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जिन अरब देशों को कतर से है ऐतराज, उससे ही अमेरिका ने की डील

आतंकवाद के मुद्दे पर कतर के रवैये से अरब देश खफा हैं। लेकिन अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कतर के साथ समझौता किया है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Thu, 13 Jul 2017 03:58 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jul 2017 11:57 AM (IST)
जिन अरब देशों को कतर से है ऐतराज, उससे ही अमेरिका ने की डील
जिन अरब देशों को कतर से है ऐतराज, उससे ही अमेरिका ने की डील

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । मुस्लिम ब्रदरहुड-ईरान के मुद्दे पर कतर और दूसरे अरब मुल्कों के बीच तनाव चरम पर है। सऊदी अरब की अगुवाई वाले चार देशों ने साफ कर दिया है कि कतर की मंशा पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। कतर एक तरफ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की बात करता है, लेकिन दूसरी तरफ आतंकी संगठनों को वित्तीय मदद भी दे रहा है। इन सबके बीच अमेरिका ने कतर के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में साथ चलने का फैसला किया है। अमेरिका के इस फैसले के बाद ये सवाल उठ रहा है कि क्या अरब देशों खासतौर से सऊदी अरब के साथ उसके संबंध अब पहले जैसे नहीं रह गए हैं।

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आतंकवाद के खिलाफ यूएस- कतर एक साथ 

अमेरिका और कतर के बीच आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने पर डील हुई। लेकिन सऊदी अरब, यूएई, बहरीन और इजिप्ट ने कहा कि उनके द्वारा कतर पर लगाया गया प्रतिबंध जारी रहेगा। सऊदी अरब ने कहा कि कतर के साथ अमेरिकी डील पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा कतर के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए भरोसा करना मुश्किल है। सऊदी अरब का ये भी कहना है कि खाड़ी इलाके में आतंकी संगठनों को कतर मदद करता है। लेकिन कतर का कहना है कि उसके ऊपर लगाए आरोपों में दम नहीं है।

'कतर पर नहीं है भरोसा'

दो हफ्ते पहले सऊदी अरब ने कहा था कि अगर कतर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को लेकर संजीदा है तो उसे कुछ मांगों पर अपनी हामी भरनी होगी। सऊदी अरब ने कतर से अल जजीरा चैनल को बंद करने, तुर्की के मिलिट्री बेस को बंद करने, मुस्लिम ब्रदरहुड के साथ संबंधों को समाप्त करने के साथ ईरान के साथ संबंध विच्छेद करने की मांग की थी। लेकिन कतर की तरफ से नकारात्मक जवाब मिलने के बाद सऊदी अरब और दूसरे देशों ने कहा कि वो राजनीतिक, आर्थिक और कानूनी प्रतिबंधों को और बढ़ाएंगे।

जमीन पहले ही हुई थी तैयार

अमेरिका के रक्षा मंत्री टिलरसन ने मंगलवार को कतर के दौरे में आतंकियों को वित्तीय मदद न दिए जाने वाले मसौदे पर हस्ताक्षर किए थे। गौरतलब है कि मई में अरब इस्लामिक समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप शामिल हुए थे और उसमें इस तरह के मसौदे का प्रस्ताव दिया गया था। कतर से मसौदे पर हस्ताक्षर के बाद टिलरसन ने कहा कि रियाद समिट के दौरान आतंकवाद से लड़ाई के खिलाफ जो सहमति बनी थी, अब उसे दस्तावेजी रूप दिया गया है। इस समझौते के जरिए आने वाले समय में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और आतंकियों के वित्तीय स्रोतों पर दोनों देश मिलकर लगाम लगाएंगे। कतर के रक्षामंत्री शेख मोहम्मद ने कहा कि खाड़ी इलाके में वो पहले ऐसे देश हैं, जिसने अमेरिका के साथ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में जुड़ने का फैसला किया है।

एक तरफ कबूलनामा, दूसरी तरफ जंग में साथ

कतर ने कबूल किया है कि वह मुस्लिम ब्रदरहुड और हमास आंदोलन को मदद देता रहा है, लेकिन अल-कायदा से उसका किसी तरह का संबंध नहीं था। लेकिन सऊदी अरब कतर के प्रयासों को संदेह की नजर से देखता है। अमेरिका के साथ कतर की डील पर सऊदी अरब ने कहा कि वो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिकी प्रयासों की सराहना करता है। हालांकि इस संबंध में और कदम उठाने की जरूरत है। अरब देशों का कहना है कि वो अब कतर द्वारा उठाए गए कदमों पर बारीकी से नजर रखकर ये मूल्यांकन करेंगे कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कतर कितना संजीदा है। अरब देशों की कतर से सिर्फ एक मांग है कि वो आतंकवाद के खिलाफ ईमानदारी से लड़ता हुआ नजर भी आए।

