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ISRO Mars Mission : मंगलयान ने भेजी मंगल ग्रह के सबसे बड़े चंद्रमा की तस्वीर, जानें क्‍या है इसमें खास

Mars Mission of India इसरो के मंगलयान ने मंगल ग्रह के नजदीकी और सबसे बड़े चंद्रमा फोबोस की तस्वीर भेजी है। जानें कब ली गई थी यह तस्‍वीर और क्‍या है इसमें खास...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 06:01 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 06:01 AM (IST)
ISRO Mars Mission : मंगलयान ने भेजी मंगल ग्रह के सबसे बड़े चंद्रमा की तस्वीर, जानें क्‍या है इसमें खास
ISRO Mars Mission : मंगलयान ने भेजी मंगल ग्रह के सबसे बड़े चंद्रमा की तस्वीर, जानें क्‍या है इसमें खास

बेंगलुरु, पीटीआइ। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation, ISRO) के मंगलयान यानी मार्स ऑर्बिटर मिशन (Mars Orbiter Mission, MOM) ने मंगल ग्रह के नजदीकी और सबसे बड़े चंद्रमा फोबोस (Moon Phobos) की तस्वीर भेजी है। एमओएम पर लगे मार्स कलर कैमरा (Mars Colour Camera, MCC) ने यह तस्वीर कैद की है। एमसीसी ने यह तस्वीर एक जुलाई को उस वक्त कैद की थी, जब एमओएम मंगल से 7,200 किलोमीटर और फोबोस से 4,200 किलोमीटर दूर था।

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फोबोस के फोटो के साथ जारी बयान में इसरो ने कहा कि यह 6 एमसीसी फ्रेस से ली गई यह एक समग्र तस्वीर है और उसके कलर को सही किया गया है। इसरो के मुताबिक, फोबोस पर एक बहुत बड़ा गड्ढा नजर आ रहा है, जिसे स्टिकनी नाम दिया गया है। यह अतीत में फोबोस से आकाशीय पिंडों के टकराने से बना था। इसके अलावा भी कई छोटे-छोटे गढ्डे इस तस्वीर में नजर आ रहे हैं। इनका नाम स्लोवास्की, रोश और ग्रिलड्रिग रखा गया है।

इसरो ने 24 सितबंर, 2014 को मार्स ऑर्बिटर मिशन के तहत मंगलयान को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया था। इस मिशन का उद्देश्य शुरू में छह महीने के लिए था लेकिन बाद में इसरो ने कहा कि कई वर्षों तक सेवा देने के लिए इसमें पर्याप्त मात्रा में ईंधन मौजूद है। मालूम हो कि इसरो ने मंगलयान को अपने पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया था।

इसके साथ ही भारत मंगल की कक्षा में पहुंचने वाले एलिट समूह में शामिल हो गया था। इसरो ने पांच नवंबर 2013 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी रॉकेट (PSLV rocket) के जरिए यह प्रक्षेपण किया था। इसमें 450 करोड़ रुपये लागत आई थी। मिशन का उद्देश्य मंगल की सतह और वहां खनिजों की संरचना का अध्ययन करना है। यही नहीं इसका उद्देश्य वहां के वायुमंडल में मिथेन की मौजूदगी के बारे में पड़ताल करना भी है। मंगल पर मिथेन की मौजूदगी जीवन की ओर संकेत करती है।


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