इसरो के चेयरमैन सिवन ने कहा- अप्रैल में लांच होगा देश का अनूठा जीआइएसएटी-1 सेटेलाइट
अगर भारत का जियो इमेजिंग सेटेलाइट मार्च 2020 में लांच हो गया होता तो पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ का अविलंब पता चल जाता और भारतीय सेना जवाबी कार्रवाई कर उन्हें उसी समय पीछे धकेल सकती थी।
चेन्नई, आइएएनएस। भारत का पहला जियो इमेजिंग सेटेलाइट (जीआइएसएटी-1) अप्रैल के पहले या दूसरे सप्ताह में अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित हो जाएगा। यह जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन के सिवन ने दी है। यह अंतरिक्ष में भारत की आंख होगा।
इसरो के चेयरमैन ने कहा- तकनीक खामियों के चलते जीआइएसएटी-1 के लांच में विलंब हो सकता
सिवन ने बताया कि जीआइएसएटी-1 का लांच 28 मार्च को होना है, लेकिन सेटेलाइट और रॉकेट में आई मामूली तकनीक खामियों के चलते इसमें थोड़ा विलंब हो सकता है। सेटेलाइट लांचिंग प्रक्रिया की निगरानी रॉकेट दागे जाने के एक मिनट पहले तक लगातार होती है।
सिवन ने कहा- जीआइएसएटी-1 धरती को बारीकी से देखने वाला देश का पहला सेटेलाइट
सिवन ने बताया कि जीआइएसएटी-1 धरती के हर भाग को बारीकी से देखने वाला देश का पहला सेटेलाइट होगा। यह धरती से 35 हजार किलोमीटर से ज्यादा ऊंचाई पर जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। यह अंतरिक्ष में भारत की आंख बनकर कार्य करेगा।
कोविड महामारी और लॉकडाउन के चलते सेटेलाइट की लांचिंग टलती चली गई
पहले इसकी लांचिंग पांच मार्च, 2020 को होनी थी। लेकिन लांचिंग से कुछ ही घंटे पहले तकनीक कारणों से इसे रोक दिया गया था। इसके बाद कोविड महामारी और उसके कारण देश में हुए लॉकडाउन के चलते इस सेटेलाइट की लांचिंग टलती चली गई। इसके बाद चार मार्च को इसकी लांचिंग का नया कार्यक्रम जारी हुआ। 2,268 किलोग्राम भार वाला जीआइएसएटी-1 सेटेलाइट धरती की रियल टाइम इमेज उपलब्ध कराएगा। इससे विलंब किए बगैर इमेज के विश्लेषण और उसका निष्कर्ष निकाला जा सकेगा।
दैवीय आपदा के समय सेटेलाइट से होगा बहुत लाभ
दैवीय आपदा के समय इससे बहुत लाभ होगा। इतना ही नहीं धरती की जल्द तस्वीर मिलने से बचाव या प्रतिक्रियात्मक कदम उठाने में आसानी हो जाएगी। ये तस्वीरें कई रिजॉल्यूशन में होंगी।
यदि सेटेलाइट मार्च 2020 में लांच हो जाता तो चीनी सैनिकों की घुसपैठ का अविलंब पता चल जाता
माना जाता है कि अगर यह सेटेलाइट मार्च 2020 में लांच हो गया होता तो पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ का अविलंब पता चल जाता और भारतीय सेना जवाबी कार्रवाई कर उन्हें उसी समय पीछे धकेल सकती थी। इस सेटेलाइट से कृषि, वन, जमीन के भीतर छिपे खनिजों, आपदा, बादलों की उपस्थिति, बर्फ की मौजूदगी, समुद्री स्थिति आदि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकेंगी। यह सेटेलाइट अन्य कई खूबियों के साथ अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
आइआइएसटी के साथ सहयोग करेगा इसरो
इसरो अब अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन नासा की तरह निजी क्षेत्र और अन्य सरकारी संस्थाओं के साथ सहयोग कर अपनी परियोजनाओं को आगे बढ़ाएगा। भविष्य के लिए होने वाले शोध कार्यों में इसरो इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आइआइएसटी) का सहयोग लेगा।