Coronavirus News: कोरोना महामारी को सामान्य फ्लू समझने में समझदारी नहीं
ठीक होने के बाद भी लक्षण बने रहने को विज्ञानियों ने लांग कोविड नाम दिया है। इससे जुड़े आंकड़े चौंकाने वाले हैं। अध्ययन के मुताबिक सात में एक व्यक्ति में कम से 12 हफ्ते तक कोरोना के लक्षण बने रहते हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। देश में कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच भविष्य में इसके स्वरूप को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। आस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन ने हाल ही में कहा था कि समय के साथ कोरोना सामान्य फ्लू जैसा हो जाएगा। इसी को आधार मानते हुए आस्ट्रेलिया की सरकार ने चार चरणों की योजना भी तैयार की है। कोरोना को फ्लू समझने वालों की कमी नहीं है।
कई लोगों का तर्क है कि बड़ी आबादी को टीका लगने के बाद यह महामारी फ्लू जैसी ही बनकर रह जाएगी, जिसमें कोई गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ेगा और लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं रह जाएगी। महामारी विज्ञानी और यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के जो हाइड इस सोच को गलत मानते हैं। उनका कहना है कि ऐसी सोच को समझदारी नहीं कह सकते हैं। इस महामारी से लड़ाई केवल लक्षणों के सामान्य होने तक सीमित नहीं है। इसके और भी दुष्प्रभावों को समझना होगा।
जड़ से हो खत्म : जो हाइड कहते हैं कि कोरोना संक्रमण के लक्षण गंभीर नहीं होने पर भी शरीर पर इसके बहुत से दुष्प्रभाव पड़ते हैं। कोरोना की चपेट में आ चुके युवाओं में भी बाद में कई दिक्कतें देखी गई हैं। इनसे बचने के लिए जरूरी है कि इस महामारी को पूरी तरह मिटाने का अभियान चलाया जाए।
बहुत से आंकड़े भरमाते हैं : कई लोगों को लगता है कि कोरोना का खतरा सिर्फ बड़ी उम्र के लोगों को ही है। कुछ आंकड़े इसकी गवाही भी देते हैं। ब्रिटेन में दूसरी लहर में संक्रमित होने के बाद करीब एक फीसद बच्चों और दो से तीन फीसद युवाओं को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। वहीं 60 साल से ज्यादा उम्र के 10 फीसद से ज्यादा लोग भर्ती हुए। संक्रमण से जान जाने का खतरा भी ऐसा ही है। 20 हजार में किसी एक बच्चे की जान जाने का खतरा रहता है। वहीं 60 साल से ऊपर वालों में हर 100 में एक से ज्यादा की जान जाती है।
सच कुछ और भी है
- भर्ती होने और जान जाने के आंकड़े पूरी सच्चाई नहीं दिखा रहे। इनसे आगे भी एक सच है। ब्रिटेन में पहली लहर में अस्पताल में भर्ती हुए लोगों पर एक अध्ययन से कुछ और तस्वीरें भी सामने आई हैं।
- संक्रमित नहीं हुए लोगों की तुलना में संक्रमितों के दोबारा किसी कारण अस्पताल जाने की आशंका चार गुना रहती है
- चार से पांच महीने के भीतर किसी स्वास्थ्य संबंधी कारण से जान जाने का खतरा आठ गुना रहता है
- ऐसे लोगों में डायबिटीज, दिल और किडनी की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है
- सामान्य फ्लू के बाद भी कुछ दिक्कतें आती हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के बाद अक्सर ऐसी परेशानियां देखी गईं
- अस्पताल में भर्ती नहीं होने वाले संक्रमितों में भी ऐसी कई दिक्कतें होने की आशंका बढ़ जाती है
- सिडनी में पाया गया था कि कम गंभीर लक्षण वालों में भी करीब दो महीने तक थकान और सांस उखड़ने जैसे कुछ लक्षण बने रहते हैं
लांग कोविड के खतरे से बचना जरूरी : ठीक होने के बाद भी लक्षण बने रहने को विज्ञानियों ने लांग कोविड नाम दिया है। इससे जुड़े आंकड़े चौंकाने वाले हैं। अध्ययन के मुताबिक, सात में एक व्यक्ति में कम से 12 हफ्ते तक कोरोना के लक्षण बने रहते हैं। ब्रिटेन में करीब 10 लाख लोग लांग कोविड से जूझ रहे हैं।