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पिता को पीछे बैठाकर 1200 किमी साइकिल चलाने वाली ज्योति की इवांका ट्रंप ने की तारीफ, कही ये बात

इवांका ने ट्वीट कर कहा कि 15 साल की ज्योति कुमारी ने अपने जख्मी पिता को साइकिल से सात दिनों में 1200 किमी दूरी तय करके अपने गांव ले गई।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 10:09 PM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 02:09 AM (IST)
पिता को पीछे बैठाकर 1200 किमी साइकिल चलाने वाली ज्योति की इवांका ट्रंप ने की तारीफ, कही ये बात
पिता को पीछे बैठाकर 1200 किमी साइकिल चलाने वाली ज्योति की इवांका ट्रंप ने की तारीफ, कही ये बात

नई दिल्ली, एजेंसी। लॉकडाउन में गुरुग्राम से पिता को साइकिल पर बैठाकर 1200 किमी की दूरी तय कर दरभंगा (बिहार) पहुंचने ज्योति की इस समय खूब चर्चा हो रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप ने ट्वीट कर ज्योति की तारीफ की है।

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इवांका ने ट्वीट कर कहा कि 15 साल की ज्योति कुमारी ने अपने जख्मी पिता को साइकिल से सात दिनों में 1,200 किमी दूरी तय करके अपने गांव ले गई। इवांका ने आगे लिखा कि सहनशक्ति और प्यार की इस वीरगाथा ने भारतीय लोगों और साइकलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है।

पिता को ले गुरुग्राम से दरभंगा चल पड़ी ज्योति 

बता दें कि कोरोना संकट के कारण घोषित देशव्यापी लॉकडाउन में देश की अलग-अलग जगहों पर प्रवासी मजदूर फंस गए। ट्रेन सहित आवागमन के अन्य साधनों का परिचालन बंद होने के कारण हजारों मजदूर पैदल ही अपने-अपने घरों की ओर चल पड़े। चूंकि ज्योति के पिता मोहन पासवान कुछ महीने पहले हादसे में जख्मी हो गए थे, इसलिए वो अपने दम पर घर पहुंचने में असमर्थ थे।

7 दिन में तय हुआ सफर

लॉकडाउन में पिता के फंसे होने से बेटी ज्योति परेशान हो गई और एक दिन साइकिल उठाकर चल पड़ी पिता के साथ। ज्योति ने बताया कि उसने पापा को साइकिल पर बिठाकर 10 मई को गुरुग्राम से चलना शुरू किया और 16 मई की शाम घर पहुंच गई। रास्ते में उसे बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा, हालांकि कुछ लोगों ने उनकी मदद भी की।

पुरानी साइकिल पर लेकर आई थी पिता को

ज्योति के पिता गुरुग्राम में रहकर ऑटो चलाते थे। सड़क दुर्घटना में उनके घायल होने के बाद वह 30 जनवरी को मां के साथ गुरुग्राम गई थी। मां के गांव आने के बाद वह पिता की सेवा में लगी रही। इसी बीच मार्च के तीसरे सप्ताह में लॉकडाउन हो गया। कुछ दिनों में जमा-पूंजी खर्च हो गई तो कोई रास्ता न देख ज्योति ने साइकिल से घर लौटने का फैसला किया। पिता ने ज्योति की जिद पर पांच सौ में पुरानी साइकिल खरीदी। दिव्यांग पिता को उस पर बैठाकर 10 मई की रात गुरुग्राम से घर के लिए निकली। आठ दिन में घर पहुंची तो आस-पड़ोस के लोग दंग रह गए थे।


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