अंतरिक्ष में भारत का स्टेशन बनाने में सक्षम है इसरो: किरण कुमार
एक समारोह में इसरो प्रमुख किरण कुमार ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा है कि भारत अंतरिक्ष में अपना स्टेशन बनाने में सक्षम हैं
नई दुनिया (जेएनएन)। यदि सरकार फैसला करे तो हम अंतरिक्ष में भारत का स्टेशन बनाने में सक्षम हैं। इसके लिए फंडिंग, पॉलिसी क्लीयरेंस और समय की जरूरत है। सरकार की प्राथमिकता में यह सबसे निचले स्तर पर है, क्योंकि देश के विकास और इंफास्ट्रक्चर में इसका जिक्र देखने को नहीं मिलता।
यह कहना है इसरो के चेयरमैन एएस किरण कुमार का। वो सोमवार को राजा रमन्ना प्रगति प्रौद्योगिकी केंद्र (आरआरकेट) के स्थापना समारोह के मुख्य अतिथि थे।
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उन्होंने कहा कि मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन से मिलने वाले तत्काल फायदों पर अभी भी चर्चा होती है, इसलिए देश और सरकार इसमें पूंजी लगाने का अपना मन नहीं बना पाई है। इसरो द्वारा 104 उपग्रह एक साथ प्रक्षेपित कर विश्व रिकॉर्ड बनाने के बारे में उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता कार्टोसेट को प्रक्षेपित करना था, न कि कोई रिकॉर्ड बनाना। इस श्रृंखला के तीन उपग्रह ही थे जिनका वजन करीब 700 किलोग्राम था, जबकि पीएसएलवी की क्षमता 1400 किलोग्राम थी। इसे उपयोग करने के लिए हमने दूसरे छोटे उपग्रह भी इसके साथ प्रक्षेपित करने का फैसला लिया और इससे हमने कार्टोसेट की आधी से भी ज्यादा लागत वसूल कर ली।
किरण कुमार ने कहा हमें और अधिक सेटेलाइट भेजने की जरूरत है, लेकिन इसके लिए लागत 120वें हिस्से तक लाना होगी। सेमी क्रायोजेनिक तकनीक के जरिए 'कॉस्ट टू एक्सेस स्पेस'Þ को कम करने का प्रयास कर रहे हैं। वैश्विक स्तर पर तकनीक तेजी से बदल रही है। यदि कोई नई तकनीक कॉस्ट को कम कर देती है तो अभी हम जो कर रहे हैं हम उसके कॉम्पीटिशन में ही नहीं रहेंगे। उन्होंने बताया अप्रैल में जीएसएलवी मार्क 3 का प्रक्षेपण करेंगे।
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लाइफ सेविंग है स्पेस टेक्नोलॉजी
यदि देश के हर हिस्से तक पहुंचना है और वहां कम्यूनिकेशन स्थापित करना है तो स्पेस टेक्नोलॉजी के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है। इसके लिए टेली एजुकेशन, टेली मेडिसन, विलेज रिसोर्स सेंटर से पूरे देश में सूचनाएं पहुंचा सकते हैं।
किरण कुमार ने कहा कि साइक्लोन जब आया था तब हजारों जानें गई थीं, लेकिन आज स्पेस टेक्नोलॉजी से आपदा प्रबंधन एजेंसियों को 48 से 96 घंटे पहले तक इसकी जानकारी मिल जाती है। स्पेस टेक्नोलॉजी में सरकार ने जितना निवेश किया है, उससे कहीं अधिक रिटर्न इस रूप में मिल रहा है। मंगलयान से डस्ट बनने, कार्बनडाइऑक्साइड आदि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली है।
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