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ISRO आज करेगा नेविगेशन सैटेलाइट का प्रक्षेपण, सुबह 10 बजकर 42 मिनट पर होगी लांचिंग

इसरो ने कहा कि प्रक्षेपण के करीब 20 मिनट बाद राकेट लगभग 251 किमी की ऊंचाई पर भू-स्थिर स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में उपग्रह को स्थापित करेगा। इसके मदद ने नौसेना के काफी मजबूत होने की उम्मीद की जा रही है। (प्रतीकात्मक फोटो)

By AgencyEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Sun, 28 May 2023 11:56 PM (IST)Updated: Sun, 28 May 2023 11:56 PM (IST)
ISRO आज करेगा नेविगेशन सैटेलाइट का प्रक्षेपण, सुबह 10 बजकर 42 मिनट पर होगी लांचिंग
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड से सुबह 10 बजकर 42 मिनट पर होगी लांचिंग

श्रीहरिकोटा, पीटीआई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक सोमवार को यहां भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) के जरिए एक नौवहन उपग्रह को प्रक्षेपित करेंगे।

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नौवहन उपग्रह श्रृंखला के प्रक्षेपण की योजना

अंतरिक्ष एजेंसी ने दूसरी पीढ़ी की नौवहन उपग्रह श्रृंखला के प्रक्षेपण की योजना बनाई है जो नाविक (भारत की स्वदेशी नौवहन प्रणाली) सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करेगी। यह उपग्रह भारत और मुख्य भूमि के आसपास लगभग 1,500 किलोमीटर के क्षेत्र में तात्कालिक स्थिति और समय संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा।

प्रक्षेपण का शुरू हो गया है काउंटडाउन

इसरो के सूत्रों ने बताया कि प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती रविवार को सुबह 7 बजकर 12 मिनट पर शुरू हो गई। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड से सोमवार सुबह 10 बजकर 42 मिनट पर 51.7 मीटर लंबा जीएसएलवी अपनी 15वीं उड़ान में 2,232 किलोग्राम वजनी एनवीएस-01 नौवहन उपग्रह को लेकर रवाना होगा।

इसरो ने कहा कि प्रक्षेपण के करीब 20 मिनट बाद, राकेट लगभग 251 किमी की ऊंचाई पर भू-स्थिर स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में उपग्रह को स्थापित करेगा। इसके मदद ने नौसेना के काफी मजबूत होने की उम्मीद की जा रही है।

इसरो ने दी जानकारी

इसरो ने कहा कि भारतीय उपग्रह श्रृंखला की सेवाओं को व्यापक बनाने के लिए एल1 बैंड सिग्नल विकसित किए गए हैं। ये पहला मौका होगा जब एनवीएस-01 एक स्वदेशी परमाणु घड़ी के साथ लांच किया जाएगा। नाविक उपग्रह एक खास तकनीकी से बना उपग्रह है। ये पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किए जाने वाले सात उपग्रहों का एक समूह है, ग्राउंड स्टेशनों के साथ कनेक्ट होगा।

ये उपग्रह खास कर सशस्त्र बलों की ताकत मजबूत करने और नौवहन सेवाओं की निगरानी के लिए बनाया गया है। जीएसएलवी एनवीएस-1 नाविक को इसरो ने भारतीय उपग्रहों के साथ मिलकर विकसित किया है। यह 2.4 किलोवाट तक की ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है। उपग्रह में एक लिथियम-आयन बैटरी लगाई गई है।


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