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NIA का खुलासाः लखनऊ के मां-बेटे ने की थी ISIS मॉड्यूल के लिए टेरर फंडिंग

NIA और ATS ने जिस ISIS आतंकी मॉड्यूल को पकड़ा है, उसका लखनऊ से गहरा संबंध है। यहां एक मां-बेटे ने इनको टेरर के लिए फंडिंग की थी।

By Vikas JangraEdited By: Published: Thu, 27 Dec 2018 07:32 AM (IST)Updated: Thu, 27 Dec 2018 11:45 AM (IST)
NIA का खुलासाः लखनऊ के मां-बेटे ने की थी ISIS मॉड्यूल के लिए टेरर फंडिंग
NIA का खुलासाः लखनऊ के मां-बेटे ने की थी ISIS मॉड्यूल के लिए टेरर फंडिंग

आलोक मिश्र, लखनऊ। एनआइए व एटीएस की संयुक्त टीम ने बुधवार को आइएसआइएस मॉड्यूल के हरकत-उल हर्ब-ए-इस्लाम संगठन के जिन संदिग्ध आतंकियों को पकड़ा है, उनका लखनऊ से गहरा कनेक्शन है। सिटी स्टेशन के पास रहने वाली एक महिला ने अपने जेवर बेचकर संदिग्ध आतंकियों को करीब पौने तीन लाख रुपये मुहैया कराये थे। महिला के साथ उसका बड़ा बेटा भी संदिग्ध आतंकियों के संपर्क में था। दोनों फेसबुक के जरिये आरोपितों के संपर्क में आये थे। सूत्रों का कहना है कि इस रकम से संदिग्ध आतंकियों ने विस्फोटक और असलहे खरीदे। एनआइए मां-बेटे से पूछताछ कर रही है। यह पहला मामला है, जब टेरर फंडिंग के किसी मामले में मां-बेटे की एक साथ भूमिका सामने आई है।

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आतंकियों के यूपी कनेक्शन सामने आने के बाद एनआइए दिल्ली ने उप्र आतंकवाद निरोधक दस्ता से संपर्क किया था, जिसके बाद मंगलवार देर रात से ही आरोपितों की घेरेबंदी की तैयारी शुरू हो गई थी। यूपी में अमरोहा व मेरठ के अलावा खासकर लखनऊ के लिए अलर्ट था। बुधवार सुबह चार बजे ही एटीएस व वजीरगंज थाने की पुलिस टीमें सिटी स्टेशन के पास मुस्तैद थीं। एनआइए की टीम के पहुंचते ही संयुक्त टीम ने कुछ ही दूरी पर एक नबीउल्ला रोड स्थित महिला के मकान को घेर लिया। 

महिला (45) का पति बर्तन के थोक कारोबारी है और यहियागंज में उसकी दुकान है। वह बैट्री और टॉर्च का कारोबार भी करता है। बताया गया कि महिला का बड़ा बेटा (18) बिल्लौचपुरा स्थित मदरसा मजहरुल इस्लाम में दीनी तालीम हासिल कर रहा है। वह आठवीं कक्षा तक शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल का छात्र था। एनआइए ने मकान के सिर्फ उन दो कमरों में छानबीन की जहां महिला व उसका बेटा रहता है। दो लैपटॉप का डेटा लेने के साथ दोनों के मोबाइल फोन कब्जे में लिये गए। कुछ दस्तावेज भी कब्जे में लिये। फिर एनआइए महिला को लेकर अकबरी गेट गई। 

ज्वैलर को जेवर बेच की थी टेरर फंडिंग
सूत्रों का कहना है कि महिला ने अकबरी गेट स्थित जमजम ज्वैलर्स में अपने जेवर बेचे थे। एनआइए ने नक्खास में दुकान संचालक को बुलाकर जेवर बेचे जाने की तस्दीक की। इसके बाद मां-बेटे को साथ ले गई। महिला के पति भी एनआइए के टीम के साथ गए। एनआइए अब इस बात की तस्दीक कर रही है कि महिला ने जेवर बेचकर मिली रकम किस जरिये से संदिग्ध आतंकियों तक पहुंचाई थी। उसके बेटे की इस पूरे प्रकरण में कितनी भूमिका थी। ऐसे कई अन्य बिंदुओं पर गहनता से छानबीन की जा रही है।

कमरे से बाहर कम आते थे मां और बेटा

महिला व उसका बेटा अपने कमरे में ही ज्यादा वक्त गुजारते थे और इधर कुछ माह से परिवार से कटे रहते थे। परिवार के एक सदस्य ने बताया कि महिला सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहती थी। पुलिस के घर पहुंचने के बाद अब पूरा परिवार स्तब्ध है। महिला के जेठ व देवर के परिवार भी इसी मकान में रहते हैं। एक सदस्य का कहना है कि महिला के पति को इसकी कोई भनक नहीं थी। परिवार को महिला के जेवर बेचने की भनक तक नहीं लगी थी लेकिन, उसका बड़ा बेटा यह सब जानता था।

महिला ने ही मदरसे में कराया था बेटे का दाखिला

महिला ने ही अपने बेटे का नाम मदरसे में लिखवाया था। परिवार के एक सदस्य ने बताया कि वह चाहती थी कि उसका बेटा दीनी तालीम हासिल करे। वह कुछ दिनों तक पिता की दुकान पर भी गया था लेकिन, वहां मन नहीं लगा।


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