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इसरो जासूसी कांड में वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाए जाने की होगी जांच, जानिए क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व वैज्ञानिक नारायणन को 25 लाख रुपये की मुआवजा राशि दिलाने पर भी विचार करने की बात कही है।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Fri, 04 May 2018 11:28 AM (IST)Updated: Fri, 04 May 2018 12:11 PM (IST)
इसरो जासूसी कांड में वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाए जाने की होगी जांच, जानिए क्या है पूरा मामला
इसरो जासूसी कांड में वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाए जाने की होगी जांच, जानिए क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली (प्रेट्र)। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जासूसी मामले में जांचकर्ता एसआइटी अफसरों की संदेहास्पद भूमिका की जांच का आदेश दिया है। एसआइटी जांच में वैज्ञानिक एस नंबी नारायणन को मामले का आरोपित बनाया गया था, जिसके चलते उनका करियर बर्बाद हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व वैज्ञानिक नारायणन को 25 लाख रुपये की मुआवजा राशि दिलाने पर भी विचार करने की बात कही है। शक है कि भारत के क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन बनाने की परियोजना को पटरी से उतारने के लिए विदेशी खुफिया एजेंसियों की साजिश के तहत ऐसा हुआ।

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सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष नंबी नारायणन (76) ने कहा, 'मैंने देश की सेवा की लेकिन सरकारी तंत्र ने मुझे परेशान कर दिया। मेरे खिलाफ झूठा मामला बनाया गया। मैंने दस साल तक यंत्रणा झेली। सीबीआइ ने अपनी जांच में मुझे क्लीन चिट दी, जिसे अदालत ने भी स्वीकार कर लिया है। मुझे क्षतिपूर्ति के तौर पर एक करोड़ रुपये चाहिए और उन एसआइटी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने मुझे यातना दी।' जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की मौजूदगी वाली पीठ ने कहा, वह इस प्रकार के मामले में एक करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति दिए जाने का आदेश नहीं दे सकते। वैज्ञानिक नंबी नारायणन को दस लाख रुपये क्षतिपूर्ति के तौर पर मिल चुके हैं।

सुनवाई में मौजूद सीबीआइ के अधिवक्ता ने कहा, एजेंसी ने पाया कि पूरा मामला फर्जी था और इसमें गलत आरोप लगाए गए। उसने मामला खत्म करने की अपनी रिपोर्ट दे दी है, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। इस पर पीठ ने पूछा कि फर्जी मामला तैयार करने के बारे में क्या सीबीआइ कोई जांच कर रही है, इस पर अधिवक्ता ने जवाब दिया- वैसा कुछ नहीं किया जा रहा। मामले की अगली सुनवाई 11 मई को होगी। उल्लेखनीय है कि इसरो जासूसी मामले की जांच जिस एसआइटी टीम ने की थी उसमें शामिल रहे सीबी मैथ्यूज बाद में केरल के डीजीपी बने।

क्या है इसरो जासूसी कांड

इसरो जासूसी कांड साल 1994 का वह मामला है जिससे भारत की अंतरिक्ष के क्षेत्र की तरक्की 15 साल पिछड़ गई। इसरो उस समय क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन पर काम कर रहा था और वह उसे बनाने के बिल्कुल करीब था। तभी उसकी तकनीक के लीक होने की चर्चा उड़ गई और उसकी केरल पुलिस ने एसआइटी जांच शुरू करा दी। इसी जांच में के दौरान क्रायोजेनिक इंजन विभाग के प्रमुख नंबी नारायणन गिरफ्तार कर लिए गए और अनुसंधान का कार्य पटरी से उतर गया। भारत के पिछड़ने का सीधा लाभ अमेरिका और फ्रांस को मिला। शक जताया गया कि इसरो जासूसी कांड का ताना-बाना अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए ने बुना और भारत का रास्ता बाधित किया।


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