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जल संकट पर विजय पा चुका इजरायल अब भारत को सिखाएगा पानी बचाना

इजरायल ने हवा से पानी बनाने की तकनीक पर भी विशेषज्ञता हासिल कर ली है। सौर ऊर्जा का प्रयोग करके यहां हवा की नमी से पीने का पानी बनाया जाता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 16 Jan 2018 09:06 AM (IST)Updated: Tue, 16 Jan 2018 03:16 PM (IST)
जल संकट पर विजय पा चुका इजरायल अब भारत को सिखाएगा पानी बचाना
जल संकट पर विजय पा चुका इजरायल अब भारत को सिखाएगा पानी बचाना

नई दिल्ली (जेएनएन)। औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के चलते भारत में गंभीर जल संकट है। बढ़ती आबादी इसे बद से बदतर कर रही है। ऐसा कोई शहर नहीं है जहां सातों दिन चौबीस घंटे गुणवत्ता वाले पानी की आपूर्ति होती हो। पानी संकट बारहमासी बनता जा रहा है। हमें इस हालात से उबारने में भारत का मित्र देश इजरायल मदद कर सकता है। दस वर्ष पहले भारत जैसी ही स्थिति इजरायल की भी थी, लेकिन जल प्रबंधन की प्रभावी तकनीकें अपनाकर उसने खुद को इस संकट से उबार लिया।

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गहराता संकट ऐसे बदलेंगे हालात
चीन और अमेरिका द्वारा संयुक्त रूप से इस्तेमाल होने वाले भूजल से अधिक भूजल भारत में इस्तेमाल होता है। देश के कुल भूजल ब्लॉकों में से 29 फीसद संकटग्रस्त हैं। कृषि प्रधान देश होने के नाते यहां सिंचाई में भूजल का प्रयोग होता है। 2009 में नासा ने रिपोर्ट जारी कर बताया था कि हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में फैली सिंधु नदी घाटी जरूरत से अधिक जल दोहन किए जाने के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है। आशंका है कि 2030 में तकरीबन 60 फीसद एक्वीफर्स (जलदायी स्नोत) बेहद गंभीर स्थिति में होंगे।

इजरायल ने भी देखे ये हालात
दस वर्ष पहले इजरायल में पानी का घोर संकट था। ऐसे में इस देश ने दोहरी रणनीति अपनाई। पहले तो पानी की बर्बादी को रोका और फिर पानी सप्लाई के स्रोतों में इजाफा किया। ऐसा करके अब इजरायल भरपूर जल संसाधन वाला देश बन पाया। अब चीन, जापान और कनाडा जैसे देश इजरायल से उसकी तकनीक मांग रहे हैं।

करने होंगे कड़े उपाय
देश में 1947 में पानी की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 6,042 क्यूबिक मीटर थी, जो 2011 में सिर्फ 1,545 क्यूबिक मीटर रह गई। एशियन डेवलपमेंट बैंक के मुताबिक 2030 तक भारत में 50 फीसद पानी की किल्लत होगी। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के मुताबिक 2025 तक भारत को 1200 अरब घन मीटर, 2050 तक 1447 अरब घन मीटर की जरूरत होगी। अभी सालाना देश की जरूरत 1100 अरब घन मीटर पानी की है।

ऐसे बदलेंगे हालात
इंडो-इजरायली एग्रीकल्चरल कोऑपरेशन प्रोजेक्ट के तहत इजरायल की अंतरराष्ट्रीय विकास सहभागिता एजेंसी माशव और भारत के राष्ट्रीय बागवानी मिशन के बीच करार हुआ। इस सहयोग के चलते भारतीय किसान 65 फीसद कम पानी के इस्तेमाल में 10 गुना अधिक पैदावार करने में सक्षम हुए। इस प्रोजेक्ट को बड़े स्तर पर अपनाकर एक बड़े भूजल को बचाया जा सकता है।

- खारे पानी को पेयजल में बदलने के मामले में इजरायल दुनिया का अग्रणी देश है। ऐसे प्लांट भारत में पहले से हैं, लेकिन इजरायली तकनीक कहीं ज्यादा उन्नत है।
- इजरायल ने ऐसा संयंत्र तैयार किया है जो गंदे खारे पानी को पेयजल में बदल सकता है। इस संयंत्र से लैस गाड़ियां भारत के ग्रामीण इलाकों में बेहद कम दाम पर पानी मुहैया करा सकती हैं।
- इजरायल ने हवा से पानी बनाने की तकनीक पर भी विशेषज्ञता हासिल कर ली है। सौर ऊर्जा का प्रयोग करके यहां हवा की नमी से पीने का पानी बनाया जाता है।  

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