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कांग्रेस के बुरे दिनों में नेताओं ने बनाई दूरी

संप्रग का सितारा डूबने के साथ तत्कालीन सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस के नेताओं ने पार्टी से भी किनारा कर लिया है। कभी सरकार का चेहरा माने जाने वाले ये नेता अब बुलाने के बावजूद दफ्तर आने से भी परहेज कर रहे हैं। कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद, पी. चिदंबरम, ज्योतिरादित्य

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 12 Jan 2015 08:32 PM (IST)Updated: Mon, 12 Jan 2015 09:03 PM (IST)
कांग्रेस के बुरे दिनों में नेताओं ने बनाई दूरी

नई दिल्ली। संप्रग का सितारा डूबने के साथ तत्कालीन सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस के नेताओं ने पार्टी से भी किनारा कर लिया है। कभी सरकार का चेहरा माने जाने वाले ये नेता अब बुलाने के बावजूद दफ्तर आने से भी परहेज कर रहे हैं। कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद, पी. चिदंबरम, ज्योतिरादित्य सिंधिया, गुलाम नबी आजाद, मुकुल वासनिक, संदीप दीक्षित, मनीष तिवारी, जैसे दिग्गज कांग्रेसी अब पार्टी से नजरें बचा कर चल रहे हैं। कांग्रेस के सत्ता में रहते हुए सरकार व पार्टी में प्रमुख पदों पर रहे इन नेताओं ने पार्टी बैठकों में आना बंद कर दिया है। इसके साथ ही प्रेस में पार्टी का पक्ष रखने से भी तौबा कर ली है।

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दिल्ली: कांग्रेस ने अजय माकन को सौंपी चुनाव प्रचार की कमान

इसी तरह, मीनाक्षी नटराजन, कृष्ण बी. गौड़ा, शक्ति सिंह गोहिल जैसे नेता भी पार्टी की बैठकों से दूरी बनाए हुए हैं। जबकि, ये सारे नेता पार्टी का पक्ष रखने के लिए अधिकृत रहे हैं। हालांकि, मीडिया में पार्टी के रुख से हटकर बोलने के कारण मनीष तिवारी के बारे में कहा गया था कि उनका बयान कांग्रेस की राय नहीं है। इसके बाद भी मनीष लगातार अपनी बात मीडिया में रखते रहे हैं। पंजाब में पार्टी में सुलग रही बगावत के बीच मनीष ने अपनी बात कहते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह को राज्य का सबसे बड़ा नेता करार दिया। लेकिन पार्टी के रुख को लेकर उन्होंने मौन बनाए रखा है।

मोदी के विरोध से कन्नी काट रहे कांग्रेसी सीएम

सलमान खुर्शीद कभी-कभार प्रेस में दिखाई देते हैं, लेकिन कम्युनिकेशन विभाग की बैठक में उनकी मौजूदगी नहीं के बराबर रही है। इसी तरह संदीप दीक्षित भी कम्युनिकेशन विभाग से तालमेल न बैठने के कारण अलग राह पर चल रहे हैं। विभाग के पुनर्गठन के बाद से यदा-कदा अपनी बात कहने वाले संदीप ने पार्टी पोडियम से या पार्टी दफ्तर आकर कोई बात नहीं कही। इसी तरह पी. चिदंबरम भी पार्टी कार्यालय से दूर ही रहे हैं, जबकि उनपर भी पार्टी का पक्ष रखने की आधिकारिक जिम्मेदारी है। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ उतरने की तैयारियों के बीच चिदंबरम का मौन पार्टी को साल रहा है।

दिल्ली चुनाव से दूरी

कांग्रेस के नेता दिल्ली विधान सभा चुनाव से भी कन्नी काटना चाह रहे हैं। इनमें से कपिल सिब्बल, संदीप दीक्षित, रमेश कुमार जैसे नेताओं ने दिल्ली चुनाव में जाने के पार्टी आग्रह को ठुकरा दिया है। जबकि, अजय माकन, कृष्णा तीरथ, जयप्रकाश अग्रवाल, जैसे नेता भविष्य की बेहतर गारंटी के साथ मोर्चे पर जाने को रजामंद हुए हैं। जबकि, प्रदेश अध्यक्ष पार्टी पदाधिकारियों के चुनाव न लड़ने के पुराने नियम के तहत बचने की फिराक में हैं।


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