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Trisonic Wind Tunnel: इसरो ने ट्राइसोनिक विंड टनल के पहले ब्लो डाउन का किया सफलतापूर्वक परीक्षण

इसरो ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में नव निर्मित ट्राइसोनिक विंड टनल (Trisonic Wind Tunnel) का पहला ब्लो डाउन परीक्षण (Blowdown Test) गुरुवार को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। परीक्षण को तिरुवनंतपुरम में आयोजित किया गया था। फोटो- isro

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaPublished: Fri, 09 Dec 2022 09:03 PM (IST)Updated: Fri, 09 Dec 2022 09:03 PM (IST)
Trisonic Wind Tunnel: इसरो ने ट्राइसोनिक विंड टनल के पहले ब्लो डाउन का किया सफलतापूर्वक परीक्षण
इसरो ने ट्राइसोनिक विंड टनल के पहले ब्लो डाउन का किया सफलतापूर्वक परीक्षण। फोटो- @isro

बेंगलुरु, आनलाइन डेस्क। इसरो ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में नव निर्मित ट्राइसोनिक विंड टनल (Trisonic Wind Tunnel) का पहला ब्लो डाउन परीक्षण (Blowdown Test) गुरुवार को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। परीक्षण को तिरुवनंतपुरम में आयोजित किया गया था। अंतरिक्ष एजेंसी ने यह जानकारी दी है। ट्राइसोनिक विंड टनल एक ऐसी प्रणाली है जिसका उपयोग राकेटों के वायुगतिकीय डिजाइन (Aerodynamic Design) और बलों, Moments, लोड वितरण का मूल्यांकन करके और स्केल किए गए माडल पर दबाव और ध्वनिक स्तरों को बनाए रखने के साथ-साथ अंतरिक्ष यान में फिर से प्रवेश करने में सहायता करती है।

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160 मीटर है सुरंग की लंबाई

अंतरिक्ष एजेंसी इसरो द्वारा अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर जारी एक बयान में कहा, 'सुरंग की कुल लंबाई लगभग 160 मीटर है और इसका अधिकतम चौड़ाई 5.4 मीटर मापी गई है। सुरंग का उपयोग तीन उड़ान व्यवस्थाओं में विभिन्न अंतरिक्ष वाहनों के परीक्षण के लिए किया जा सकता है, जिसमें ध्वनि की गति से नीचे, ध्वनि की गति से और ध्वनि की गति से ऊपर शामिल है। इसका उपयोग तीन उड़ान व्यवस्थाओं में होने के कारण इसका उपयोग ट्राइसोनिक विंड टनल रखा गया है। इसरो द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, सुरंग ध्वनि की गति के 0.2 गुना (68 मीटर प्रति सेकंड) से चार गुना ध्वनि की गति (1,360 मीटर प्रति सेकंड) तक उड़ान की स्थिति का अनुकरण कर सकती है।

एस सोमनाथ ने किया चालू

इसरो ने बताया कि इस ब्लो डाउन को औपचारिक रूप से इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ द्वारा चालू किया गया था। इस परीक्षण को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक एस उन्नीकृष्णन नायर, लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (LPSC) के निदेशक वी नारायणन और इसरो इनर्शियल सिस्टम्स यूनिट (IISU) के निदेशक सैम दयाल देव सहित इसरो के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी देखा।

आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम

इसरो द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, इस विशाल संरचना को कई सौ टन स्टील के साथ बनाया गया है। ट्राइसोनिक विंड टनल को देश भर के उद्योगों की सहायता से मैसर्स टाटा प्रोजेक्ट्स इंडिया लिमिटेड के माध्यम से लागू किया गया। इसरो ने कहा कि ट्राइसोनिक विंड टनल एयरोस्पेस क्षेत्र में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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