अरब देशों से बिगड़े रिश्ते

- सऊदी अरब ने कतर एयरवेज के लाइसेंस को रद किया है।

- दोहा के रास्ते अमेरिका और यूरोप जाने वाले भारतीय होंगे प्रभावित।

- कुवैत ने ही 2014 में भी खाड़ी देशों के बीच विवाद सुलझाने में भी अहम भूमिका निभाई थी।

कतर को आयात-निर्यात में बड़ा नुकसान

- खाड़ी देशों के साथ कतर का 11 अरब डॉलर का व्यापार है।

- कतर के व्यापार में खाड़ी देशों की 86 फीसद हिस्सेदारी है।

- कतर के व्यापार में 85 फीसद हिस्सेदारी संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और बहरीन की है। जबकि 1 फीसद हिस्सेदारी कुवैत और ओमान के साथ है।

जानकार की राय

Jagran.com से खास बातचीत में विदेश मामलों के जानकार कमर आगा बताते हैं कि हो सकता, किसी योजना के जरिए अरब देशों में तनाव को बढ़ाया जा रहा हो। उन्होंने कहा कि अमेरिका के दोनों देशों से बेहतर संबंध हैं लिहाजा वो नहीं चाहेगा कि तनाव में और इजाफा हो। जहां तक भारत की बात है तो सरकार को सावधानी के साथ आगे बढ़ना होगा।

खाद्य संकट से ऐसे निपट रहा है कतर

सऊदी अरब द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद कतर में खाद्य पदार्थ की किल्लत हो गई है। इस संकट का सामना करने के लिए कतर सरकार ने जर्मनी से वायुमार्ग के जरिए 150 से ज्यादा गायों को मंगाया है।  कतर एयरवेज की विमान से डेयरी की स्थापना के लिए बुडापेस्ट के रास्ते गायों को मंगाया गया।

कतर के फर्म पावर इंटरनेशनल के मोताज खय्यात ने कहा कि सभी चार हजार गायों के आ जाने के बाद देश की 30 फीसद जरूरतें पूरी हो जाएंगी। उन्होंने बताया कि दूध और दुग्ध उत्पादों को MR AL KHAYYAT ब्रांड से बेचा जाएगा। प्रतिबंध लगाए जाने के पहले कतर में बिक्री के लिए उपलब्ध दुग्ध उत्पादों को सऊदी अरब से सड़क के रास्ते मंगाया जाता था। इसके अलावा कतर अब तुर्की से योगार्ट, मोरक्को और ईरान से ड्राइ प्रोडक्ट्स आयात कर रहा है।
 

भारत के लिए परेशानी की वजहें

-कतर में करीब 6.5 लाख भारतीय काम करते हैं। ये संख्या कतर के मूल लोगों से ज्यादा है। एक आंकड़े के मुताबिक भारतीयों और मूल कतर के लोगों 2:1 का अनुपात है।

-कच्चे तेल और गैस की कीमतों में बढ़ोतरी से महंगाई में इजाफा हो सकता है।

-खाड़ी में उभरा तनाव भारत की ऊर्जा सुरक्षा को नुकसान पहुंचा सकता है।

-खाड़ी देशों में कार्यरत लाखों भारतीयों के रोजगार पर पड़ सकता है असर।

-नये हालात में कूटनीतिक तालमेल बैठाने की होगी चुनौती।

कतर ही नहीं पूरी दुनिया होगी प्रभावित

अरब देशों द्वारा कतर को अलग-थलग करने से पूरी दुनिया प्रभावित होगी। हवाई, सड़क और समुद्री सेवा बंद होने से कतर को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। मिस्र ने तो कतर के विमान के लिए हवाई अड्डों और बंदरगाहों के दरवाजे बंद कर दिए हैं। मिस्र के कई बैंकों ने कतर के साथ लेनदेन को रोक दिया है। सऊदी अरब के फुटबाल क्लब ने अल अहली ने कतर एयरवेज के साथ अपने अनुबंध को निलंबित कर दिया है। शिपिंग के क्षेत्र में काम करने वाले बड़े समूह मिलाहा के साथ अरब केमिकल्स का सौदा लटक सकता है।
 

तनाव की शुरूआत

कतर और दूसरे अरब देशों के बीच 2013 से ही तनाव के हालात बने हुए थे। 2013 में मिस्र के इस्लामिक राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी को सेना ने अपदस्थ कर दिया था। कतर मोहम्मद मोर्सी का समर्थक था जो चरमपंथी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड का सदस्य था। मोर्सी पर आरोप था कि उसने मिस्र के खुफिया दस्तावेजों को कतर को सौंपे थे। मोर्सी को कतर द्वारा समर्थन मिलने की वजह से 2014 में संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने कतर से अपने राजदूतों को स्वदेश बुला लिया था।करीह साढ़े 11 हजार वर्ग किमी और 27 लाख की आबादी वाले देश कतर पर आरोप है कि वो मुस्लिम ब्रदरहुड चरमपंथी इस्लामिक समूह को समर्थन देता है। अरब देश जिसका विरोध लंबे अर्से से कर रहे थे। हाल ही में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी के विवादास्पद बयान के बाद यह विवाद गहरा गया।

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