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2014 में उत्तर प्रदेश में जहां मिली थी मात अब उन सीटों पर भी है भाजपा की नजर

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 2014 के चुनाव में भाजपा ने 71 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की थी।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 07 Oct 2017 03:02 PM (IST)Updated: Sun, 08 Oct 2017 10:25 AM (IST)
2014 में उत्तर प्रदेश में जहां मिली थी मात अब उन सीटों पर भी है भाजपा की नजर
2014 में उत्तर प्रदेश में जहां मिली थी मात अब उन सीटों पर भी है भाजपा की नजर

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। अगले लोकसभा चुनाव के होने में अभी करीब डेढ़ साल का वक्त है लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने उन सीटों की पहचान कर ली है जिन पर उन्हें सबसे पहले ध्यान देने की जरुरत है। वो हैं उत्तर प्रदेश की सात लोकसभा सीटें जिन्हें भाजपा और सहयोगी पार्टी अपना दल नहीं जीत पायी थी। इन सातों संसदीय क्षेत्र में विकास परियोजनाओं के शिलान्यास के अलावा सार्वजनिक सभाएं और संगठनात्मक कार्यक्रम के आयोजन की योजना बनायी गई है। यही वजह है कि अमेठी के लिए पार्टी ने कई कार्यक्रम तैयार कर रखे हैं और उसी तर्ज पर अन्य छह लोकसभा क्षेत्रों में काम किया जाएगा।

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2014 में 7 सीटों पर मिली थी भाजपा को शिकस्त

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 2014 के चुनाव में भाजपा ने 71 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की थी जबकि अपना दल के खाते में दो सीट आयी थी। जबकि, सात अन्य सीटों में से अमेठी की सीट राहुल गांधी और रायबरेली की सीट सोनिया गांधी ने जीत दर्ज की थी। तो वहीं अन्य पांच सीट समाजवाटी पार्टी के खाते में गई थी। ये सीट थीं- आजमगढ़ (मुलायम सिंह यादव), कन्नौज (डिंपल यादव), मैनपुरी (तेज प्रताप यादव), बदायूं (धर्मेन्द्र यादव) और फिरोजाबाद (अक्षय यादव)।

10 अक्टूबर को अमित शाह का ‘कांग्रेस के गढ़’ में दौरा

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कांग्रेस का गढ़ माने जानेवाले अमेठी का 10 अक्टूबर को दौरा करेंगे। Jagran.com से खास बातचीत में यूपी भाजपा के प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने बताया कि भाजपा की कोशिश पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान हारी हुई सीटों पर विशेष ध्यान देने की है। उन्होंने कहा कि जहां पर पार्टी को शिकस्त मिली थी वहां पर पिछले करीब तीन वर्षों के दौरान पार्टी लगातार सक्रिय है। मनीष शुक्ला ने आगे बताया कि पिछली बार अमित शाह राष्ट्रीय महासचिव होने के साथ ही यूपी के प्रभारी थे और उनके नेतृत्व में शानदार जीत मिली। लेकिन, इस बार ये लक्ष्य यूपी की सभी 80 सीटों को जीतने का है। इसलिए हारी हुई सीट पर खास ध्यान दिया जा रहा है।

अमेठी से शुरु होगा भाजपा का चुनावी रथ

अमेठी में अमित शाह के साथ कई केन्द्रीय मंत्री और पार्टी नेता रहेंगे जो वहां पर रैली को संबोधित करेंगे और कई विकास परियोजनाओं  की आधारशिला रखेंगे। सार्वजनिक सभा का आयोजन मुसाफिरखाना रोड के सम्राट साइकल कैम्पस के पास किया गया है। केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, नितिन गडकरी और मनोज सिन्हा की तरफ से परियोजनाओं की नींव रखने या उसके उद्घाटन करने की उम्मीद है, जैसे- एफएम रेडियो स्टेशन, सैनिक स्कूल, अमेठी डिस्ट्रिक्ट हेडक्वार्टर, अमेठी डिस्ट्रिक्ट हेडक्वार्टर्स एंड सिविल कोर्ट बिल्डिंग, कृषि विज्ञान केन्द्र, आईटीआई, रेलवे और रोड की परियोजनाएं।

हारी हुई सीटों की ना हो अनदेखी

मनीष शुक्ला ने बताया कि भाजपा प्रत्याशी थोड़े वोटों से पिछले चुनाव हार गए थे वह लगातार अपने क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। इसके अलावा, सरकार की तरफ से संगठन के विस्तार को लेकर कार्यक्रम चलाया गया है। 38 आयाम निकाल गए और पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया है। उन्होंने बताया कि भाजपा कन्नौज और अमेठी जैसी सीटों पर काफी कम वोटों के अंतर से हारी थी। ऐसे में पार्टी की रणनीति है कि इन क्षेत्रों के लोगों को यह एहसास ना हो कि उनकी बाकी क्षेत्रों के मुकाबले विकास में अनदेखी की गई है। जिसका मकसद ये है कि पार्टी ने जिस तरह का प्रदर्शन 2014 के चुनाव में किया था उससे कहीं बेहतर 2019 के चुनाव में करे।

यूपी भाजपा संगठन में बदलाव की तैयारी

भाजपा उत्तर प्रदेश की कमान डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय के हाथ में आने के बाद अब संगठन का चेहरा बदलने की कवायद शुरू है। प्रदेश और केंद्र सरकार में दर्जनभर से ज्यादा पदाधिकारियों के मंत्री बनने से ‘एक व्यक्ति-एक पद’ सिद्धांत के चलते उनकी छुट्टी होनी तय है। इन पदों को भरने के साथ ही संगठन में फेरबदल होना है। ऐसे में भाजपा की कार्यकारिणी में अपनी जगह बनाने के लिए पूर्वी से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक के कई दिग्गज जूझ रहे हैं। भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक 11 और 12 अक्टूबर को कानपुर में होने जा रही है। भाजपा अध्यक्ष डॉ. पांडेय अपनी कार्यकारिणी गठित करने के लिए सक्रिय हैं। इस सिलसिले में उन्होंने भाजपा मुख्यालय में संगठन महामंत्री सुनील बंसल से विमर्श किया है।

हालांकि अभी यह तय नहीं है कि डॉ. पांडेय अपनी कमेटी कानपुर की बैठक से पहले घोषित करेंगे या बाद में, लेकिन इतना जरूर है कि पूरी कार्यकारिणी भले न बदले पर पदाधिकारियों के मंत्री बनने से रिक्त होने वाले पदों को जल्दी भरा जाएगा। इसकी आहट भर से जहां भाजपा संगठन के कई मंत्रियों ने अब उपाध्यक्ष और महामंत्री बनने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं तो वहीं संगठन से बाहर के कई प्रभावी नेता जगह बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। प्रदेश की कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष के पांच और महामंत्री के दो पद रिक्त होने वाले हैं। इन पदों को संगठन के ही पदाधिकारियों को प्रोन्नति देकर भरा जा सकता है। कुछ पुराने अनुभवी नेताओं को भी इसमें मौका मिल सकता है। संगठन में सामाजिक और भौगोलिक समीकरण साधने पर विशेष जोर रहेगा। इस कार्यकारिणी का गठन 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर होगा।

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