मौजूदा ढांचे में बजट सहायता बढ़ाए बिना भला संभव नहीं
रेलवे के एक रिटायर्ड अधिकारी के मुताबिक सरकारी सहायता के बिना रेलवे में और ज्यादा सुविधाएं देना संभव नहीं है यानी रेलवे में अगर और सुविधाएं चाहते हैं तो सरकार को भी रेलवे की आर्थिक मदद करनी होगी
नई दिल्ली, संजय सिंह। रेलवे के सेवानिवृत्त अधिकारियों ने रेलवे को बजटीय सहायता बढ़ाने का समर्थन करते हुए कहा है कि सरकार से वित्तीय मदद के बगैर रेलवे को जनता की उम्मीदों के मुताबिक चलाना मुश्किल है।
इन अधिकारियों ने मौजूदा ढांचे के तहत रेलवे को वाणिज्यिक आधार पर चलाए जाने के आग्रह को निर्थक करार दिया है। रेलवे बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एसएस खुराना के अनुसार रेलवे एक सरकारी निकाय है। लिहाजा इसका संचालन सरकारी नियम-कायदों से परे नहीं हो सकता। यहां तक कि इसे सरकारी उपक्रमों की तरह भी नहीं चलाया जा सकता है।
इसलिए रेलवे को वाणिज्यिक तौर पर चलाए जाने की बहस बेमानी है। वाणिज्यिक तौर पर चलाने के लिए रेलवे का निजीकरण करना होगा, जो आसान नहीं है। इसलिए इसके ढांचे का विस्तार व सुविधाओं का आधुनिकीकरण करने के लिए बजटीय समर्थन बढ़ाने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं है। केवल सरकार की मदद के जरिए ही रेलवे को जनता की उम्मीदों पर खरा उतारा जा सकता है। सड़कों के मामले में ऐसा किया गया है।
लेकिन पर्यावरण अनुकूल होने के बावजूद रेलवे की उपेक्षा हुई है। खुराना के अनुसार मौजूदा सरकारी ढांचे में रेलवे के अधिकारी यदि इसे वाणिज्यिक आधार पर चलाना भी चाहें तो यह संभव नहीं है। इसमें राजनीतिक व संसदीय बाधाएं खड़ी हो जाएंगी। वैसे भी अलग बजट होने के कारण रेलवे की संसद के प्रति जवाबदेही कुछ ज्यादा है। फिर यातायात का सर्वाधिक लोकप्रिय, सर्व सुलभ व पर्यावरण अनुकूल साधन होने के नाते जनता की रेलवे से उम्मीदें भी ज्यादा हैं।
इस पर चौबीसों घंटे देशवासियों की निगाह रहती है। विशाल ढांचे के कारण इसमें यकायक कोई बदलाव लाना कठिन है। यही वजह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद रेलवे के मूल ढांचे में आज तक परिवर्तन नहीं किया जा सका है।