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जबलपुर में बना था लॉर्ड हार्डिंग पर फेंका गया बम

बंगाल विभाजन और उसे रद करने के बाद उत्पन्न संकट की स्थिति का बदला लेने के लिए योजना जबलपुर में बनी थी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 07 Aug 2018 03:31 PM (IST)Updated: Tue, 07 Aug 2018 03:33 PM (IST)
जबलपुर में बना था लॉर्ड हार्डिंग पर फेंका गया बम
जबलपुर में बना था लॉर्ड हार्डिंग पर फेंका गया बम

जबलपुर [देवशंकर अवस्थी]। विनोबा भावे ने मध्य प्रदेश की संगमरमरी नगरी जबलपुर को यद्यपि संस्कारधानी का नाम दिया था, लेकिन रानी दुर्गावती जैसी वीरांगना की यह कर्मभूमि स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम के केंद्र में रही थी। मुगलों से लोहा लेते हुए रानी ने यहीं वीरगति पाई। उनकी समाधि यहां मौजूद है। जंग-ए-आजादी के दौर में जबलपुर क्रांतिकारी गतिविधियों के प्रमुख केंद्रों में से एक था। 1921 में दिल्ली में लॉर्ड हार्डिंग पर जो बम फेंका गया, उसे यहीं बनाया गया था। बम का परीक्षण भी यहीं किया गया था।

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बंगाल विभाजन और उसे रद करने के बाद उत्पन्न संकट की स्थिति का बदला लेने के लिए योजना जबलपुर में बनी थी। अंग्रेजों को उन्हीं की भाषा में सबक सिखाने के लिए वाइसराय लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय को बम से उड़ाने की योजना थी।

स्थानीय क्रांतिकारी शामिल हुए

रासबिहारी बोस ने जबलपुर के स्थानीय क्रांतिकारियों संग मिलकर वाइसराय लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय को बम से उड़ाने की योजना बनाई। बम बनाने के बाद यहां स्थित मदनमहल की पहाड़ी में ही बम का परीक्षण किया गया था। उस समय जबलपुर अंग्रेजों के मजबूत ठिकानों में से एक था। यहां पर उनकी रेजीमेंट थी, लेकिन क्रांतिकारियों ने इसकी परवाह नहीं की। रासबिहारी के साथी चिदंबरम पिल्लई की मदद से बम तैयार किए गए। मदनमहल की पहाड़ियों, जहां रानी दुर्गावती का मजबूत गढ़ और पूर्ववर्ती गोंड़ शासक मदनशाह द्वारा निर्मित मजबूत सामरिक किला स्थित है, परीक्षण के लिए जब यहां बम फोड़ा गया तो सनसनी फैल गई। '

निकल चुके थे

रासबिहारी-पिल्लई अंग्रेज अधिकारी समझ गए कि कहीं कुछ बड़ी गड़बड़ है। अंग्रेजी सेना ने पहाड़ियों को चारों तरफ से घेर लिया। रासबिहारी बोस और पिल्लई नहीं मिले। वे परीक्षण के तुरंत बाद बम लेकर जा चुके थे। लेकिन उनके कुछ साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

धमाके में हार्डिंग हुआ था घायल

दिल्ली में लॉर्ड हार्डिंग के आगमन की जोरदार तैयारियां की गईं थीं। दिल्ली को दुल्हन की तरह सजाया गया। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। 23 दिसंबर 1912 को हार्डिंग की शानो-शौकत देखने अपार जनसमूह उमड़ा। हार्डिंग का जुलूसनुमा काफिला चांदनी चौक पर मारवाड़ी पुस्तकालय के सामने पहुंचा ही था कि एक जोरदार धमाका हुआ। धमाके से हाथी पर सवार हार्डिंग का महावत मौके पर मारा गया और हार्डिंग भी गिर गया। हालांकि वह बच गया। घटना के बाद रासबिहारी बोस फरार हो चुके थे। काफी जांच-पड़ताल के बाद इस मामले में अवधबिहारी, अमीरचंद्र और बसंत विश्वास को गिरफ्तार किया गया, जिन्हें बाद में फांसी दे दी गई।

लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय 1910 से 1916 तक वाइसराय था। उसी के समय ब्रिटेन के राजा जार्ज पंचम का भारत आना हुआ था। मदनमहल की इन्हीं पहाड़ियों में मौजूद मौलिश्री वृक्ष के नीचे रजनीश को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और वह ओशो के रूप में दुनियाभर में छा गए थे। यहां वह वृक्ष और ओशो आश्रम मौजूद है। 


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