वह आदमखोर बाघ नहीं हो सकता, मारने का ही सोचकर मत जाओ: मद्रास हाई कोर्ट ने वन विभाग से कहा
मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी बाघ टी-23 के शिकार के लिए तमिलनाडु के प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा लिए गए फैसले के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। तमिलनाडु वन विभाग ने कहा जीवित पकड़ने की योजना बना रहे हैं।
चेन्नई, एएनआइ। मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को तमिलनाडु वन विभाग से कहा कि वह बाघ को तुरंत न मारें, ऐसा भी हो सकता है कि वह आदमखोर बाघ न हो। मद्रास एचसी ने तमिलनाडु वन विभाग को बताया, 'तुरंत मारने के लिए मत जाओ, वह एक आदमखोर बाघ नहीं भी हो सकता है। बता दें कि विभाग मुदुमलाई के बाघ टी 23 को पकड़ने के प्रयास में है। कोर्ट ने आगे कहा कि हमारे देश में कुछ ही बाघ बचे हैं।
मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी बाघ टी-23 के शिकार के लिए तमिलनाडु के प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा लिए गए फैसले के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। तमिलनाडु वन विभाग ने भी मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया कि उनकी बाघ को मारने की कोई योजना नहीं है और वे इसे जीवित पकड़ने की योजना बना रहे हैं।
बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर एक रिपोर्ट सामने आई थी कि तेंदुआ, भालू और हाथी के मुकाबले बाघ कम हमलावर होता हैं और उन्हें बड़े शिकार करना ही पसंद होता है।
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर बाघों के लिए सुरक्षित आवास सुनिश्चित करने की देश की प्रतिबद्धता दोहराई थी। उन्होंने कहा था कि विश्व स्तर पर बाघों की 70% से अधिक आबादी का घर, हम अपने बाघों के लिए सुरक्षित आवास सुनिश्चित करने और बाघों के अनुकूल इकोसिस्टम को पोषित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं। भारत में अब दुनिया भर में रहने वाले बाघों की कुल संख्या का लगभग 70% बाघ रहते हैं। पीएम मोदी ने कहा था कि भारत 18 राज्यों में फैले 51 टाइगर रेसेर्वेस का घर है। 2018 की अंतिम बाघ गणना में बाघों की आबादी में वृद्धि देखी गई।
नरेंद्र मोदी ने कहा था कि बाघ संरक्षण की भारत की रणनीति स्थानीय समुदायों को शामिल करने को सर्वोच्च महत्व देती है। हम सभी वनस्पतियों और जीवों के साथ सद्भाव में रहने के हमारे सदियों पुराने लोकाचार से भी प्रेरित हैं, जिनके साथ हम अपने ग्रेट ग्रह को साझा करते हैं।