फर्जी निवेश दिखाकर रिफंड मांगने वालों पर आयकर विभाग सख्त
सीबीडीटी के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने बुधवार को इस बात पर चिंता जताई कि कई लोग फर्जी रिफंड का दावा करते हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। आयकर विभाग ने रिटर्न फॉर्म में फर्जी निवेश दिखाकर किए जाने वाले रिफंड दावों के भुगतान को रोकने के लिए अतिरिक्त व्यवस्था लागू की है। साथ ही केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने हाई पिच्ड असेसमेंट्स से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का भी गठन किया है। हाईपिच्ड असेसमेंट्स ऐसे मामलों का कहते हैं, जिसमें कर अधिकारी किसी करदाता की आय का आकलन अनुचित रूप से काफी अधिक कर लेते हैं और उसके आधर पर काफी अधिक टैक्स की मांग कर बैठते हैं।
सीबीडीटी के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने बुधवार को इस बात पर चिंता जताई कि कई लोग फर्जी रिफंड का दावा करते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी सोच बदलनी चाहिए और ईमानदारी से टैक्स का भुगतान करना चाहिए। मुंबई, बेंगलुरु और पंजाब के कुछ हिस्सों में किए गए सर्वे के दौरान आयकर विभाग ने पाया कि कुछ धोखेबाज लोग करदाताओं को 80सी और हाउसिंग लोन के तहत काल्पनिक निवेश दिखाकर रिफंड का दावा करने के लिए उकसा रहे हैं।
चंद्रा ने एक औद्योगिक कार्यक्रम में कहा कि हमने पाया कि एक आइपी एड्रेस से काफी अधिक ऐसे रिटर्न दाखिल किए गए हैं, जिनमें समानता है। इसके बाद कुछ सर्वे किए गए। इसके बाद हमने अपनी प्रणाली में कुछ जोखिम मानक तय किए हैं, जिसके तहत यदि फर्जी रिटर्न दाखिल किए जाते हैं, तो रिफंड रोक दिया जाता है।
हाई पिच्ड असेसमेंट के मुद्दे पर चंद्रा ने कहा कि विभाग ने एक समिति का गठन किया है। यदि आपको लगता है कि आपकी आय का आकलन काफी बढ़ाकर किया गया है, तो आप इस समिति से संपर्क कर सकते हैं।
प्रत्यक्ष कर कानून की भाषा बनेगी सरल
50 साल पुराने आयकर कानून का ड्राफ्ट फिर से तैयार करने के लिए गठित समिति का मुख्य ध्यान कानून की भाषा को सरल करने और समय के साथ कानून में जोड़े गए अतिरिक्त प्रावधानों और व्याख्या के कारण पैदा हुई जटिलताओं को दूर करने पर होगा। सीबीडीटी के सदस्य और समिति के अध्यक्ष अखिलेश रंजन ने कहा कि पूरी कवायद का मकसद अनुपालन को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि टैक्स कानून समझने योग्य होना चाहिए। कुछ मामलों में भाषा कठिन हो गई है। भाषा सरल और समझने योग्य होने से कर अनुपालन बढ़ेगा।