इंजीनियरिंग स्नातकों को अच्छे दिनों का इंतजार, 60 फीसद रह जाते हैं बेरोजगार
देश में इंजीनियरों की कमी है। लेकिन एक सच ये भी है कि अपने कोर्स को पूरा करने के बाद इंजीनियरों के सामने नौकरी की समस्या है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । भारत रत्न सर डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्मदिवस को भारत में अभियंता दिवस यानी इंजीनियर्स डे के रूप में मनाया जाता है। 1883 में पूना के साइंस कॉलेज से इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद विश्वेश्वरैया को तत्काल ही सहायक इंजीनियर पद पर सरकारी नौकरी मिल गई थी। लेकिन ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्नीकल एजुकेशन (एआइसीटीई) की मानें तो भारतीय इंजीनियरिंग छात्र अब इतने खुशकिस्मत नहीं हैं। इंजीनियरिंग करने के बाद भी छात्र संतोषजनक नौकरी के लिए भटक रहे हैं।
60 फीसद बेरोजगार
एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के तमाम तकनीकी शिक्षा संस्थानों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले करीब आठ लाखछात्रों में से 60 फीसद हर साल बेरोजगार रह जाते हैं। इस रिपोर्ट में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई)के हवाले से कहा गया है कि हर साल इंजीनियरिंग में स्नातक करने वाले कुल छात्रों में से महज चार फीसद छात्र ही इंटर्नशिप (स्नातक के बाद कार्यप्रशिक्षण का अनुभव) कर पाते हैं।
15 फीसद पाठ्यक्रम हैं उपलब्ध
नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रेडिटेशन द्वारा मान्यताप्राप्त देश के कुल 3200 तकनीकी शिक्षण संस्थान महज 15 फीसद इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों तक ही सीमित हैं। यानी इंजीनियरिंग की विविध आधुनिक विधाओं का मात्र 15 फीसद। वैश्विक विकास और बाजार के समानांतर विविध आधुनिक पाठ्यक्रमों की दरकार है।
- देश में मान्यता प्राप्त तकनीकी शिक्षण संस्थान 15% इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों से चल रहा काम ।
- 8 लाख छात्र हर साल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हैं।
- देश में इस समय कुल 23 आइआइटी हैं, जिनमें करीब 75 हजार छात्र तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
- एक रिपोर्ट के मुताबिक हर तीन में से एक आइआइटी ग्रेजुएट को कैंपस प्लेसमेंट यानी पढ़ाई पूरी करते ही संस्थान के माध्यम से नौकरी नहीं मिलती है।
- 2016-17 में 66 प्रतिशत आइआइटी स्नातकों को कैंपस प्लेसमेंट नहीं मिला।
- 2015 में यह आंकड़ा 79 प्रतिशत था, जबकि 2014-15 में 78 प्रतिशत।
- 60 फीसद इंजीनियरिंग छात्र हर साल रह जाते हैं बेरोजगार।
- 11.33%इंजीनिर्यंरग एक्सपोर्ट की सालाना वृद्धि दर।
जानकार की राय
Jagran.Com से खास बातचीत में इंजीनियरिंग मामलों के जानकार संजय सिंह ने बताया कि इसे आप कुछ यूं समझ सकते हैं। बाजार में इंजीनियरों के लिए नौकरी है भी और नहीं भी है। उदाहरण के तौर कंप्यूटर, सिविल इलेक्ट्रानिक्स ट्रेड में डिग्री हासिल करने वालों की संख्या ज्यादा है। सफल छात्रों के अनुपात में नौकरियों खासतौर से बेहतर नौकरियों की कमी है। लेकिन अपेक्षाकृत कम लोकप्रिय ट्रेड जैसे इंस्ट्रूूमेंटेशन ट्रेड में छात्रों की संख्या कम है और वो बेहतर जॉब पाने में कामयाब होते हैं।
जल्द सुधरेंगे हालात
बहरहाल, बड़ा सवाल इंजीनियरिंग स्नातकों को रोजगार मुहैया कराने को लेकर है। सरकार हालात सुधारने का इरादा जताचुकी है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक कार्य योजना तैयार की है। संयुक्त प्रवेश परीक्षा, विविध पाठ्यक्रमों की उपलब्धता बढ़ाने, शिक्षा का स्तर बढ़ाने, पाठ्यक्रमों में संशोधन,विषयवार उद्योग परामर्श समिति का गठन, राष्ट्रीय रोजगार संवर्धन मिशन (नीम), अनिवार्य इनटर्नशिप और स्टार्टअप को बढ़ाया देना जैसे बिंदु इस दस वर्षीय कार्ययोजना में शामिल हैं।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानीआइआइटी में दाखिला भारतीय शिक्षा तंत्र का सर्वोच्च सोपान कहा जा सकता है।आइआइटी के अलावा भारतीय प्रबंध संस्थान यानी आइआइएम को भी किसी समय बेहतर नौकरी की गारंटी माना जाता था। हालात कुछ सुधरते हुए दिख रहे हैं, लेकिन सवाल तकनीकी शिक्षा को पूरी तरह रोजगारपरक बनाने को लेकर है। जिस पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है।
यह भी पढ़ें: ‘शून्य’ की कहानी 500 वर्ष और पुरानी, भारत यूं ही नहीं था विश्व गुरु