दिसंबर से पहले नया रॉकेट लांच करने की योजना बना रहा इसरो, नवंबर में जरूरी परीक्षण
पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल सी49 की उड़ान के बाद श्रीहरिकोटा रॉकेट पोर्ट के पहले लांच पैड से होगा। पीएसएलवी सी49 की उड़ान के बाद लांच पैड को एसएसएलवी के अनुरूप बनाया जाना है। रॉकेट भारत के रिसैट-2बीआर2 और अन्य वाणिज्यिक उपग्रहों को ले जाएगा।
चेन्नई, आइएएनएस। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दिसंबर, 2020 से पहले अपना नया रॉकेट 'स्मॉल सैटेलाइट लांच व्हीकल' (एसएसएलवी) लांच करने की योजना बना रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि इसकी सबसे बड़ी मोटर- ठोस ईंधन वाली बूस्टर मोटर की जांच के लिए आवश्यक परीक्षण नवंबर में किया जाएगा।
इसरो के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) के निदेशक एस. सोमनाथ ने बताया कि एसएसएलवी का लांच, पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल सी49 (पीएसएसवी सी49) की उड़ान के बाद श्रीहरिकोटा रॉकेट पोर्ट के पहले लांच पैड से होगा। पीएसएलवी सी49 की उड़ान के बाद लांच पैड को एसएसएलवी के अनुरूप बनाया जाना है। सोमनाथ ने कहा कि अगले महीने पीएसएलवी सी49 लगभग 10 उपग्रहों (सैटेलाइट) के साथ उड़ान भरेगा। रॉकेट भारत के रिसैट-2बीआर2 और अन्य वाणिज्यिक उपग्रहों को ले जाएगा।
कोविड महामारी के चलते ठप पड़ी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने में इसरो जुटा हुआ है। तीन रॉकेट के जरिए देश-विदेश के दर्जन भर से ज्यादा उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे। इस सिलसिले में आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से रॉकेट छोड़ने के लिए एक वर्चुअल लांच कंट्रोल सेंटर स्थापित किया गया है। यह सेंटर तिरुअनंतपुरम के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) में बनाया गया है। यहीं से रिमोट के जरिये श्रीहरिकोटा में रॉकेट का परीक्षण चल रहा है और इसी तरह लांचिंग भी होगी। इसरो ने कहा है कि कोरोना संक्रमण के दौर में एजेंसी ने सेटेलाइट लांचिंग की प्रक्रिया में कम से कम लोगों को श्रीहरिकोटा भेजने के लिए वर्चुअल लांचिंग का विकल्प तैयार किया है। इसके चलते इस समय रॉकेटों के परीक्षण का कार्य वीएसएससी स्थित वर्चुअल लांच कंट्रोल सेंटर से हो रहा है।
एस सोमनाथ ने बताया है कि श्रीहरिकोटा में तीन रॉकेट लांचिंग के लिए तैयार हैं। पहला रॉकेट पीएसएलवी सी 49 नवंबर में किसी दिन छोड़ा जाएगा। इसके जरिये दस उपग्रह अंतरिक्ष छोड़े जाएंगे। यह भारत का रीसैट-2बीआर 2 और अन्य व्यावसायिक उपग्रह लेकर जाएगा। इसके बाद दिसंबर में पीएसएलवी सी 50 और उसके करीब एक महीने बाद जीसैट- 12 आर को छोड़ा जाएगा। इन सभी रॉकेटों के हिस्से इसरो के विभिन्न केंद्रों से वहां पहुंचाए गए थे लेकिन ये रॉकेट श्रीहरिकोटा में ही तैयार हुए। इस पूरी प्रक्रिया का निर्देशन वीएसएससी से हुआ है।