बस्तर में नक्सलवाद को धूल चटा रहा इश्क, मेरा पैगाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे...
बस्तर में नक्सलवाद को धूल चटा रहा इश्क, सैकड़ों नक्सली जोड़े प्रेम विवाह कर मुख्यधारा में लौटे, प्रेम सागर में डूबने वाले नक्सलियों की संख्या लगातार बढ़ रही, नक्सल रणनीतिकार डरने लगे प्रेम शब्द से
जगदलपुर (हेमंत कश्यप)। उन का जो फर्ज है वो अहल-ए-सियासत जाने, मेरा पैगाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे...
प्रेम दैदीप्यमान सूर्य की तरह है, जिसकी रश्मियों के संपर्क में आते ही हिंसा रूपी अंधकार मिट जाता है। इसका जीवंत उदाहरण बस्तर में देखने को मिल रहा है। जहां प्रेम अहिंसा का पाठ पढ़ा रहा है। उन दिलों को जीत रहा है, जिनमें प्रेम की जगह हिंसा ने डेरा जमा लिया था। प्रेम की जादूगरी इन युवा दिलों में जीने की तमन्ना जगा रही है। उन्हें इंसान होने का मतबल समझा रही है।
पिछले कुछ सालों की बात करें तो केवल बस्तर में ही सैकड़ों नक्सली जोड़ों ने प्रेम विवाह कर नए जीवन में प्रवेश किया और बंदूक का साथ हमेशा के लिए छोड़ दिया। यह सिलसिला तेजी से चल पड़ा है। नक्सल रणनीतिकार बौखला उठे हैं। लेकिन यह उनके वश में नहीं कि इश्क पर रोक लगा सकें।
इलाज अपना कराते फिर रहे हो जाने किस किस से, मोहब्बत कर के देखो ना मोहब्बत क्यूँ नहीं करते...
हिंसा छोड़कर विवाह बंधन में बंधने वाले प्रेमी जोड़े समाज की मुख्यधारा में आ रहे हैं। हालात कुछ यूं बन रहे हैं कि अब नक्सली सरगनाओं को प्रेम शब्द से ही डर लगने लगा है। दरअसल नक्सल रणनीतिकार हमेशा ही प्रेम के खिलाफ रहे हैं।
नक्सली संगठन में शामिल साथियों को भी शादी की इजाजत नहीं रहती है। उनपर कड़ी नजर रखी जाती है। हिंसा को अपना आदर्श मानने वाले इन नक्सली सरगनाओं को इस बात का इल्म है कि प्रेम के सामर्ने हिंसा कतई नहीं टिक सकती। इसलिए उन्हें सबसे अधिक डर है तो प्रेम से। प्रेम उनर्के हिंसक मंसूबों पर पानी फेर रहा है।
अंजाम-ए-वफा ये है जिस ने भी मोहब्बत की, मरने की दुआ मांगी जीने की सजा पाई...
आज ऐसे सैकड़ों जोड़े अपने-अपने परिवार में खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं। मोहब्बत के आगे नक्सली लीडर भी ढेर होते दिख रहे हैं। जगरगुण्डा एरिया कमेटी के कमांडर बदरन्ना ने चिंतलनार दलम की लतक्का से विवाह किया और कोंटा में आत्मसमर्पण कर हिंसा को तिलांजलि दे दी। दक्षिण बस्तर एरिया कमटी के अर्जुन ने देवे से, बासागुड़ा के डिप्टी कमांडर जोगन्ना ने चंद्रक्का से, मद्देड़ के डिप्टी कमांडर अशोकन्ना ने नक्सल दलम की सदस्य जयकन्ना से विवाह किया। इधर दक्षिण बस्तर स्पेशल जोनल कमेटी के लछन्ना और मद्देड़ के एरिया कमांडर रामाराव ने भी प्रेम विवाह कर हिंसा छोड़ दी।
इश्क करता है तो फिर इश्क की तौहीन न कर, या तो बेहोश न हो हो तो न फिर होश में आ...
बदरन्ना व लतक्का बताते हैं कि उनके जैसे सैकड़ों युवा जोड़े नक्सल विचारधारा के खिलाफ बगावत कर प्रेम विवाह कर चुके हैं और अभी सैकड़ों ऐसा करने वाले हैं। इस जोड़े ने बताया कि वे जब तक नक्सली नेताओं की संगत में रहे, तनाव और मौत के साए में जीते रहे। आपस में बातें भी नहीं कर पाते थे।
नक्सलियों ने जबरन कर दी थी नसबंदी
हाल ही 10 फरवरी को बीजापुर में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली दंपति में नागेश ने बताया कि उसके प्रेम प्रसंग का पता चलने पर नक्सलियों ने उसकी नसबंदी कर दी थी, ताकि संतानसुख और परिवार बनाने से वंचित रह जाए। नागेश कहते हैं, हमने ठान लिया था कि आत्मसमर्पण कर विवाह करेंगे। अब हम खुश हैं। उम्मीद नहीं थी कि समाज हमें अपनाएगा।
पुलिस देती है पूरी सुरक्षा
आत्मसमर्पण कर परिवार बसा लेने वाले प्रेमी जोड़ों को पुलिस भी पूरी सुरक्षा दे रही है। उन्हें सुरक्षित स्थानों पर बसाया जाता है। नक्सली इनसे बदला लेने की फिराक में रहते हैं, लिहाजा पूरी सर्तकता बरती जाती है।
-सुंदरराज पी., पुलिस उप महानिरीक्षक, दक्षिण बस्तर