दिनचर्या ऊबाऊ हो गई है? न घबराएं, एकाग्रता बिगड़ सकती है आपकी मनोदशा; ये बातें होंगी कारगर
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के डेविड गैफन स्कूल ऑफ मेडिसिन की प्रोफेसर जैनिफर मार्टिन ने कहा ‘हमारा दिन तब शुरू होता है जब हम जागते हैं और खत्म हमारे सोने से होता है।‘ इसलिए जेनिफर उठने के लिए ऐसा समय तय करने की सलाह देती हैं जो सचमुच आपको सूट करे।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 01 Oct 2020 01:21 PM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2020 01:21 PM (IST)
नई दिल्ली, सीमा झा। इन दिनों चौतरफा दबाव है। इसमें दिनचर्या का उलट पुलट होना स्वाभाविक है। ध्यान दें, खराब दिनचर्या का सीधा असर आपके शरीर पर ही नहीं मन पर भी होता है। घबराहट हो सकती है, चिड़चिड़े हो सकते हैं, एकाग्रता बिगड़ सकती है और आपकी मनोदशा अस्थिर हो सकती है यानी किसी काम में मन नहीं लगना, एक आम शिकायत। ऐसे में क्या करें :
- सबसे पहले याद रखें कि नींद आपके दिन की गुणवत्ता को तय करती है, इसलिए जागने और सोने का समय निश्चित करना है
- यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के डेविड गैफन स्कूल ऑफ मेडिसिन में मेडिसिन की प्रोफेसर जैनिफर मार्टिन ने कहा, ‘हमारा दिन तब शुरू होता है, जब हम जागते हैं और खत्म हमारे सोने से होता है।‘ इसलिए जेनिफर उठने के लिए ऐसा समय तय करने की सलाह देती हैं जो सचमुच आपको सूट करे। इसके बाद इस नई दिनचर्या पैटर्न को 6 या 7 दिन के लिए बनाकर रखना चाहिए ताकि आपका शरीर उसमें ढल सके। यदि आपको इसके लिए सप्ताहांत में थोड़ा जल्दी जगना पड़े तो यह आपको अगली रात में सोने में मदद करेगी। कोशिश करें कि आप रोज एक ही समय पर बिस्तर पर सोने चले जाएं
- रोजाना आपको क्या करना है, इसे पहले तय करें। वह कितना पूरा हुआ, इसे लेकर सतर्क रहें। लक्ष्य छोटे और व्यावहारिक रखें यानी जिसे आप सहजता से पूरा कर सकें, यह याद रखना जरूरी है
- छोटी-छोटी जीत पर खुद को शाबाशी दें। जैसे जल्दी उठने पर, वॉक को नियमित करने पर, कसरत करने पर, समय पर खाना खाने के लिए काम के तय डेडलाइन से पहले पूरा होने पर आदि
- ऐसे काम जरूर शामिल करें जो आपको थकान के बीच तरोताजा रखें। ये सीधे तौर पर रचनात्मक चीजें हो सकती हैं-कोई लेख लिखें, कोई पसंद का गीत गाकर सोशल मीडिया पर या अपने मित्रों से साझा करें आदि
- भले ही आप दिनचर्या बनाने में माहिर हैं पर वह काम भी कर रहा है या नहीं, यह अधिक महत्वपूर्ण है। यह आपके लिए जानना जरूरी है। इसलिए कोशिश करें कि लय नहीं बन पा रहा हो तो परेशान न हों। खुद को समय दें और ईमानदारी से आगे बढ़ें
- अपने लिए दिनचर्या बनाते समय खुद के साथ नरमी से पेश आएं। जैसे यदि आप हर घंटे का हिसाब रखते हैं और खुद से कहते रहते हैं कि यह नहीं हुआ, गलत हुआ अब सब पहले जैसा ही बिगड़ जाएगा आदि तो यह चिंता बढ़ाने वाली चीज है
(साइकोलॉजिकल थेरेपिस्ट डॉक्टर प्रकृति पोद्दार से बातचीत पर आधारित)
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