एनआईए की विशेष अदालत ने IS से जुड़े केस में महिला को सुनाई 7 साल कैद की सजा
यास्मिन मोहम्मद नामक इस महिला को 30 जुलाई, 2016 को दिल्ली में उस समय गिरफ्तार किया गया था, जब वह अपने बच्चे के साथ अफगानिस्तान जाने वाली थी।
कोच्चि (एजेंसी)। केरल में एनआइए की विशेष अदालत ने आतंकी संगठन आइएस के लिए युवाओं की भर्ती करने वाली महिला यास्मीन मुहम्मद जाहिद को सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। यास्मीन को आपराधिक षडयंत्र रचने, भारत के मित्र देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और अन्य गैरकानूनी गतिविधियां चलाने के आरोप में सजा सुनाई गई है। विशेष अदालत ने उस पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
यास्मीन मूल रूप से बिहार की रहने वाली है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की जांच वाले इस मामले में यास्मीन दोषी ठहराई जाने वाली दूसरी आरोपी है। विशेष न्यायाधीश एस संतोष कुमार की अदालत में एनआइए की ओर से पेश वकील अर्जुन अमाबलापट्टा ने समाज के बांटने वाले इस कृत्य के लिए अधिकतम सजा की मांग की थी। एनआइए ने 2017 में मामले का आरोप पत्र दाखिल किया था। उसमें अब्दुल राशिद अब्दुल्ला को मुख्य आरोपी बनाया गया था।
अब्दुल और यास्मीन (30) पर केसरगोड जिले से युवाओं और उनके परिवारों को भ्रमित कर इस्लामिक स्टेट (आइएस) में भर्ती कराने का आरोप था। यास्मीन को 30 जुलाई, 2016 को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था। उस समय वह अपने बच्चे के साथ सहयोगी अब्दुल राशिद अब्दुल्ला से मिलने अफगानिस्तान में आइएस के नियंत्रण वाले इलाके में जा रही थी। एनआइए ने अपनी जांच में यास्मीन और अब्दुल के संबंध को स्थापित करने वाले पुख्ता सुबूत पेश किए।
अदालत ने दोनों के आइएस से रिश्ते के आरोप को भी सही माना। एनआइए ने साबित किया कि यास्मीन अब्दुल की उन कक्षाओं में शामिल हुई जिनमें लोगों को आतंकवाद फैलाने के लिए उकसाया गया। एनआइए ने मामले में 13 लोगों का उल्लेख किया लेकिन उनमें से केवल दो को आरोपी बनाया। इनमें 11 अफगानिस्तान में हैं जबकि एक सीरिया में। माना जा रहा है कि अफगानिस्तान में मौजूद 11 में से तीन वहां हुए नाटो के हवाई हमले में मारे गए। एनआइए ने विशेष अदालत को वह ऑडियो टेप भी सुनाया जिसमें अब्दुल अपने एक रिश्तेदार को आइएस का महत्व बता रहा है और उसमें शामिल होने के लिए फुसला रहा है। वह दुनिया में खिलाफत की स्थापना को जरूरी बता रहा है।