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जागरण फिल्म फेस्टिवल का आगाज आज

इंतजार की घडि़यां खत्म हुई। शनिवार से रेव थ्री में तीसरा जागरण फिल्म फेस्टिवल शुरू होगा। इस दो दिवसीय आयोजन में कानपुर के दर्शक न केवल आठ नायाब फिल्मों को देख सकेंगे बल्कि उन्हें इनकी रचना प्रक्रिया और सिनेमा के विभिन्न पहलुओं पर बॉलीवुड के चर्चित निर्देशकों-कलाकारों से बातचीत का अवसर भी मिल

By Edited By: Published: Sat, 28 Jul 2012 10:46 AM (IST)Updated: Sat, 28 Jul 2012 12:38 PM (IST)
जागरण फिल्म फेस्टिवल का आगाज आज

कानपुर। इंतजार की घडि़यां खत्म हुई। शनिवार से रेव थ्री में तीसरा जागरण फिल्म फेस्टिवल शुरू होगा। इस दो दिवसीय आयोजन में कानपुर के दर्शक न केवल आठ नायाब फिल्मों को देख सकेंगे, बल्कि उन्हें इनकी रचना प्रक्रिया और सिनेमा के विभिन्न पहलुओं पर बॉलीवुड के चर्चित निर्देशकों-कलाकारों से बातचीत का अवसर भी मिलेगा।

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जागरण फिल्म फेस्टिवल का आगाज 'सबका सिनेमा' विषय पर पैनल परिचर्चा के साथ होगा। इसमें प्रसिद्घ युवा निर्देशक अनुराग कश्यप, तिगमांशु धूलिया, इंटरटेनमेंट सोसायटी ऑफ गोवा के सीईओ मनोज श्रीवास्तव व अभिनेत्री हुमा कुरैशी सिनेप्रेमियों से सार्थक सिनेमा पर संवाद करेंगे। फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत होगी भारत की पहली फुल लेंथ फीचर फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' से।

भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष पर दादा साहब फाल्के की इस अमर कृति को कानपुर के दर्शक पहली बार बड़े पर्दे पर देख पाएंगे। इसके साथ अनुराग कश्यप की मुंबई बमकांड पर आधारित फिल्म 'ब्लैक फ्राइडे' और तिगमांशु धूलिया निर्देशित 'साहब बीवी और गैंगस्टर' आज का प्रमुख आकर्षण रहेंगी।

सिखाई सिनेमा की समझ

शुक्रवार को शहर के कई लोगों को फिल्म एप्रीसिएशन कोर्स तोहफे रूप में यहां मिला। साकेत नगर स्थित जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन के सभागार में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में इंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा के सीईओ मनोज श्रीवास्तव और अभिनेता विपिन शर्मा ने छात्रों और सिनेप्रेमियों की जिज्ञासा शांत की।

शेखर कपूर निर्देशित फिल्म बैंडिट क्वीन दिखाने के बाद विपिन शर्मा ने न केवल सिनेमा बल्कि अपने जीवन और फिल्मी कॅरियर की कई बातों को भी साझा किया। उन्होंने बताया कि एक्टर हमेशा दूसरे किरदार को स्वयं जीता है और पर्दे पर उतारता है। उन्होंने मंच पर छात्रों को बुलाकर सजीव उदाहरण के द्वारा फिल्म निर्माण में आने वाली समस्याओं के बारे में बताया।

इसी क्रम में कुछ चुनिंदा फिल्मों के जरिए मनोज श्रीवास्तव ने सिनेमा की बारीकियां बताई। उन्होंने कहा कि फिल्मों में कॅरियर तलाश रहे युवा पहले अभिनय का प्रशिक्षण लें और फिर तीन से पांच वर्ष तक इंटर्नशिप करें। एक-एक सीढ़ी चढ़कर कामयाबी के शिखर पर पहुंचे अभिनेता की उपलब्धि ही स्थायी होती है। इस दौरान फिल्म संपादन आदि विषयों पर एक कार्यशाला हुई।

कार्यशाला के दौरान ही 'गैंग्स ऑफ वासेपुर-2' की नायिका हुमा कुरैशी ने एंट्री ली। तालियों की लंबी गड़गड़ाहट के बाद उन्होंने निजी जीवन की बातें और फिल्मी कॅरियर के अनुभव साझा किए।

जब रोल बना परेशानी का सबब

फिल्म तारे जमीन पर में दर्शिल सफारी के पिता की यादगार भूमिका निभा चुके विपिन शर्मा को इसकी वजह से रियल लाइफ में बड़ी अजीब परिस्थिति का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि जब मैं मुंबई में शिफ्ट हुआ तो वहां मुझे गैस कनेक्शन मिलने में बहुत परेशानी हुई। गैस कनेक्शन दे रही महिला अधिकारी मुझसे खफा थी क्योंकि पूरी फिल्म के दौरान मैं दर्शिल को मारता रहा था।

फिल्म फेस्टिवल में फिल्म

सीएसजेएम यूनिवर्सिटी की लेक्चरर डॉ. तनु डंग, लेक्चरर ने कहा कि एप्रीसिएशन का कोर्स शहर के लोगों के लिए बड़ी उपलब्धि है। ऐसे कार्यक्रम समय-समय पर होने चाहिए।

कानपुर फिल्म एंड थियेटर सोसाइटी के संयोजक प्रोफेसर एसपी सिंह ने कहा कि जागरण फिल्म फेस्टिवल दैनिक जागरण का अनूठा प्रयोग है। ऐसे आयोजनों से उम्मीद की जा सकती है कि फिल्म फेस्टिवल एक दिन गांवों तक पहुंच बनाएगा।

कानपुर फिल्म एवं थियेटर सोसाइटी की सदस्य डॉ. साधना सिंह ने कहा कि फेस्टिवल ने आम लोगों को फिल्म निर्माण, निर्देशन, परिकल्पना और फिल्म की समझ का प्लेटफार्म दिया है। ऐसे आयोजनों की जरूरत है।

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