जाट आरक्षण के हिंसक हुए आंदोलन से सख्ती से निपटने के निर्देश
हरियाणा में हिंसक हो रहे जाट आंदोलन पर राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार और भाजपा भी तीखी नजर रख रही है।
नई दिल्ली। हरियाणा में हिंसक हो रहे जाट आंदोलन पर राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार और भाजपा भी तीखी नजर रख रही है। उपर से नीचे तक यह संदेश दिया जा चुका है कि बातचीत का कोई अवसर न छोड़ा जाए लेकिन अराजक स्थिति बनाने की कोशिश हो तो सख्ती से निपटा भी जाए।
इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री मनोहर परिक्कर व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से चर्चा की।
सबसे प्रभावित नौ इलाकों संवेदनशील इलाकों में अर्द्धसैनिक बलों की 24 कंपनी भेजने की निर्णय लिया जा चुका है। रोहतक के लिए सैन्य बल रवाना किया जा चुका है, अन्य स्थानों पर रात तक सैन्य बल पहुंचने की संभावना है।
सरकार से लेकर पार्टी तक स्पष्ट संकेत है कि आरक्षण की आग जिस तरह भड़की है वह अब प्रभावित इलाकों से आगे न बढ़ पाए। लिहाजा त्वरित फैसलों और उसकी हिसाब से त्वरित कार्रवाई का निर्देश है। यही कारण है कि शुक्रवार को उच्चस्तरीय चर्चा के तुरंत बाद सेना को उतारने का निर्णय ले लिया गया।
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नौ स्थानों पर सेना की मौजूदगी:
दोपहर राजनाथ ने खट्टर से बात कर स्थिति की जानकारी ली थी और स्पष्ट कहा था कि केंद्र को हर मुद्दे पर विश्वास में लेकर बढ़ें। बाद में खट्टर और हरियाणा का डीजीपी ने रक्षा मंत्री से भी बात की और सैन्य मदद की मांग की। तत्काल फैसला लिया गया कि नौ सबसे ज्यादा संवेदनशील स्थानों पर शुक्रवार रात तक ही सेना उतार दिए जाएं। रोहतक के लिए तो तत्काल सेना रवाना हो गई। जबकि आठ अन्य केंद्रों - जींद, झज्जर, भिवानी, हिसार, कैथल, सोनीपत, पानीपत, करनाल में रात तक सेना पहुंचने की संभावना है।
शीर्ष नेतृत्व सख्त:
पूरे मामले में सरकार और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को हर पल की जानकारी दी जा रही है। पार्टी के स्तर पर राष्ट्रीय महासचिव व हरियाणा प्रभारी अनिल जैन लगातार केंद्र और राज्य सरकार के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा- 'हम जानते हैं कि इस आंदोलन के पीछे कुछ हाथ हैं। सरकार गंभीर है और उसी लिहाज से बात कर समझाने का प्रयास भी किया।
लेकिन अब आंदोलन नेता विहीन हो गया है, अराजक तत्व केवल आग भड़काने की मंशा से कूद गए हैं। हम इस पर सख्ती से काबू पाएंगे।' बताते हैं कि हरियाणा के जाट नेताओं को भी पर्दे के पीछे स्थिति संभालने के लिए उतारा जा चुका है और प्रशासन को स्पष्ट संदेश है कि कार्रवाई में कोई कोताही नहीं हो। इस बीच नेताओं को यह संदेश भी है केवल वही बयान दें जिन्हें इसके लिए अधिकृत किया गया है।