जानें, कैसे रातों रात अमीर बना ISI एजेंट बलराम सिंह; सबसे ज्यादा Facebook फ्रेंड पाकिस्तान के
पड़ताल में पता चला है कि बलराम सिंह के फेसबुक अकाउंट में सबसे अधिक दोस्त विदेशी हैं। इनमें सबसे ज्यादा दोस्त पाकिस्तान के कराची इस्लामाबाद और लाहौर के रहने वाले हैं।
भोपाल, जेएनएन। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI (Inter service intelligence) के लिए जासूसी करने वाले मध्य प्रदेश के सतना जिले के बलराम सिंह की करतूत से परिजन और ग्रामीण अंजान थे। फरवरी 2017 में पहली बार जब वह ATS भोपाल की गिरफ्त में आया था, तब भी उसके परिजन ने उसके कार्यो के प्रति अनभिज्ञता जताई थी।
पड़ताल में पता चला है कि उसके फेसबुक अकाउंट में सबसे अधिक दोस्त विदेशी हैं। इनमें सबसे ज्यादा दोस्त पाकिस्तान के कराची, इस्लामाबाद और लाहौर के रहने वाले हैं। बांग्लादेश के ढाका, इंडोनेशिया, सऊदी अरब के कई शहरों तथा जम्मू-कश्मीर के लोग भी बलराम से जुड़े हैं। उसका 2014 के बाद से रहन-सहन बदल गया था।
बलराम के पिता शिवकुमार सिंह का कहना है कि जेल से छूटने के बाद ऐसा लग रहा था कि वह कोई गलत काम नहीं करेगा, लेकिन दोबारा उसके पकड़े जाने से उस पर से भरोसा उठ गया है। जमानत पर छूटने के बाद वह सतना में ही रह रहा था और टेरर फंडिंग का काम करता था।
दिसंबर 2103 में नेटवर्किंग कंपनी से जुड़ा
बलराम को जानने वालों ने बताया कि 2013 में दुबई से लौटने के बाद वह एक किचन वेयर दुकान में काम करता था। उसे महीने के तीन हजार रुपये मिलते थे। दिसंबर 2013 में वह लोगों को रातों-रात अमीर बना देने वाली एक नेटवर्किग कंपनी से जुड़ गया। बाद में उसने दूसरी नेटवर्किग कंपनी ज्वाइन कर ली और फिर ISI के लिए काम करने लगा।
2014 के बाद से ही उसके रहन-सहन में बदलाव दिखने लगा था। परिजन जब उससे कमाई के बारे में पूछते तो वह टाल जाता था। बताया गया कि जब बलराम के पास हवाला की कमाई आने लगी तो तीन महंगे दोपहिया वाहन, महंगी घड़ी, आधुनिक कपड़े उसकी पहचान बन चुके थे। बलराम मॉडलिंग करना चाहता था। उसने कई बार फोटो शूट भी कराए, लेकिन ISI के लिए काम करने से वह सतना से बाहर नहीं जा सका।
जासूसी में गिरफ्तार लोगों की निगरानी की व्यवस्था नहीं
देश की सामरिक सूचनाओं को अन्य देशों के साथ साझा करने वाले जासूसों की जेल से छूटने के बाद निगरानी की व्यवस्था पुलिस के पास नहीं है। करीब डेढ़ साल पहले पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के मामले में भाजपा नेता ध्रुव सक्सेना के साथ बलराम सिंह की गिरफ्तारी हुई थी, लेकिन उसे जमानत मिल गई। इसके बाद वह फिर टेरर फंडिंग का काम करने लगा।
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सूत्र बताते हैं कि बलराम सिंह ने निगरानी की आशंका के चलते वाट्सएप कॉल का इस्तेमाल नहीं किया। उसने दूसरे सोशल मीडिया IMO का उपयोग किया और दो फीसद कमीशन लेकर काम करने लगा। रीवा के IG चंचल शेखर ने स्वीकार किया कि ऐसे अपराधों में पकड़े गए लोगों की जेल से बाहर आने पर निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं है।
मुख्यमंत्री ने दिए सख्त कार्रवाई के निर्देश
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सतना टेरर फंडिंग मामले में पकड़े गए पांच लोगों से सख्ती से पूछताछ कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। पुलिस अधिकारियों से कहा है कि मामले की तह तक जाएं और किसी भी राजनीतिक दल से कोई आरोपित जुड़ा हो, उसे बख्शा नहीं जाए। उन्होंने कहा कि जब एक आरोपित पहले जासूसी में गिरफ्तार हुआ था तो तब उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की गई थी। इसकी भी जांच की जाए।