदाहरण है। इतना ही नहीं इसका खुलासा ऐसे समय में हुआ है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल यात्रा पर गए हुए हैं। इसके बाद पीएम मोदी को जर्मनी के हैंबर्ग में होने वाली जी-20 समिट में भी जाना है। चीनी पनडुब्बी का इस क्षेत्र में दिखाई देना इसलिए भी खास है क्योंकि भारत-अमेरिका-जापान के बीच इस क्षेत्र में 7 जुलाई से संयुक्त अभ्यास 'मालाबार' होने वाला है। माना यह भी जा रहा है कि इसपर निगाह रखने के लिए चीन ने यह कदम उठाया है।
डरने की नहीं सतर्क रहने की जरूरत
हालांकि रक्षा जानकार सी उदय भास्कर इसको भारत के लिए फिलहाल कोई खतरा नहीं मानते हैं। दैनिक जागरण की स्पेशल डेस्क से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि यदि चीनी पनडुब्बी भारतीय जल सीमा में काफी अंदर तक आ जाती है तो जरूर इसको खतरा माना जाएगा, लेकिन यदि यह सौ मील या उससे अधिक की दूरी पर है तो इसको भारत के लिए खतरा मानना सही नहीं होगा। हालांकि उन्होंने यह जरूर माना है कि चीन की पनडुब्बी पर निगाह रखना बेहद जरूरी है। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि जब कभी भी ऐसा होता है तो भारतीय नौसेना उसकी किसी भी हरकत पर पैनी निगाह रखती है। उनके मुताबिक इस तरह की घटना बहुत मायने इसलिए भी नहीं रखती हैं क्योंकि भारत की तरफ से भी कई बार नौसेना के जहाज और पनडुब्बी चीन की तरफ जाते हैं। उस वक्त चीन की तरफ से भी भारतीय नौसेना की हरकत पर नजर रखी जाती है। उदय भास्कर ने बताया कि चीन की तरफ से ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, इस तरह की हरकत वह लगातार कर रहा है, लिहाजा डरने की नहीं सतर्क रहने की जरूरत है।
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युआन क्लास की है चीनी पनडुब्बी
चीन की यह पनडुब्बी युआन क्लास की है। इस क्षेत्र में तैनात की गई चीन की यह 7वीं पनडुब्बी है। इतना ही नहीं चीन की इस पनडुब्बी के साथ एक युद्धपोत को भी इस क्षेत्र में देखा गया है, जिसका नाम चोंगमिंगडाओ है। भारत की ओर से इस पनडुब्बी को हाल में भारतीय समुद्री क्षेत्र में प्रवेश करते देखा गया। भारतीय नौसेना ने चीनी नौसेना की ओर से भारतीय समुद्री क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ने की जानकारी नई दिल्ली को भी भेज दी है। यह पहला मौका नहीं है कि जब चीन ने इस तरह की हरकत की हो। हाल के कुछ समय में भारतीय सैटेलाइट्स और नौसेना निगरानी तंत्र ने चीनी नौसेना के कम से कम 14 पोतों को भारतीय समुद्री क्षेत्र में घूमते देखा। इनमें आधुनिक लुआंग-3 और कुनमिंग क्लास स्टील्थ डेस्ट्रॉयर्स भी शामिल हैं। इससे पहले जब 2013 में चीन ने इस तरह की हरकत की थी तब उसने इसको अदन की खाड़ी में एंटी पाइरेसी ऑपरेशंस की मॉक ड्रिल बताया था। लेकिन इसके बाद से चीनी युद्धपोतों का भारत के आसपास के जलक्षेत्र में संदिग्ध ढंग से घूमने का सिलसिला चला आ रहा है।
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कब-कब भारतीय जल सीमा में हुई चीन की घुसपैठ
- दिसंबर 2013 में पहली चीनी परमाणु पनडुब्बी को देखा गया था।
- शांग क्लास- न्यूक्लियर प्रोपेल्ड पनडुब्बी भारत के आसपास करीब तीन महीने फरवरी 2014 तक तैनात रही थी।
- 2014 में ही अगस्त से दिसंबर के बीच और तीन महीने तक सोंग क्लास- डीजल इलेक्ट्रिक-पनडुब्बी क्षेत्र में रही।
- इसके बाद हान क्लास परमाणु पनडुब्बी को देखा गया था। इसको भारत के आसपास के समुद्री क्षेत्र में तैनात किया गया था।
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