आइवीआरआइ वैज्ञानिक जानेंगे... क्या वाकई हिमालयन भेड़ें हो रहीं हैं अंधी?
एक पर्वतारोही की याचिका पर हाईकोर्ट ने हिमालयन शीप में अंधपन होने के मामले में उत्तरांखड सरकार के चीफ सेक्रेट्री को पत्र लिखकर आइवीआरआइ वैज्ञानिकों की जांच को जरूरी बताया था।
बरेली(जेएनएन)। उत्तराखंड में गंगोत्री से ऊपर के हिस्से में पहाड़ों पर पाई जाने वाली दुर्लभ हिमालयन ब्लू शीप यानी भरल, क्या वाकई अंधी हो रहीं हैं..? अब भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली (आइवीआरआइ) इस सवाल की तह तक पहुंचने के लिए पड़ताल करेगा। आइवीआरआइ निदेशक के निर्देशन में जेडी कैडरेड वीके गुप्ता ने तीन सदस्यीय टीम बनाई। इसमें सेंटर ऑफ वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन, मैनेजमेंट एंड डिसीज सर्विलांस के हेड डॉ. एके शर्मा, डिवीजन ऑफ पैथोलॉजी के हेड डॉ. राजेंद्र सिंह, और डिवीजन ऑफ पैरासाइटोलॉजी से डॉ. हीराराम शामिल है।
पर्वतारोही की याचिका पर उत्तरांखड हाईकोर्ट ने जांच को बताया जरूरी
एक पर्वतारोही की याचिका पर हाईकोर्ट ने मामले में उत्तरांखड सरकार के चीफ सेक्रेट्री को पत्र लिखकर आइवीआरआइ वैज्ञानिकों की जांच को जरूरी बताया था। जिसके बाद उत्तराखंड सरकार और आइवीआरआइ के बीच कुछ समय से पत्राचार चल रहा था।
वन विभाग को अभी तक नहीं मिली भेड़
पहले आइवीआरआइ के वैज्ञानिकों ने वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों से दुर्लभ हिमालयन ब्लू शीप यानी भरल को पकड़ने को कहा था। खास तौर पर ऐसी जो बताए जा रहे अंधपन के रोग से प्रभावित हों। जीवित के अलावा मृत भेड़ों के भी सैंपल लेने को कहा था। हालांकि, वहां वन विभाग को अभी तक कोई दुर्लभ भरल नहीं मिल पाई है। ऐसे में वैज्ञानिक भी इसे खोजने में मदद करेंगे।
यह है पूरा मामला
कुछ समय पहले एक पर्वतारोही ने बड़ी तादाद में अंधी हिमालयन ब्लू शीप यानी भरल होने का दावा किया था। मामला सामने आने पर कुछ लोगों ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी। जिसके बाद हाईकोर्ट ने मामले में आइवीआरआइ की रिपोर्ट मांगी है।
क्या कहते हैं आइवीआरआइ वैज्ञानिक
तीन सदस्यीय टीम दुर्लभ हिमालयन भेड़ों के अंधा होने संबंधी याचिका पर जांच के लिए उत्तराखंड भेजी गई है। ये गंगोत्री से ऊपर पहाड़ी इलाकों में प्रभावित बताई जा रहीं भेड़ों की जांच कर रिपोर्ट देंगे। -वीके गुप्ता, जेडी कैडरेड, आइवीआरआइ